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Latest Religious News:लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का तीसरा दिन सबसे खास होता है। छठ पूजा सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि यह सूर्य देव और छठी मैया के प्रति आस्था और कृतज्ञता जाहिर करने का एक तरीका है। खरना पूजन के बाद, व्रतियों ने विशेष प्रसाद ग्रहण करके 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करते हैं।
इसी पवित्र दिन एक बहुत ही खास रस्म निभाई जाती है, जिसे कोसी भरना कहते हैं। कोसी गन्नों से बनी एक छत की तरह होती है, जिसके नीचे प्रसाद और दीपक रखे जाते हैं।
कोसी की परंपरा
यह परंपरा छठी मैया के प्रति आस्था, कृतज्ञता और संतान की दीर्घायु के लिए पूरी की जाती है। यह अनुष्ठान इस महापर्व के धार्मिक महत्व को और बढ़ा देता है।
आज (27 अक्टूबर) का दिन, छठ महापर्व में संध्या अर्घ्य का है। आज शाम को व्रती जल में खड़े होकर अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे।
यह एक अनोखी परंपरा है, जहां डूबते सूर्य (happy chhat puja) की भी पूजा की जाती है। इस व्रत का समापन कल, 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद किया जाएगा। आइए, जानें कि यह कोसी क्या होती है और इसे क्यों भरा जाता है।
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कोसी क्या है और इसे क्यों भरा जाता है
सरल भाषा में कहें तो कोसी, छठ पूजा की एक बेहद विशेष परंपरा और पूजन विधि है। इसमें, गन्नों से एक छोटी छतरी के आकार की संरचनाएं बनाई जाती है। इस छतरी के नीचे मिट्टी का हाथी और एक कलश (या घड़ा) रखा जाता है।
इसमें ठेकुआ, फल, मूली, अदरक जैसे छठ के प्रसाद और पूजा की अन्य सामग्री रखी जाती है। इसके साथ ही, कई दीपक जलाए जाते हैं। यह कोसी मुख्य रूप से छठ पूजा के तीसरे दिन, यानी संध्या अर्घ्य के समय भरी जाती है।
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क्यों भरी जाती है कोसी
कोसी भरने के पीछे धार्मिक मान्यताएं और गहरी आस्था जुड़ी हुई है। यह मुख्य रूप से आस्था और कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है।
मन्नत पूरी होने पर:
जब भक्तों की कोई मनोकामना पूरी हो जाती है। जैसे संतान की प्राप्ति, नौकरी या किसी बड़ी बाधा का दूर होना, तब वे छठी मैया को आभार जताने के लिए कोसी भरते हैं।
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संतान और परिवार के लिए:
लोग यह परंपरा परिवार में सुख-समृद्धि, संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी करते हैं। यह पूजा महिलाओं की अटूट आस्था को दर्शाती है।
सुरक्षा कवच:
कोसी के घेरे को पारिवारिक एकता (छठ पूजा का महत्व) और एक तरह का सुरक्षा कवच माना जाता है। वहीं, गन्नों से बनी छतरी को छठी मैया की कृपा और आशीर्वाद का प्रतीक कहा जाता है।
यह कोसी पूजा बताती है कि कैसे भक्त अपनी मन्नत पूरी होने पर पूरे दिल से छठी मैया के चरणों में अपना आभार अर्पित करते हैं।
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कोसी भरने की विधि
कोसी भरने की विधि बहुत ही पवित्र और परंपरागत है।
आधार की तैयारी:
सबसे पहले एक सूप या टोकरी को छठ प्रसाद और सामग्री से सजाया जाता है।
गन्नों की छतरी:
इसके चारों ओर 5 या 7 गन्ने खड़े किए जाते हैं, जिनसे एक छतरीनुमा संरचना बनाई जाती है। ये गन्ने जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु, आकाश जैसे पंच तत्वों का प्रतीक माने जाते हैं।
हाथी और कलश:
टोकरी के बीच में मिट्टी का हाथी रखा जाता है, जिस पर सिंदूर लगाकर उसे सजाया जाता है। इस हाथी के ऊपर घड़ा (या कलश) रखा जाता है।
प्रसाद:
इस घड़े और सूप में ठेकुआ, फल, मूली, अदरक, गन्ना, नारियल जैसे सभी छठ के प्रसाद भरे जाते हैं।
दीपक प्रज्वलित करना:
घड़े और हाथी के ऊपर 12 दीये रखे जाते हैं। इन सभी दीयों को घी और बत्ती डालकर जलाया जाता है। माना जाता है कि ये 12 दीये 12 मास और चौबीस घड़ी के प्रतीक होते हैं, जो छठी मैया से सालभर कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करते हैं। यह छठ पूजा की विधि कोसी भरने के बाद, इसे संध्या अर्घ्य के समय सूर्य देव को अर्पित किया जाता है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। धार्मिक अपडेट | Hindu News | dharm news today
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