/sootr/media/media_files/2025/10/27/hindu-festivals-2025-chhat-puja-parana-vidhi-ugte-surya-arghya-2025-10-27-12-12-19.jpg)
Latest Religious News:लोक आस्था के सबसे बड़े पर्व छठ पूजा के समापन का समय आ गया है। पिछले दो दिनों से, छठी मैया और सूर्य देव के प्रति अटूट आस्था का जो नजारा दिखा, वह अद्भुत है। 27 अक्टूबर को व्रतियों ने नदी-घाटों पर खड़े होकर डूबते सूर्य (अस्ताचलगामी सूर्य) को संध्या अर्घ्य दिया।
आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद, यह 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत पूरा हो जाएगा।
इस अंतिम अर्घ्य को उषा अर्घ्य भी कहा जाता है। यही वह क्षण है जब व्रती सूर्य देव से अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी उम्र का अंतिम आशीर्वाद लेते हैं।
/sootr/media/post_attachments/images/newimg/20052021/20_05_2021-surya_21659871-509362.jpg)
उगते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व
छठ पूजा की सबसे खास बात यह है कि इसमें डूबते और उगते, दोनों ही सूर्य की पूजा होती है।
जीवन और ऊर्जा का प्रतीक:
उगता सूर्य जीवन, नई शुरुआत और ऊर्जा का प्रतीक है। व्रती सूर्य देव से प्रार्थना करते हैं कि जिस तरह हर सुबह सूर्य उदय होता है, उसी तरह उनके जीवन में भी हमेशा प्रकाश, आरोग्य और खुशहाली बनी रहे। कहा जाता है कि अस्ताचलगामी और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के दौरान इसकी रोशनी के प्रभाव में आने से कोई चर्म रोग नहीं होता और इंसान निरोगी रहता है।
कृतज्ञता:
यह अर्घ्य छठी मैया और सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता जाहिर करने का अंतिम मौका होता है कि उन्होंने व्रती को इस कठिन व्रत को सफलतापूर्वक पूरा करने की शक्ति दी।
/sootr/media/post_attachments/wp-content/uploads/2021/11/surya-arghya-Final-44-913468.jpg)
व्रत का फल:
मान्यता है कि उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही छठ व्रत का संपूर्ण फल मिलता है और व्रती की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, उषा अर्घ्य देने के बाद ही छठ व्रत का संपूर्ण फल मिलता है। कहा जाता है कि इस अंतिम अर्घ्य के बाद छठी मैया व्रतियों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। उनके बच्चों को लंबी उम्र और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
/sootr/media/post_attachments/content/2024/Nov/403757687_1438416546739015_7538341674274268800_n_672cbfeae8498-897973.jpg?w=1200&h=900&cc=1&webp=1&q=75)
ये खबर भी पढ़ें...
Akshara Singh ने नहाय-खाय से की छठ पूजा की शुरुआत, सादगी भरे अंदाज ने जीता फैंस का दिल
36 घंटे का निर्जला व्रत कैसे होता है पूरा
28 अक्टूबर 2025 की सुबह, उषा अर्घ्य (छठ पूजा की विधि) देने के साथ ही छठ महापर्व (happy chhath puja)
का विधिवत समापन हो जाएगा। अर्घ्य देने के बाद व्रती अपने व्रत को तोड़ते हैं, जिसे पारण कहते हैं।
अर्घ्य की तैयारी:
सुबह सूर्य उदय होने से पहले ही व्रती घाट पर पहुंच जाते हैं। वे सूप और दउरा (बांस की टोकरी) में ठेकुआ, फल, गन्ना, नारियल और अन्य सभी छठ प्रसाद सजाकर रखते हैं।
अर्घ्य देना:
सूर्य उदय होते ही, व्रती पानी में खड़े होकर, दूध और जल के मिश्रण से सूर्य देव को तीन बार अर्घ्य देते हैं। इस दौरान छठी मैया और सूर्य देव का ध्यान किया जाता है।
ये खबर भी पढ़ें...
छठ पूजा के दूसरे दिन खरना प्रसाद में आम की लकड़ी क्यों है जरूरी? जानें शुद्धता के आशीर्वाद का रहस्य
/sootr/media/post_attachments/wp-content/uploads/2023/11/07novjbp51-209093.jpg)
पारण करना:
घाट से वापस घर आकर, व्रती सबसे पहले छठी मैया का प्रसाद खाते हैं, जिसमें आमतौर पर अदरक और नींबू का सेवन किया जाता है। इसके बाद ठेकुआ, फल और बाकी छठ प्रसाद खाया जाता है। इसी के साथ 36 घंटे का महाव्रत पूर्ण होता है।
शुभकामनाएं:
इसके बाद, व्रती परिवार के सभी बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं और आस-पड़ोस में छठ का प्रसाद बांटते हैं, जिसे छठी का प्रसाद कहते हैं। इस प्रसाद को खाने से आरोग्य और सौभाग्य मिलता है।
इस प्रकार, छठ महापर्व (छठ पूजा का महत्व) अपने अंतिम चरण में, एक महान पवित्रता, धैर्य और आस्था का संदेश देते हुए संपन्न होता है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।धार्मिक अपडेट | Hindu News | dharm news today
ये खबर भी पढ़ें...
Sandhya Arghya 2025: आज छठ पूजा का तीसरा दिन, क्या सिखाता है डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान ?
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us