जो आए बद्री, वो ना आए ओदरी, जानें बद्रीनाथ की इस प्रचलित कहावत के बारे में

बद्रीनाथ धाम का धार्मिक महत्व अत्यधिक है, जहां दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है। 4 मई 2025 को धाम के पवित्र कपाट खोले गए, जिससे चार धाम यात्रा सत्र की शुरुआत हुई।

author-image
Kaushiki
एडिट
New Update
बद्रीनाथ धाम.
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

बद्रीनाथ धाम, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है, जिसे चतुर्थ धाम के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान भगवान विष्णु के नर और नारायण अवतार का स्थल है।

यहां की एक प्रसिद्ध मान्यता है, "जो जाए बद्री, वो न आए ओदरी", जिसका अर्थ है कि जो व्यक्ति एक बार बद्रीनाथ धाम के दर्शन कर लेता है, उसे फिर से जन्म लेने की आवश्यकता नहीं होती और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

ये खबर भी पढ़ें... पुष्कर कुंभ 2025: 12 साल बाद बद्रीनाथ धाम के पास होगा ऐतिहासिक मेला, जानें इसका महत्व

4 मई को खुले बद्रीनाथ धाम

आपके बता दें कि, 4 मई 2025 को श्री बद्रीनाथ धाम के पवित्र कपाट औपचारिक रूप से तीर्थयात्रियों के लिए खोले गए, जिससे चार धाम यात्रा सत्र की शुरुआत हो गई। यह धाम हर साल लाखों श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित करता है, जो यहां भगवान विष्णु के दर्शन करने के लिए आते हैं।

Badrinath Temple History In Hindi Facts About Uttrakhand Badrinath Temple -  Amar Ujala Hindi News Live - बद्रीनाथ धाम जहां माता लक्ष्मी ने लिया बदरी  वृक्ष का रूप, जानिए बद्रीनाथ धाम से

बद्रीनाथ धाम का महत्व

बद्रीनाथ धाम को दूसरा बैकुंठ धाम भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, यहां के दर्शन से आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

हर साल लाखों श्रद्धालु इस पवित्र स्थान पर आते हैं, ताकि वे अपनी पूजा-अर्चना और दर्शन के माध्यम से पुण्य लाभ प्राप्त कर सकें। यहां की अखंड ज्योति को देखना एक विशेष पुण्य का काम माना जाता है।

भारी बर्फबारी के बीच खुले बद्रीनाथ धाम के कपाट, जयकारों के बीच नाचने लगे  श्रद्धालु - Badrinath Dham Kapat Uttarakhand opens today Char Dham yatra  ntc - AajTak

कैसे पड़ा बद्रीनाथ धाम का नाम

बद्रीनाथ धाम का नाम अलग-अलग युगों में विभिन्न रूपों में प्रचलित हुआ है, लेकिन वर्तमान में इसे बद्रीनाथ के नाम से जाना जाता है।

इस नाम के पीछे एक रोचक कथा भी जुड़ी हुई है, जिसमें इस पवित्र स्थल का नामकरण बेर के पेड़ों के कारण हुआ। कहा जाता है कि, यहां बहुतायत में बेर के पेड़ पाए जाते थे, जिनकी उपस्थिति ने इस धाम का नाम बद्रीनाथ रखने की प्रेरणा दी।

योग निद्रा में जा रहे भगवान विष्‍णु, 10 जुलाई से शुरू हो जाएगा चातुर्मास,  इन कार्यों पर रहेगी रोक - Lord Vishnu going into yoga nidra Chaturmas will  start from July 10

नामकरण की कथा

कथा के मुसाबिक, एक बार नारद मुनि भगवान विष्णु के दर्शन के लिए क्षीरसागर गए। वहां उन्होंने देखा कि भगवान विष्णु के पैर लक्ष्मी माता द्वारा दबाए जा रहे थे, जो उन्हें बहुत आश्चर्यचकित कर गया। नारद मुनि ने जब इस संदर्भ में भगवान विष्णु से पूछा, तो भगवान विष्णु ने स्वयं को दोषी ठहराया और तपस्या के लिए हिमालय चले गए।

हिमालय में तपस्या करते हुए जब भगवान विष्णु योग मुद्रा में लीन थे, उन पर बहुत अधिक हिमपात होने लगा और वे पूरी तरह बर्फ से ढक गए।

इस पर लक्ष्मी माता बहुत दुखी हुईं और वे बद्री के पेड़ के रूप में खड़ी हो गईं ताकि भगवान विष्णु की रक्षा कर सकें। इस प्रकार, बर्फ और बारिश का असर अब केवल बद्री के पेड़ पर होने लगा, और लक्ष्मी माता ने भगवान की रक्षा की।

कई वर्षों की तपस्या के बाद जब भगवान विष्णु की आंखें खुली, तो उन्होंने देखा कि लक्ष्मी माता बर्फ में ढकी हुई हैं। भगवान विष्णु ने कहा, "हे देवी! आपने मेरी तरह ही तप किया है। 

इस धाम पर अब आपकी भी पूजा की जाएगी। और क्योंकि, आपने बेर के पेड़ यानी बद्री के रूप में मेरी रक्षा की, इसलिए इस धाम का नाम 'बद्रीनाथ' रखा जाएगा।" इस तरह बद्रीनाथ धाम का नामकरण हुआ, जो आज भी श्रद्धालुओं के बीच अत्यधिक सम्मान और श्रद्धा का विषय है।

बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तारीख आई सामने, इस दिन से शुरू होगी चारधाम  यात्रा - Badrinath temple doors will open on 4 May Chardham Yatra will  start lclnt - AajTak

बद्रीनाथ धाम के कपाट की प्रक्रिया

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, बद्रीनाथ धाम के कपाट न केवल शीतकाल में बंद होते हैं, बल्कि ग्रीष्मकाल के दौरान भी इन कपाटों को रोज खोला और बंद किया जाता है। यह प्रक्रिया धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार बड़े ध्यान से की जाती है, जिसमें खास मुहूर्त का पालन किया जाता है।

कपाट बंद करते समय तीन ताले लगाए जाते हैं, जिनमें से एक ताला मंदिर समिति (BKTC) का, एक ताला मेहता थोक का और एक ताला भंडारी थोक का होता है।

ये खबर भी पढ़ें...चारधाम यात्रा के लिए नए नियम लागू, बद्रीनाथ में फोटो-वीडियो पर 5 हजार रुपए का जुर्माना

चारधाम की यात्रा का इंतजार हुआ खत्म, आज सुबह 6 बजे खुलेंगे बाबा बद्रीनाथ  धाम के कपाट - the doors of baba badrinath dham will open today at 6  am-mobile

कपाट खोलने की धार्मिक प्रक्रिया

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, हर साल मई में बद्रीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं। यह प्रक्रिया धार्मिक पद्धतियों के मुताबिक की जाती है, जिसमें सबसे पहले भगवान श्री गणेश और भगवान श्री बद्री विशाल का आह्वान किया जाता है।

इसके बाद, टिहरी महाराजा के प्रतिनिधि द्वारा पहला ताला खोला जाता है। फिर मेहता थोक और भंडारी थोक के प्रतिनिधि इसे खोलते हैं। इसके बाद गर्भगृह का ताला भी खोला जाता है।

इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद श्रद्धालु भगवान बद्री विशाल की अखंड ज्योति के दर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं।

ये खबर भी पढ़ें...  शुरू हो रही चारधाम यात्रा, जानें यात्रा में हेलीकॉप्टर, टैक्सी और बस का खर्च

ताला खोलने का मुहूर्त और परंपराएं

मान्यता के मुताबिक, इस प्रक्रिया में हर रोज मुहूर्त का ध्यान रखा जाता है। कपाट खोलने से पहले जिन चाबियों की पूजा होती है, उन चाबियों से गर्भगृह का ताला खोला जाता है।

यह प्रक्रिया पूरे ग्रीष्मकाल के दौरान रोज होती है, ताकि श्रद्धालु हर दिन के मुहूर्त में भगवान के दर्शन कर सकें।

ये खबर भी पढ़ें...चारधाम यात्रा में क्या है केदारनाथ मंदिर का महत्व, भगवान शिव से जुड़ी है मान्यताएं

बद्रीनाथ का रास्ता खुला | बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले | बद्रीनाथ धाम के दर्शन शुरू | धर्म ज्योतिष न्यूज | Badrinath Dham | Badrinath | The doors of Badrinath DhamThe doors of Badrinath Dham opened

बद्रीनाथ का रास्ता खुला The doors of Badrinath Dham opened बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले बद्रीनाथ धाम के दर्शन शुरू Badrinath बद्रीनाथ Badrinath Dham धर्म ज्योतिष न्यूज