राम जी की विजय, महावीर जी के मोक्ष और गुरु हरगोबिंद जी की रिहाई का महापर्व, जानें दिवाली का इतिहास

दिवाली भारत का सबसे बड़ा त्योहार है, लेकिन यह सिर्फ भगवान राम की वापसी का उत्सव नहीं है। जैन धर्म इसे महावीर स्वामी का मोक्ष दिवस, सिख धर्म इसे बंदी छोड़ दिवस के तौर पर मनाते हैं। प्रकाश का यह त्योहार हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक एकता का प्रतीक है।

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Kaushiki
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Latest Religious News: पूरे देश में दिवाली का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। ज्यादातर लोग जानते हैं कि यह भगवान राम के 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। अयोध्यावासियों ने उस काली अमावस्या की रात को घी के दीयों से जगमगा दिया था और तभी से यह परंपरा बन गई।

तो ऐसे में क्या आप जानते हैं कि यह प्रकाश का त्योहार सिर्फ हिंदू धर्म तक ही सीमित नहीं है। दिवाली असल में अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और निराशा पर आशा की जीत का प्रतीक है। यही वजह है कि जैन धर्म, सिख धर्म और बौद्ध धर्म के लोग भी इस दिन को खास तरीके से मनाते हैं। आइए जानें दिवाली का इतिहास...

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हिंदू धर्म: राम की विजय, लक्ष्मी का आगमन

हिंदू धर्म में दिवाली 2025 एक दिन का नहीं बल्कि पांच दिनों का पर्व है जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है।

  • भगवान राम की अयोध्या वापसी

    यह सबसे प्रसिद्ध कहानी है। त्रेता युग में, रावण को मारने के बाद भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। उनकी विजय यात्रा और घर वापसी का उत्सव मनाने के लिए ही लोगों ने दीये जलाए थे। यह कथा बताती है कि अंत में बुराई पर धर्म की ही जीत होती है।

  • देवी लक्ष्मी की पूजा 

    दिवाली की मुख्य रात को धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी माता लक्ष्मी और ज्ञान के देवता गणेश जी की पूजा होती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक इसी दिन माता लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं। व्यापार से जुड़े लोग इस रात को अपने नए बही-खातों की शुरुआत करते हैं। मां से सालभर की समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं।

  • भगवान कृष्ण और नरकासुर

    दिवाली से ठीक एक दिन पहले, जिसे छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी कहते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण ने अत्याचारी राक्षस नरकासुर का वध किया था और उसकी कैद से 16 हजार महिलाओं को मुक्त कराया था। यह भी अन्याय पर न्याय की जीत का एक बड़ा संदेश देता है।

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दीपावली 2021: भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस

जैन धर्म: महावीर स्वामी का मोक्ष दिवस

जैन धर्म के लिए दिवाली का महत्व हिंदू धर्म से भी गहरा और आध्यात्मिक है। जैन इसे मुख्य रूप से भगवान महावीर के मोक्ष (निर्वाण) दिवस के रूप में मनाते हैं।

  • मोक्ष की प्राप्ति: 

    मान्यता के मुताबिक, जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर वर्धमान महावीर को 527 ईसा पूर्व में कार्तिक माह की अमावस्या (दिवाली के दिन) पर मोक्ष मिला था। मोक्ष का अर्थ है, जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर ज्ञान प्राप्त करना।

  • दिये जलाने का कारण: 

    मान्यता के मुताबिक, जब महावीर स्वामी ने निर्वाण प्राप्त किया, तो वहां उपस्थित 18 गणराज्यों के राजाओं और 9 मल्लकियों ने घोषणा की कि "ज्ञान का प्रकाश बुझ गया है, इसलिए हम भौतिक प्रकाश से इसकी भरपाई करेंगे।" यही वजह है कि जैन समुदाय दिवाली पर दीये जलाते हैं, ताकि महावीर की शिक्षाओं यानी 'ज्ञान का प्रकाश' हमेशा जीवित रहे। जैन इसे 'निर्वाण दिवस' या 'योग-निरोध दिवस' कहते हैं। वो इस दिन उपवास रखते हैं और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं।

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बन्दी छोड़ दिवस - विकिपीडिया

सिख धर्म: बंदी छोड़ दिवस

सिख धर्म में दिवाली को 'बंदी छोड़ दिवस' के नाम से जाना जाता है। इसका संबंध न्याय और मानवाधिकारों की एक बहादुरी भरी ऐतिहासिक घटना से है।

  • गुरु हरगोबिंद सिंह जी की रिहाई

    सिख इस दिन को इसलिए मनाते हैं क्योंकि 17वीं शताब्दी में उनके छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह जी को मुगल सम्राट जहांगीर की कैद से रिहा किया गया था।

  • 52 राजाओं को स्वतंत्रता

    गुरु जी ने शर्त रखी कि वह तभी रिहा होंगे जब उनके साथ कैद 52 हिंदू राजाओं को भी रिहा किया जाए। जहांगीर ने एक चाल चली और कहा कि केवल वे राजा ही बाहर निकल सकते हैं जो गुरु जी का कपड़ा पकड़कर चलेंगे। गुरु जी ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए एक ऐसा विशेष चोला बनवाया जिसमें 52 छोर लगे थे। हर राजा ने एक छोर को पकड़ा और इस तरह वे सभी स्वतंत्र हो गए।

  • अमृतसर में उत्सव

    गुरु जी के अमृतसर लौटने पर लोगों ने पूरे शहर को दीयों से सजाया और हरमंदिर साहिब को भी रोशनी से जगमगा दिया। यह घटना अन्याय पर न्याय की जीत और मानवाधिकारों की रक्षा का प्रतीक है।

अशोक का धम्म: शांति का मार्ग - सिद्धांत और प्रभाव - भारत का सबसे बड़ा  दशकर्म भंडार | Poojn.in

बौद्ध धर्म: सम्राट अशोक की धम्म विजय

बौद्ध धर्म में दिवाली का महत्व अन्य धर्मों जितना मुख्य नहीं है। लेकिन कुछ बौद्ध परंपराओं,खासकर नेवारी बौद्धों (नेपाल) के लिए यह ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है।

  • अशोक का धर्म परिवर्तन: 

    यह पर्व प्राचीन सम्राट अशोक महान से जुड़ा है। कलिंग युद्ध के बाद, ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक ने हिंसा को त्याग कर बौद्ध धर्म अपनाया।

  • धम्म विजय: 

    कुछ इतिहासकार मानते हैं कि कार्तिक अमावस्या के आसपास ही अशोक ने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को पूरी तरह से अपनाया था। उस दिन पूरे राज्य में उसके प्रचार के लिए दीये जलाकर 'धम्म विजय' का उत्सव मनाया गया था।

तो ये साफ है कि दिवाली सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक ज्ञान का एक शानदार उत्सव है।

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।  महावीर जैन | धार्मिक अपडेटHindu News

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