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Latest Religious News: दिवाली से ठीक एक दिन पहले हम सब छोटी दिवाली मनाते हैं। इसे धार्मिक भाषा में नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन की रौनक दीयों से शुरुआत होती है। वहीं एक परंपरा है जो इसे और भी खास बनाती है।
वह है गाय के गोबर के दीये जलाना। क्या आपने कभी सोचा है कि गाय के गोबर को इतना पवित्र क्यों माना जाता है। आइए, ज्योतिषाचार्यों की मदद से जानते हैं इस प्राचीन और महत्वपूर्ण रहस्य के बारे में।
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नरक चतुर्दशी शुभ मुहूर्त
पूजा और दीपोत्सव
19 अक्टूबर 2025 (शनिवार)
प्रदोष काल में पूजा की जाती है। चतुर्दशी तिथि की पूजा और दीपोत्सव का मुख्य आयोजन इसी दिन सूर्यास्त के बाद (प्रदोष काल) में होता है।
यम दीप दान
19 अक्टूबर 2025 (शनिवार)
सूर्यास्त के ठीक बाद (प्रदोष काल)। घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके सरसों के तेल का एक बड़ा दीया जलाया जाता है। यमराज के लिए यह दीप दान करने से घर-परिवार से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
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अभ्यंग स्नान (रूप चौदस स्नान)
20 अक्टूबर 2025 (रविवार)
शुभ मुहूर्त: सुबह 05:13 बजे से 06:25 बजे तक। इस खास मुहूर्त में उबटन लगाकर स्नान (तेल से स्नान) करने से रूप और सौंदर्य में वृद्धि होती है। इसलिए इस दिन को रूप चौदस भी कहते हैं।
छोटी दिवाली पूजा मुहूर्त
सर्वार्थ सिद्धि योग
20 अक्टूबर को सुबह अभ्यंग स्नान के समय। इस शुभ योग (छोटी दिवाली पूजा विधि) में स्नान और दीप जलाना अत्यंत फलदायी होता है और माना जाता है कि सभी कार्य सफल होते हैं।
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गोबर के दीयों का धार्मिक महत्व
दिवाली 2025 नरक चतुर्दशी के दिन गोबर के दीये जलाने की परंपरा बहुत पुरानी है। इसके पीछे धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों तरह के कारण छिपे हैं:
नकारात्मकता का नाश
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि गाय के गोबर में विशेष पवित्रता होती है। गोबर से बने दीये जलाने से घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है और वातावरण शुद्ध होता है। यह घर में सुख-शांति और सकारात्मकता लाता है।
यमराज का आशीर्वाद और भय से मुक्ति
यह सबसे बड़ा कारण है। नरक चतुर्दशी को यम चतुर्दशी भी कहते हैं क्योंकि यह दिन मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन गाय के गोबर का दीया जलाकर यमराज को समर्पित करता है उसे नरक के द्वार से नहीं गुजरना पड़ता। यमराज उसे अकाल मृत्यु के भय से मुक्त करके दीर्घायु का आशीर्वाद देते हैं।
यमराज का दीप और दक्षिण दिशा
नरक चतुर्दशी पर दीये जलाते समय दिशा का खास ध्यान रखा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, दक्षिण दिशा यमराज की दिशा होती है। इसलिए, गाय के गोबर के दीये विशेष रूप से घर के मुख्य द्वार पर या बाहर की तरफ दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाए जाते हैं। यह दीप नकारात्मकता को घर से बाहर रखता है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, छोटी दिवाली पर गोबर के कम से कम चार छोटे दीये जलाना बहुत शुभ होता है। अगर जगह कम हो तो श्रद्धा से सिर्फ एक दीया जलाना भी काफी है।
इस नरक चतुर्दशी और छोटी दिवाली पर आप भी गाय के गोबर के दीये जलाइए और भगवान श्रीकृष्ण और यमराज का आशीर्वाद पाकर अपने जीवन में सुख और शांति लाइए।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। धार्मिक अपडेट | Hindu News
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