17 साल बाद अक्षय तृतीया पर बन रहा दुर्लभ महासंयोग, क्या है इस दिन की खासियत

अक्षय तृतीया पर किए गए शुभ कार्यों, जैसे सोना-चांदी की खरीदारी, व्यापार, निवेश, गृह प्रवेश, और वाहन खरीदने से जीवनभर स्थायी सुख और समृद्धि मिलती है।

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Kaushiki
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अक्षय तृतीया 2025
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अक्षय तृतीया भारतीय परंपरा में एक ऐसा पावन दिन है, जिसे शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। 'अक्षय' का अर्थ है जो कभी समाप्त न हो। इस दिन किया गया दान, पूजन या निवेश जीवनभर अक्षय फल देता है।

हिन्दू पंचाग के मुताबिक, इस वर्ष अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक ऐसा माना जा रहा है कि, 17 साल बाद रोहिणी नक्षत्र और बुधवार का महासंयोग बन रहा है, जो इसे और भी विशेष बनाता है।

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शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचाग के मुताबिक,

  • तिथि प्रारंभ: 29 अप्रैल 2025 को शाम 5:32 बजे
  • तिथि समाप्त: 30 अप्रैल 2025 को दोपहर 2:15 बजे
  • उदयातिथि मानकर पर्व: 30 अप्रैल 2025 को मनाया जाएगा।

17 साल बाद बन रहा महासंयोग

ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, इस दिन विशेष संयोग बन रहे हैं:

  • रोहिणी नक्षत्र और बुधवार का महासंयोग
  • 10 महायोग: पारिजात, गजकेसरी, केदार, काहल, हर्ष, उभयचरी, वाशी योग
  • सर्वार्थसिद्धि योग, शोभन योग और रवियोग भी बनेंगे।
  • ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, ऐसे महासंयोग में किया गया व्यापार, निवेश, गृह प्रवेश, वाहन और संपत्ति खरीदारी दीर्घकालिक लाभकारी साबित होती है।

क्यों की जाती है सोना-चांदी की खरीदारी

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, इस दिन सोना और चांदी खरीदना शुभ माना जाता है। सोना देवी लक्ष्मी (समृद्धि की देवी) का प्रतीक है और चांदी चंद्रमा (शांति और शीतलता) का प्रतीक मानी जाती है।

स्कंद पुराण के मुताबिक, इस दिन सोना खरीदने से आत्मविश्वास, धन, सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य बढ़ता है। इस दिन खरीदी गई चीजें अक्षय यानी कभी न खत्म होने वाला फल देती हैं। इसलिए लोग घर, गहने, वाहन आदि भी इसी दिन खरीदने को शुभ मानते हैं।

धार्मिक महत्व

इस दिन का हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि इसी दिन त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था, जिससे यह तिथि युगादि तिथि के नाम से भी जानी जाती है। स्कंद और पद्म पुराणों के मुताबिक, इस दिन किया गया दान, पूजन और पुण्य कार्य कभी समाप्त नहीं होता और जीवनभर अक्षय फल प्रदान करता है।

धार्मिक मान्यता यह भी है कि, इस दिन भगवान कुबेर को देवताओं का खजांची नियुक्त किया गया था, इसलिए इस दिन धन, सोना-चांदी खरीदना और दान करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

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इस दिन क्यों है हर कार्य शुभ

अक्षय तृतीया को हिंदू धर्म में स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया है। मान्यता के मुताबिक, इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए पंचांग या ज्योतिष सलाह की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि ग्रहों की स्थिति अत्यंत शुभ होती है।

इसलिए इस दिन पर गृह प्रवेश, व्यापार प्रारंभ, वाहन खरीद, नई संपत्ति खरीदना, विवाह तय करना जैसे महत्वपूर्ण कार्य बिना किसी संकोच के किए जा सकते हैं। धार्मिक मान्यता है कि, इस दिन किए गए कार्य स्थायी सफलता और अक्षय फल प्रदान करते हैं, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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