देवउठनी एकादशी के साथ शुरू होगें विवाह के शुभ मुहूर्त, नोट कर लें सालभर की शुभ तारीखें

साल 2025 में चातुर्मास का समापन 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी से होगा। इसके साथ ही शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। वहीं नवंबर 2025 में 14 दिन और दिसंबर में केवल 3 दिन ही मांगलिक कार्य होंगे।

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Kaushiki
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Latest Religious News, धार्मिक अपडेट:हिन्दू धर्म में, चार महीने तक चलने वाले लंबे चातुर्मास का इंतजार अब खत्म होने वाला है। कार्तिक महीने के देवउठनी एकादशी पर इस शुभ दिन का समापन होता है। हमारे हिन्दू धर्म में शादी और सभी शुभ काम चातुर्मास में बंद रहते हैं।

पंचांग के मुताबिक इस बार यह तिथि 1 नवंबर 2025 को आ रही है। इसी दिन जगत के पालनहार विष्णु जी अपनी निद्रा से जागते हैं और उनके शालीग्राम स्वरूप का तुलसी माता से विवाह होता है।

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इसी पवित्र विवाह के साथ विवाह जैसे सभी मांगलिक कार्यों का शंखनाद हो जाता है और शहनाइयां फिर से गूंज उठती हैं। हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से साल 2025 के नवंबर महीने में शादी के लिए पूरे 14 दिन बहुत शुभ हैं।  

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देवताओं के जागरण का महत्व

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित अजयकृष्ण शंकर व्यास ने बताया कि 1 नवंबर को देवउठनी एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योगनिद्रा से जागकर सृष्टि का कार्यभार फिर से संभालते हैं। इसीलिए इस तिथि को सभी मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश की शुरुआत के लिए अति शुभ माना जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन बिना किसी पंडित से मुहूर्त पूछे भी कार्य किए जा सकते हैं क्योंकि यह स्वयं एक अबूझ मुहूर्त है। इस दिन द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में तुलसी विवाह की परंपरा भी निभाई जाएगी जिसके साथ ही विवाह का श्रीगणेश माना जाता है।

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शादी में मुहूर्त क्यों देखते हैं

शादी को सिर्फ दो लोगों का मिलना नहीं माना जाता। यह तो दो पवित्र आत्माओं और दो परिवारों को हमेशा के लिए एक अटूट रिश्ते में बांधने वाला बहुत खास बंधन है। ऐसे में हम सभी यही चाहते हैं कि यह रिश्ता हमेशा खुशी से भरा रहे और कभी न टूटे।

इसलिए धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, शुभ मुहूर्त में विवाह किया जाता है। माना जाता है कि जब ग्रह-नक्षत्रों की चाल अच्छी होती है तब विवाह करने से पति-पत्नी का जीवन सुखमय रहता है और उनके रिश्ते में हमेशा मिठास बनी रहती है।

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नवंबर-दिसंबर 2025 के शुभ विवाह मुहूर्त

हिंदू पंचांग के मुताबिक, नवंबर-दिसंबर 2025 में विवाह के शुभ दिनों की संख्या सीमित है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक विवाह के इच्छुक परिवारों को इन तारीखों पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि इसके बाद लंबी अशुद्धि अवधि आ रही है।

नवंबर 2025: विवाह के लिए 14 शुभ दिन

नवंबर में विवाह का सिलसिला कुल 15 दिनों तक चलेगा जिसमें 1 तारीख को देवउठनी एकादशी का अबूझ मुहूर्त है।

  • 2, 3, 5 (कार्तिक पूर्णिमा), 8, 12, 13, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 25 और 30 नवंबर।

दिसंबर 2025: सिर्फ 3 दिनों का मौका

दिसंबर में बहुत कम विवाह मुहूर्त हैं, इसलिए इन तारीखों पर सबसे ज्यादा बुकिंग रहेगी:

  • 4, 5 और 6 दिसंबर।

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51 दिन नहीं होंगे मंगल कार्य

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, दिसंबर 2025 के बाद विवाह कार्यों (विवाह के शुभ मुहूर्त) पर लंबा विराम लग जाएगा।

  • मलमास: 

    ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, 16 दिसंबर से अधिक मास की शुरुआत होगी, जो 14 जनवरी 2026 तक चलेगा। इस दौरान शुभ कार्य वर्जित होते हैं।

  • शुक्र अस्त: 

    12 दिसंबर से शुक्र ग्रह अस्त हो जाऐंगे और इसका उदय 1 फरवरी 2026 को होगा। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, शुक्र और गुरु (बृहस्पति) का अस्त होना विवाह जैसे महत्वपूर्ण मांगलिक कार्यों के लिए शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे में शुक्र अस्त और मलमास के कारण कुल 51 दिनों तक विवाह और अन्य मांगलिक कार्य स्थगित रहेंगे।

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साल 2026 के विशेष विवाह मुहूर्त

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, विवाह के लिए अगला सबसे बड़ा अबूझ मुहूर्त 23 जनवरी 2026 को बसंत पंचमी पर आएगा। इस दिन पंचांग देखने की जरूरत नहीं होती है।

महीनाविवाह के शुभ मुहूर्त (2026)
जनवरी23 (बसंत पंचमी - अबूझ मुहूर्त), 25, 28
फरवरी3, 6, 9, 12, 19, 20, 26
अप्रैल15, 20, 21, 25, 26, 27, 29
मई6, 13, 23, 25, 26, 28, 29
जून1, 2, 4, 5, 11, 19, 21, 28
जुलाई7, 16
नवंबर20, 25, 26
दिसंबर3, 4

अगला चातुर्मास (2026): अगला चातुर्मास 25 जुलाई 2026 से शुरू होगा और 20 नवंबर 2026 को समाप्त होगा।

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। Hindu News

FAQ

चातुर्मास और मलमास में विवाह क्यों नहीं होते हैं?
चातुर्मास (4 महीने) वह अवधि है जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं। सृष्टि के प्रमुख देवता के विश्राम के कारण, शुभ और मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि वर्जित माने जाते हैं। मलमास (या अधिक मास) हर तीन साल में आता है और इसे अधिक मास कहा जाता है। इसे धर्म-कर्म के लिए अच्छा माना जाता है लेकिन विवाह और भौतिक सुख-सुविधा से जुड़े शुभ कार्य करने से बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इस महीने को शुभ फल देने वाला नहीं माना जाता।
2025 में देवउठनी एकादशी के बाद भी दिसंबर में इतने कम विवाह मुहूर्त क्यों हैं?
नवंबर के बाद दिसंबर में विवाह के शुभ मुहूर्त की कमी का मुख्य कारण ज्योतिषीय है। 12 दिसंबर 2025 से शुक्र ग्रह अस्त हो रहा है जो 1 फरवरी 2026 को उदय होगा। विवाह के लिए शुक्र और गुरु (बृहस्पति) दोनों ग्रहों का मजबूत होना जरूरी है। शुक्र ग्रह प्रेम, दांपत्य जीवन और भौतिक सुख का कारक है। इसके अस्त होने पर विवाह करना वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता है इसलिए 51 दिनों तक शुभ मुहूर्त नहीं रहेंगे।
बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त क्यों कहते हैं और क्या इस दिन मांगलिक कार्य करना सही है?
बसंत पंचमी (23 जनवरी 2026) को अबूझ मुहूर्त इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दिन ऋतु परिवर्तन और देवी सरस्वती के प्राकट्य से जुड़ा है। इसका हर क्षण शुभ माना जाता है। ज्योतिषीय गणना के मुताबिक, इस दिन किसी भी तरह का दोष नहीं होता और पंचांग या पंडित से तिथि पूछने की जरूरत नहीं होती। इस दिन विवाह के साथ-साथ गृह प्रवेश, नई शुरुआत और नींव पूजन जैसे सभी मांगलिक कार्य बिना किसी संकोच के किए जा सकते हैं।

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