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Latest Religious News: सनातन धर्म में हर पूर्णिमा का एक खास स्थान होता है। लेकिन जब बात कार्तिक मास की पूर्णिमा की आती है, तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। यह दिन साक्षात देवताओं का त्यौहार माना जाता है। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा और देव दीपावली के नाम से जाना जाता है।
यह सिर्फ एक तिथि नहीं, बल्कि आस्था और शुद्धता का महासंगम है, जो हमें धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। पुराणों में कहा गया है कि इसी दिन सभी देवी-देवता पृथ्वी पर उतरकर आते हैं। वे इस पावन दिन पर गंगा स्नान और दीपदान कर अपनी खुशी मनाते हैं।
यही वजह है कि इस दिन गंगा के घाटों पर लाखों दीप जलाकर देव दीपावली मनाई जाती है। यह वह खास मौका है जब भगवान लक्ष्मी-नारायण और शिव जी की एक साथ पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। सिखों के लिए भी यह दिन प्रकाश पर्व के रूप में बड़ा खास होता है।
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कार्तिक पूर्णिमा 2025 शुभ मुहूर्त
इस साल कार्तिक पूर्णिमा 2025 की तिथि और मुहूर्त बहुत ही शुभ संयोग लेकर आ रहे हैं। सही मुहूर्त में स्नान और पूजा करने से ही व्रत का पूरा फल मिलता है।
कार्तिक पूर्णिमा की सही तारीख: 05 नवंबर 2025, मंगलवार
पूर्णिमा तिथि की शुरुआत: 04 नवंबर 2025, रात 10:36 बजे
पूर्णिमा तिथि का अंत: 05 नवंबर 2025, शाम 6:48 बजे
गंगा स्नान का सबसे उत्तम मुहूर्त: सुबह 4:52 बजे से 5:44 बजे तक
शिव जी और लक्ष्मी-नारायण की पूजा का मुहूर्त: सुबह 7:58 बजे से 9:20 बजे तक
देव दीपावली (प्रदोषकाल) मुहूर्त: शाम 5:15 बजे से रात 7:05 बजे तक
चंद्रोदय का समय: शाम 5:11 बजे
दीपदान से मिलता है अक्षय पुण्य
कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2025) पर दीपदान का विधान सबसे जरूरी माना गया है। शाम के समय, किसी तालाब या जलाशय में दीपदान जरूर करना चाहिए।
माना जाता है कि ऐसा करने से न सिर्फ पितरों को शांति मिलती है, बल्कि आपको अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यह दीपदान आपके जीवन से अंधकार को दूर करके ज्ञान और प्रकाश का संचार करता है।
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ऐसे करें व्रत और पूजा
कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत और पूजा के कुछ आसान और पवित्र नियम हैं, जिनका पालन करने से भगवान की कृपा बरसती है:
पवित्र स्नान:
सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी (जैसे गंगा) में स्नान करें। अगर नदी में जाना संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
व्रत का संकल्प:
स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर हाथ में जल लेकर फलाहार व्रत का संकल्प लें। इस व्रत में अन्न, मसाले, तामसिक भोजन और चाय-कॉफी का सेवन वर्जित होता है।
पूजा-अर्चना:
घर के पूजा स्थल पर गणेश जी, शिव-पार्वती और भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें। उन्हें फूल, फल, नैवेद्य अर्पित करें।
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सत्यनारायण कथा:
इस दिन सत्यनारायण कथा का पाठ करना या सुनना बहुत शुभ माना जाता है। यह पाठ घर में सुख-शांति लाता है।
दान-पुण्य:
पूजा के बाद किसी ज़रूरतमंद या ब्राह्मण को अपनी क्षमता अनुसार दान दें। अन्न, वस्त्र, चावल, तिल और घी का दान सबसे उत्तम माना जाता है। दान करने से पापों का शमन होता है।
संध्या पूजा और पारन:
शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें और दीपदान के बाद अपना व्रत खोलें (पारन)।
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मां लक्ष्मी की कृपा पाने का दिन
कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima festival) का दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
लाल फूल और कनकधारा:
मां लक्ष्मी की पूजा करते समय उन्हें लाल फूल जरूर अर्पित करें और साथ ही कनकधारा स्त्रोत का पाठ करें। माना जाता है कि यह उपाय करने से घर में कभी धन की कमी नहीं होती।
हल्दी और कौड़ी:
11 कौड़ियों पर हल्दी पीसकर लगाएं। इन्हें (कार्तिक पूर्णिमा उत्सव) पूजा में मां लक्ष्मी के सामने रखें और घी का दीपक जलाकर लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। पूजा संपन्न होने के बाद इन कौड़ियों को उठाकर अपने धन वाले स्थान या तिजोरी में रख दें। यह उपाय आपको अखंड सौभाग्य और वित्तीय स्थिरता का आशीर्वाद देगा।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। धार्मिक अपडेट | Hindu News | dharm news today
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