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Latest Religious News: हिंदू धर्म में भगवान की मूर्ति को सीधे भगवान का ही रूप माना जाता है। इसलिए जब कोई मूर्ति पुरानी हो जाती है, टूट जाती है या खराब हो जाती है, तो उसे हटाते समय भी सही तरीका अपनाना जरूरी होता है। दिवाली पर ज़्यादातर लोग नई मूर्तियां घर में लाते हैं। ऐसे में पुरानी मूर्तियों को सम्मान के साथ कैसे विसर्जित करना है, ये जानना जरूरी है।
पुरानी, टूटी मूर्तियों का क्या करें
मान्यता के मुताबिक, अगर आपके पास मिट्टी, प्लास्टर ऑफ पेरिस या ऐसी कोई मूर्ति है जो खंडित हो गई है। अब आप उसकी पूजा नहीं कर सकते, तो उसका विसर्जन ही सबसे सही तरीका है।
पूरी श्रद्धा से क्षमा मांगें:
सबसे पहले, मूर्ति की पूजा करें, धूप-दीप दिखाएं और हाथ जोड़कर उनसे अनजाने में हुई गलतियों या भूल के लिए क्षमा याचना करें। इसे 'विसर्जन संकल्प' कहते हैं।
सम्मानजनक विसर्जन:
इन मूर्तियों को किसी पवित्र नदी या साफ जल स्रोत में ही विसर्जित करना सबसे अच्छा माना जाता है।
घर पर विसर्जन का तरीका:
अगर नदी या साफ जल स्रोत दूर है तो आप मूर्ति को एक साफ मिट्टी के गमले में जो सिर्फ पौधों के लिए इस्तेमाल होता है, सम्मान के साथ दबा सकते हैं। ध्यान रखें कि वह जगह साफ-सुथरी हो। मूर्तियों को कभी भी अशुद्ध जगह पर नहीं फेंकना चाहिए।
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पीतल, तांबे की मूर्तियों का क्या करें
मान्यता के मुताबिक, जो मूर्तियां पीतल, तांबा या किसी अन्य मजबूत धातु की बनी होती हैं, उनका विसर्जन जल में करना सही नहीं माना जाता है। क्योंकि धातु जल प्रदूषण फैला सकती है। इसके लिए आप
दान
धातु की पुरानी मूर्तियों को हटाने का सबसे अच्छा और धार्मिक तरीका है, उन्हें किसी मंदिर या पुजारी को दान कर देना। अक्सर, मंदिरों में पुरानी मूर्तियों को रखा जाता है या उनकी देखभाल की जाती है।
फिर से उपयोग
अगर मूर्ति खंडित हो गई है, तो आप इसे किसी सुनार या कारीगर के पास ले जाकर गला सकते हैं। उस धातु से पूजा की कोई दूसरी वस्तु (जैसे दीया, घंटी, या नया बर्तन) बनवा सकते हैं। इस तरह मूर्ति की पवित्रता बनी रहती है और धातु का दुरुपयोग नहीं होता।
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साफ-सफाई और उपयोग
अगर मूर्ति खंडित नहीं है बस पुरानी या काली पड़ गई है, तो आप उसे नींबू, सिरका या पीताम्बरी पाउडर से अच्छी तरह साफ करें। उसे चमकाकर फिर से पूजा के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
धार्मिक वस्तुएं और मालाएं
मूर्तियों के अलावा, पुराने लाल कपड़े, मालाएं, या पूजा में इस्तेमाल हुई कलावा को भी सम्मान से या तो किसी पेड़ की जड़ में रखा जाता है या उन्हें पानी में विसर्जित किया जाता है। किसी भी पवित्र वस्तु का अनादर नहीं होना चाहिए।
मान्यता के मुताबिक, धातु की मूर्ति को खंडित नहीं माना जाता, सिर्फ अगर उसका कोई हिस्सा अलग हो जाए तो उसे हटाते हैं। सामान्य टूट-फूट या रंग उड़ने पर उसे साफ करके फिर से पूजा में शामिल करना सबसे शुभ होता है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। धार्मिक अपडेट | Hindu News
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