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Karva Chauth 2025: हर साल की तरह इस साल भी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का पवित्र और बड़ा व्रत रखा जाएगा। इस बार यह पावन पर्व शुक्रवार, 10 अक्टूबर को पड़ रहा है।
यह दिन हर सुहागिन महिला के लिए बहुत ही खास होता है जब वह अपने पति की लंबी उम्र और सुख-सौभाग्य के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। दिनभर बिना अन्न-जल के रहने के बाद, रात को चंद्रदेव के दर्शन और उन्हें अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत खोला जाता है।
अगर आप भी इस साल यह व्रत रखने वाली हैं, तो आपको पूजा का शुभ मुहूर्त और रात को चांद निकलने का समय ठीक-ठीक जान लेना चाहिए। ताकि आपकी पूजा में कोई कमी न रहे। आइए जानें...
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पूजा का शुभ मुहूर्त
द्रिक पंचांग के मुताबिक, करवा चौथ (Karwa Chauth) के दिन सूर्य उदय होने के समय स्नान करके महिलाएं व्रत का संकल्प लेती हैं।
व्रत शुरू होने का समय (उपवास आरंभ): सुबह 6 बजकर 18 मिनट से।
व्रत समाप्त होने का समय (चंद्र दर्शन तक): रात 8 बजकर 12 मिनट तक।
यानी, इस बार व्रती महिलाओं को करीब 14 घंटे तक भूखा-प्यासा रहकर करवा माता की आराधना करनी होगी। यह व्रत पति-पत्नी के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक है।
करवा चौथ के दिन शाम की पूजा का विशेष महत्व होता है।
शाम के समय चौथ माता, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस पूजा के बिना व्रत अधूरा माना जाता है।
करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त
इस बार शाम की पूजा के लिए आपको बहुत कम समय मिलेगा। पूजा का शुभ मुहूर्त केवल सवा घंटे तक ही रहेगा।
पूजा शुरू होने का समय: शाम 5 बजकर 56 मिनट।
पूजा समाप्त होने का समय: शाम 7 बजकर 10 मिनट।
इस शुभ समय में आप पूरे विधि-विधान से पूजा करके अपनी मनोकामनाएँ पूरी कर सकती हैं।
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कितने बजे दिखेंगे चांद
पूरे दिन के उपवास के बाद, हर महिला को सबसे ज़्यादा इंतजार चांद के दर्शन का ही होता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।
चंद्रमा उदय होने का समय: रात 8 बजकर 14 मिनट।
हालांकि, यह समय द्रिक पंचांग के मुताबिक है और भारत के अलग-अलग शहरों में चांद निकलने का समय थोड़ा-बहुत अलग हो सकता है। इसलिए, आप अपने शहर का सटीक समय जानने के लिए स्थानीय पंचांग या विश्वसनीय स्रोत की मदद जरूर लें।
करवा चौथ की पूजन विधि
अगर आप पहली बार व्रत रख रही हैं, तो यहां करवा चौथ की सरल पूजा विधि बताई गई है:
सरगी खाकर संकल्प:
सुबह सूर्योदय से पहले उठकर सरगी (सरगी में फल और सूखे मेवे होते हैं) खाएं। इसके बाद स्नान करके भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करें और निर्जला व्रत का संकल्प लें।
पूजा की तैयारी:
दिन भर भजन-कीर्तन में मन लगाएं। शाम को पूजा के लिए एक लाल कपड़ा बिछाएँ और उस पर सभी देवी-देवताओं की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
विधिपूर्वक पूजा:
उनके सामने दीपक जलाएं और चावल, रोली, फूल, मिठाई, और करवे में जल भरकर अर्पित करें।
करवा चौथ व्रत:
दोपहर या शाम के समय सभी सुहागिन महिलाएं एक साथ बैठकर करवा चौथ की कथा सुनें। कथा सुनना बहुत जरूरी माना गया है।
करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय:
रात को शुभ मुहूर्त में जब चांद निकल आए, तब छन्नी से पहले चंद्रमा के दर्शन करें, फिर उसी छन्नी से अपने पति का चेहरा देखें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें और अपने पति के हाथ से जल पीकर (पारण करके) उपवास खोलें।
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