हरियाली और हरतालिका तीज में क्या है अंतर, जानें इन पावन व्रतों की तारीखें और महत्व

हरियाली तीज और हरतालिका तीज दोनों भगवान शिव-पार्वती को समर्पित हैं, पर इनके महत्व, मनाने के तरीके और तिथियों में अंतर है। जानें इन पावन व्रतों की खास बातें।

author-image
Kaushiki
New Update
hariyali-hartalika-teej-difference
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

हिंदू धर्म में तीज के व्रत का विशेष महत्व है, खासकर सुहागिन महिलाओं के लिए। ये व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के अटूट प्रेम और मिलन को समर्पित हैं। साल में कई तीज आती हैं, जिनमें हरियाली तीज और हरतालिका तीज प्रमुख हैं।

हालांकि, कई लोग इन दोनों व्रतों के बीच के अंतर को लेकर असमंजस में रहते हैं। तो ऐसे में यह लेख आपको इन दोनों महत्वपूर्ण पर्वों के बीच के बारीक अंतरों, उनके महत्व और इस साल की शुभ तिथियों के बारे में विस्तार से जानकारी देगा।

ये दोनों ही व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्य और सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए रखती हैं। इनके पीछे की पौराणिक कथाएं और मनाने की परंपराएं थोड़ी भिन्न हैं, जो इन्हें एक-दूसरे से अलग बनाती हैं। आइए, इन दोनों पावन व्रतों को गहराई से समझते हैं।

शुभ तिथियां

Teej Festival in India – Meaning, Types & Celebration in Jaipur

त्योहारों की तारीखें हिंदू पंचांग के मुताबिक तय होती हैं, जो हर साल थोड़ी बदल सकती हैं।

  • हरियाली तीज 2025: इस साल हरियाली तीज का पर्व 27 जुलाई 2025 को मनाया जाएगा।
  • हरतालिका तीज 2025: वहीं, हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त 2025 को रखा जाएगा।
  • इन तिथियों को ध्यान में रखते हुए, भक्तजन इन पावन व्रतों की तैयारियां कर सकते हैं और भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

ये खबर भी पढ़ें...हरियाली तीज कल, ऐसे करें मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा, जानें व्रत के 10 जरूरी नियम

हरियाली तीज के दिन सुहागिनें जरूर करें ये काम, पति-पत्नी का रिश्ता होगा  मजबूत

हरियाली तीज

हरियाली तीज सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है।

शास्त्रों के मुताबिक, इसी दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए वर्षों की कठोर तपस्या के बाद उन्हें स्वीकार किया था। यह प्रकृति और प्रेम के मिलन का उत्सव है, जिसे वर्षा ऋतु की हरियाली के बीच मनाया जाता है।

24 अगस्त को है हरतालिका तीज, सिर्फ 1 घंटा 56 मिनट है पूजा का मुहूर्त -  dharma hartalika teej time and date significance tdha - AajTak

हरियाली तीज की 5 बातें

मिलन का पर्व: यह भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की खुशी में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन शिवजी ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था, जिससे उनका दांपत्य जीवन पूर्ण हुआ।

पति की लंबी आयु: सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति के लिए यह व्रत रखती हैं। यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने वाला माना जाता है।

सोलह श्रृंगार: इस दिन सुहागिन स्त्रियां विशेष रूप से सोलह श्रृंगार करती हैं। हरे रंग के वस्त्र, हरी चूड़ियां और मेहंदी का विशेष महत्व होता है। यह हरियाली और समृद्धि का प्रतीक है।

झूले और लोक गीत: हरियाली तीज का पर्व झूलों और लोक गीतों के बिना अधूरा है। महिलाएं सावन के मौसम का आनंद लेते हुए पेड़ों पर झूले डालती हैं और तीज के गीत गाती हैं।

उमा-महेश पूजा: इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती (जिन्हें उमा-महेश के नाम से भी जाना जाता है) की विधि-विधान से पूजा की जाती है। महिलाएं पूजा के दौरान व्रत कथा सुनती हैं और उनसे अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मांगती हैं।

क्या पहनें: हरियाली तीज पर हरे रंग का विशेष महत्व है क्योंकि यह पर्व सावन मास में आता है, जब प्रकृति चारों ओर हरी-भरी होती है। हरा रंग प्रकृति की समृद्धि, खुशहाली और नवजीवन का प्रतीक है। इस दिन सुहागिन महिलाएं हरे वस्त्र और हरी चूड़ियां पहनकर भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। 

ये खबर भी पढ़ें... कब है हरियाली तीज 2025, भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा में किस सामग्री का है महत्व, यहां देखें पूरी लिस्ट

Hartalika Teej is on 6th September

हरतालिका तीज

हरतालिका तीज भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत हरियाली तीज से भी अधिक कठोर माना जाता है और इसका संबंध माता पार्वती की घोर तपस्या से है।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, माता पार्वती ने भगवान शिव (भगवान शिव का पूजन) को पति रूप में पाने के लिए जंगल में जाकर बिना अन्न और जल के कठोर तपस्या की थी। उन्होंने बालू का शिवलिंग बनाकर उसका पूजन किया था।

Hartalika Teej 2023: हरतालिका तीज में रात्रि जागरण क्यों है जरूरी, इन  मंत्रों के जाप की क्या है मान्यता? | Hartalika Teej 2023 Ratri Jagran  Importance Manyata and Mahatva in Hindi

हरतालिका तीज की 5 बातें

कठोर तपस्या का प्रतीक: यह व्रत माता पार्वती की उस घोर तपस्या का स्मरण कराता है, जो उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए की थी। यह व्रत समर्पण और कठोर संकल्प का प्रतीक है।

अखंड सौभाग्य: सुहागिन स्त्रियां यह व्रत अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से दांपत्य जीवन में कोई बाधा नहीं आती।

निर्जीला व्रत: हरतालिका तीज का व्रत निर्जला यानी बिना अन्न और जल ग्रहण किए रखा जाता है, जो इसकी कठोरता को दर्शाता है। यह व्रत अगले दिन सुबह पूजा के बाद ही खोला जाता है।

बालू के शिवलिंग का पूजन: इस दिन महिलाएं विशेष रूप से बालू या मिट्टी से बने भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमाओं का पूजन करती हैं। यह परंपरा माता पार्वती के जंगल में शिवलिंग बनाकर पूजा करने की कथा से जुड़ी है।

कुंवारी कन्याओं का व्रत: सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए कुंवारी लड़कियां भी यह व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से उन्हें भगवान शिव जैसा पति मिलता है।

क्या पहने: हरतालिका तीज व्रत पर हरे रंग का कोई विशेष बंधन नहीं होता, हालांकि महिलाएं कोई भी पारंपरिक और शुभ रंग, विशेषकर लाल रंग, पहन सकती हैं। हरतालिका तीज का महत्व तपस्या और अखंड सौभाग्य से जुड़ा है, न कि किसी विशेष रंग से।

thesootr links

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬

👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧

हरतालिका तीज के नियम | हरतालिका तीज पूजन विधि | कल है हरियाली तीज | हरियाली तीज hariyali teej | धर्म ज्योतिष न्यूज | Lord Shiva | सावन का महीना | सावन माह का शुभारंभ

Lord Shiva भगवान शिव हरतालिका तीज पूजन विधि कल है हरियाली तीज हरियाली तीज hariyali teej सावन माह का शुभारंभ सावन का महीना हरतालिका तीज के नियम हरतालिका तीज व्रत हरतालिका धर्म ज्योतिष न्यूज भगवान शिव का पूजन