अक्षय तृतीया पर ही क्यों होते हैं बांके बिहारी जी के चरण दर्शन, जानें इसका रहस्य

अक्षय तृतीया हिन्दू धर्म में एक अत्यंत शुभ तिथि मानी जाती है, जो वैशाख माह की शुक्ल तृतीया को मनाई जाती है। इस दिन बांके बिहारी जी के चरण दर्शन विशेष रूप से अक्षय तृतीया के दिन होते हैं। जानें इसकी धार्मिक मान्यता और क्यों यह दिन विशेष माना जाता है।

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Kaushiki
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बांके बिहारी जी के चरण दर्शन
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वृंदावन स्थित बांके बिहारी जी के मंदिर में हर रोज भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो ठाकुर जी के दर्शन करने आते हैं। लेकिन एक विशेष दिन, अक्षय तृतीया के दिन, भक्तों को बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन का दुर्लभ अवसर मिलता है। यह दिन विशेष रूप से धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है।

अक्षय तृतीया हिन्दू धर्म में एक अत्यंत शुभ तिथि मानी जाती है, जो वैशाख माह की शुक्ल तृतीया को मनाई जाती है। यह दिन न केवल धार्मिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है, बल्कि इस दिन को विशेष रूप से बांके बिहारी जी के चरण दर्शन से भी जोड़ा जाता है। 

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चरण दर्शन से जुड़ी धार्मिक मान्यता

यह परंपरा स्वामी हरिदास जी की भक्ति से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, स्वामी हरिदास जी की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान कृष्ण (बांके बिहारी जी) ने उनकी सेवा के दौरान स्वर्ण मुद्रा का एक चमत्कारी उपहार दिया था।

स्वामी जी को हर रोज भगवान के चरणों से स्वर्ण मुद्रा प्राप्त होती थी, जिससे वे ठाकुर जी की सेवा और भोग का आयोजन करते थे।

इसी कारण से स्वामी जी ने भगवान के चरणों को ढक दिया था। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, यही कारण है कि पूरे साल भगवान के चरण नहीं दिखाए जाते, और केवल अक्षय तृतीया के दिन ही भक्तों को ये दर्शन होते हैं। स्वामी हरिदास जी ने भगवान श्री कृष्ण की सेवा और भक्ति में अपना जीवन समर्पित कर दिया था। 

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अक्षय तृतीया के दिन क्यों होते हैं चरण दर्शन

अक्षय तृतीया के दिन बांके बिहारी जी के चरण दर्शन की विशेषता यह है कि इस दिन भक्तों को भगवान के चरणों का दर्शन करने का अवसर मिलता है। अन्य दिनों में भगवान के चरण वस्त्रों से ढके रहते हैं। मान्यता  के मुताबिक, इस दिन भक्तों के लिए यह दर्शन एक अनुकंपा के रूप में माने जाते हैं, जिससे उनके सभी दुख समाप्त हो जाते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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अक्षय तृतीया के दिन विशेष पूजा

बता दें कि, अक्षय तृतीया का दिन वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और इसे विशेष रूप से शुभ माना जाता है। हर साल अक्षय तृतीया के दिन वृंदावन में लाखों श्रद्धालु जुटते हैं, इस आशा में कि उन्हें भगवान के दिव्य चरणों का दर्शन मिलेगा। इस दिन, ठाकुर जी के चरणों का पर्दा हटाया जाता है और भक्त सिर्फ कुछ क्षणों के लिए उनके चरणों का दर्शन कर सकते हैं। यह दर्शन भक्तों के लिए एक अत्यंत शुभ अवसर होता है, क्योंकि इसे भगवान की विशेष कृपा माना जाता है।

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अक्षय तृतीया 2025 का महत्व

इस साल अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी। यह दिन धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है और सोने की खरीदारी के लिए भी विशेष माना जाता है। श्रद्धालु इस दिन विशेष पूजा करते हैं और बांके बिहारी जी के चरण दर्शन कर अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने की कामना करते हैं।

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