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Latest Religious News: इस साल दिवाली की तारीख को लेकर थोड़ी उलझन है, क्योंकि अमावस्या तिथि 20 और 21 अक्टूबर दोनों दिन पड़ रही है। वहीं, जब बात अयोध्या की हो तो यह पर्व सिर्फ तिथि नहीं बल्कि भगवान श्री राम के आगमन का उत्सव बन जाता है।
अयोध्या की दिवाली पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। खासकर यहां के घाटों और राम की पैड़ी पर जलने वाले लाखों दीयों के कारण, जो हर साल एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हैं।
परंपरा के मुताबिक, अयोध्या में दिवाली 20 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। जबकि विश्व प्रसिद्ध दीपोत्सव का भव्य आयोजन 19 अक्टूबर को होगा, जिसमें लाखों दीये जलाए जाएंगे।
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अयोध्या में लक्ष्मी पूजा की सही तारीख
ज्योतिषीय गणना और परंपरा के मुताबिक, अयोध्या में दिवाली का पर्व 20 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। इसी दिन अमावस्या तिथि के साथ-साथ प्रदोष काल का शुभ संयोग बन रहा है जो लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
शुभ मुहूर्त:
दिवाली पूजा (लक्ष्मी पूजन) का शुभ मुहूर्त: 20 अक्टूबर 2025 की शाम 07:16 बजे से रात 08:25 बजे तक रहेगा।
निशिता मुहूर्त (तांत्रिक पूजा के लिए): देर रात 11:46 बजे से 12:37 बजे तक रहेगा।
दीपोत्सव का भव्य आयोजन
अयोध्या की दिवाली का मुख्य आकर्षण है दीपोत्सव। यह वह विशेष उत्सव है जो भगवान श्री राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। इस साल दीपोत्सव का भव्य आयोजन एक दिन पहले, यानी 19 अक्टूबर को किया जाएगा।
इस साल अयोध्या प्रशासन ने पिछले साल का रिकॉर्ड तोड़ने का लक्ष्य रखा है। पिछले साल 25 लाख दीये जलाए गए थे। ऐसे में इस बार 26 लाख 11 हजार 101 दीये जलाकर एक नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित करने की तैयारी है।
दीपोत्सव की तैयारियां 19 अक्टूबर की सुबह से ही शुरू हो जाएंगी। शाम 7 बजे से लाखों दीये एक साथ प्रज्वलित किए जाएंगे। इसके अलावा, सरयू नदी के किनारे भव्य आरती होगी। रामलीला का मंचन होगा और साथ ही लेजर लाइट शो के साथ ग्रीन आतिशबाजी भी देखने को मिलेगी।
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क्यों है अयोध्या की दिवाली सबसे खास
अयोध्या श्री राम मंदिर की दिवाली इसलिए खास है, क्योंकि इसी नगरी से इस पावन पर्व की शुरुआत हुई थी। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जब भगवान श्री राम लंकापति रावण का वध करके 14 साल बाद अयोध्या लौटे थे, तो यहां के लोगों ने खुशी और स्वागत में पूरी नगरी को घी के दीयों से जगमग कर दिया था।
कहते हैं कि तभी से हर साल कार्तिक अमावस्या को दिवाली का पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई। इसलिए, अयोध्या को दिवाली पर्व का आध्यात्मिक केंद्र और उद्गम स्थल माना जाता है।
यह दीपोत्सव सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को रामलला की नगरी से शांति, प्रेम और विजय का संदेश देने का एक भव्य और ऐतिहासिक तरीका है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। धार्मिक अपडेट | Hindu News
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