पद्मश्री से सम्मानित 128 वर्षीय शिवानंद बाबा का निधन, 123 वर्ष योग में बिताए

योग गुरु बाबा शिवानंद का 128 वर्ष की आयु में 3 मई 2025 को निधन हुआ। उनका जीवन संयम, योग और सादगी का प्रतीक था, और उन्होंने पूरी दुनिया में योग के महत्व को फैलाया।

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Kaushiki
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योग गुरु बाबा शिवानंद
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वाराणसी के योग गुरु बाबा शिवानंद ने 3 मई 2025 को बीएचयू अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनका जीवन योग, संयम और सादगी का अनुपम उदाहरण था। बाबा शिवानंद का जन्म 8 अगस्त 1896 को अविभाजित बंगाल के श्रीहट्ट जिले के हरिपुर गांव में हुआ था।

उन्होंने 128 वर्षों का लंबा जीवन बिताया, जिसमें से उन्होंने अपना अधिकतर समय योग, साधना और तात्त्विक ज्ञान में लगाया। उनकी जीवन यात्रा ने पूरी दुनिया में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जिसमें योग और साधना के माध्यम से जीवन को संजीवनी प्रदान की गई।

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शिवानंद बाबा का योग के प्रति समर्पण

बाबा शिवानंद का जीवन एक अनुशासित और संयमित दिनचर्या का उदाहरण था। 6 वर्ष की उम्र से ही उन्होंने योग को अपनी जीवनशैली में शामिल किया था। उनके माता-पिता का निधन बहुत कम उम्र में हो गया था, जिसके बाद उन्होंने आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

बाबा ने अपने गुरु के मार्गदर्शन में आत्म-ज्ञान की प्राप्ति की। योग में उनका विश्वास इतना गहरा था कि वे अपने जीवन को पूरी तरह से योग और साधना के लिए समर्पित कर चुके थे।

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पद्मश्री पुरस्कार का सम्मान

बता दें कि, 2022 में, 126 वर्ष की उम्र में बाबा शिवानंद ने राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त किया। इस समारोह में उन्होंने अपने योग कौशल का प्रदर्शन भी किया।

सबसे चमत्कारी बात यह थी कि वे नंदी मुद्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को प्रणाम कर रहे थे और उनका योग प्रदर्शन दर्शकों के लिए एक अद्भुत अनुभव था। यह दृश्य दुनिया भर में फैला और बाबा के योग के प्रति समर्पण की मिसाल पेश की।

Varanasi News: 128-year-old Yoga Guru Shivanand Baba Passed Away, The  Government Honored Him With Padma Shri - Varanasi News

बाबा का जीवन

बाबा ने अपना अधिकांश समय योग और साधना में बिताया। उनका जीवन संयमित था; वे हर दिन सुबह तीन बजे उठते थे, ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान करने के बाद एक घंटा योग करते थे।

इसके अलावा, वे प्रतिदिन कई बार सीढ़ियां चढ़ते और उतरते थे, जो उनकी शारीरिक सक्रियता और फिटनेस का प्रतीक था। उनका ध्यान हमेशा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर केंद्रित था।

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बाबा की सादगी और आहार

बाबा का आहार भी अत्यंत सादा था। वे फल, दूध और सामान्य भोजन ही ग्रहण करते थे। उन्होंने जीवन में कभी किसी प्रकार का भोग या ऐश्वर्य की ओर ध्यान नहीं दिया।

उनका जीवन पूरी तरह से संयमित था और उन्होंने कभी शादी नहीं की। उनकी दिनचर्या इतनी सख्त थी कि उन्होंने कभी स्कूल की ओर रुख नहीं किया, बल्कि वे अपने गुरु से ही ज्ञान प्राप्त करते रहे।

समाज में योग का प्रसार

बाबा शिवानंद ने हमेशा योग के महत्व को समाज में फैलाने का कार्य किया। उनका ध्यान केवल आत्मज्ञान प्राप्त करने पर नहीं था, बल्कि उन्होंने अपनी योग कला को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाया।

वे अक्सर योग शिविरों का आयोजन करते थे, जिनमें दुनियाभर से लोग आते थे। उनकी योग की कला ने न केवल भारत, बल्कि दुनिया के कई देशों में भी अपना प्रभाव छोड़ा।

अंतिम समय तक योग का पालन

बाबा ने अपने अंतिम समय तक योग को अपनी जीवनशैली बनाए रखा। उन्होंने 123 वर्षों तक संयमित आहार और नियमित योग के माध्यम से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखा।

उनका जीवन यह प्रमाण है कि योग और संयमित जीवनशैली से कोई भी व्यक्ति लंबा, स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकता है।

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