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दीपावली का त्यौहार आते ही सबसे पहला काम जो शुरू होता है वो है घर की व्यापक साफ-सफाई। यह सफाई कोई साधारण काम नहीं बल्कि सदियों पुरानी एक पवित्र परंपरा है।
हमारे धर्म-शास्त्रों और वास्तु विज्ञान में यह स्पष्ट बताया गया है कि जहां स्वच्छता और पवित्रता होती है, वहीं सुख, समृद्धि और देवी-देवताओं का वास होता है।
मां लक्ष्मी धन और ऐश्वर्य की देवी हैं। ऐसी मान्यता है कि अमावस्या की रात, जब देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं तब वे केवल उन्हीं घरों में प्रवेश करती हैं, जो पूरी तरह से स्वच्छ और प्रकाशित होते हैं। इसीलिए दिवाली से पहले हर कोने को चमकाना हमारे आध्यात्मिक जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन जाता है।
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सकारात्मक ऊर्जा का आगमन
वास्तु शास्त्र के हिसाब से, किसी भी घर की ऊर्जा वहां रखी हुई चीजों पर निर्भर करती है। घर के हर कोने में जमा धूल, कबाड़ और बेकार सामान नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं और घर की सकारात्मकता को कम करते हैं।
ऊर्जा प्रवाह में बाधा:
घर के कोनों, छत या स्टोर-रूम में रखा हुआ कबाड़ हमारे जीवन में रुकावटों और ठहराव का प्रतीक होता है। दीवाली की साफ-सफाई इस रुकावट को दूर करने का एक शक्तिशाली आध्यात्मिक उपाय है। जब आप पुराने, टूटे और इस्तेमाल न होने वाले सामान को बाहर निकालते हैं तो आप नई ऊर्जा और नए अवसरों के लिए जगह बनाते हैं।
धन का मार्ग:
वास्तु के मुताबिक, घर के उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशाएं धन और कुबेर की मानी जाती हैं। इन दिशाओं को गंदगी से मुक्त और हल्का रखने से आर्थिक समृद्धि का मार्ग खुलता है।
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टूटी चीजों से दुर्घटना और तनाव
वास्तु कहता है कि घर में टूटे बर्तन, खंडित मूर्तियां या टूटा शीशा रखना बहुत अशुभ होता है। टूटा शीशा मानसिक तनाव और विवादों को जन्म दे सकता है।
बंद या खराब घड़ियां जीवन में प्रगति को रोक सकती हैं। ऐसे में दिवाली (दिवाली 2025) की साफ-सफाई के बहाने इन सभी नकारात्मक चीजों को हटाना अनिवार्य है ताकि घर और मन दोनों में शांति और समृद्धि का वास हो सके।
स्वास्थ्य और मन की शांति
दीपावली की साफ-सफाई का संबंध सिर्फ धन से नहीं, बल्कि हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से भी है।
रोग और जीवाणु से मुक्ति
दीपावली का समय बदलते मौसम, यानी सर्दी के आगमन का होता है। इस दौरान वातावरण में धूल, नमी और रोग फैलाने वाले जीवाणु सक्रिय हो जाते हैं। घर की पूरी सफाई, रंगाई-पुताई और लीपा-पोती करने से ये सभी कीटाणु और रोगकारक तत्व बाहर निकल जाते हैं। जब घर शुद्ध होता है, तो परिवार के सदस्य निरोगी रहते हैं।
मन की शुद्धि
गंदा और अस्त-व्यस्त घर हमारे मन पर भी बुरा असर डालता है। जब हम अपने आस-पास की चीज़ों को व्यवस्थित करते हैं, तो हमारे विचार भी व्यवस्थित और सकारात्मक हो जाते हैं। साफ-सफाई के बाद जब हम अपने घर को दीयों से सजाते हैं, रंगोली बनाते हैं और सुगंधित धूप जलाते हैं, तो यह सकारात्मक ऊर्जा हमारे मन को शांत करती है और हमें प्रसन्नता देती है।
तो इस तरह, दिवाली (मां लक्ष्मी का पूजन) की साफ-सफाई वास्तव में देवी लक्ष्मी के स्वागत की मानसिक और शारीरिक तैयारी है। यह हमारे घर और जीवन में अंधेरे को हटाकर सकारात्मकता और खुशहाली का प्रकाश भरने का सबसे पवित्र काम है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
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