जल दान और पुण्य कमाने का महीना है ज्येष्ठ मास, जानें प्रमुख पर्व और शुभ योग

ज्येष्ठ मास के अंतिम 8 दिनों में महेश नवमी, गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी, प्रदोष और पूर्णिमा जैसे 5 प्रमुख पर्व हैं। इन दिनों 5 शुभ योग भी बन रहे हैं, जो नए कार्य, खरीदारी और धार्मिक अनुष्ठान के लिए बेहद शुभ माने जाते हैं।

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Kaushiki
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ज्येष्ठ मास
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हिंदू धर्म में ज्येष्ठ मास को जल दान और पुण्य कमाने का महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। इस वर्ष ज्येष्ठ के अंतर्गत महेश नवमी, गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी, प्रदोष और पूर्णिमा जैसे प्रमुख त्योहार बाकी हैं।

इन पर्वों के दौरान जल दान, पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान करने से विशेष फलदायक माना जाता है। साथ ही, इन दिनों कई शुभ योग बन रहे हैं, जो खरीदारी और नए कार्य शुरू करने के लिए उत्तम अवसर हैं।

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प्रमुख शुभ योग और तिथियां

हिंदू पंचांग के मुताबिक, 

  • 3 जून (हर्षण योग): नए कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ है।
  • 5 जून (गंगा दशहरा): रवि योग और गुरुवार का संयोग; खरीदारी और पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन।
  • 6 जून (निर्जला एकादशी): भगवान विष्णु की उपासना का दिन, हस्त और चित्रा नक्षत्र से शुभता बढ़ी।
  • 8 जून (प्रदोष व्रत): शिव की आराधना और जल, घड़ा दान का विशेष दिन।
  • 10-11 जून (पूर्णिमा): स्नान-दान के लिए श्रेष्ठ समय, साध्य योग में मनेगी।
  • 7 और 9 जून (सर्वार्थ सिद्धि योग): सभी कार्यों के लिए लाभकारी योग।

आषाढ़ मास में आने वाले पर्व

हिंदू पंचांग के मुताबिक, आषाढ़ मास की शुरुआत 12 जून से होगी। इसमें देवशयनी एकादशी, गुरु पूर्णिमा और योगिनी एकादशी जैसे महत्वपूर्ण त्योहार शामिल हैं।

इस माह में 17 और 22 जून को त्रिपुष्कर नक्षत्र, तथा 27 और 28 जून को पुष्य नक्षत्र योग बनेंगे, जो खरीदारी और शुभ कार्यों के लिए अनुकूल माने जाते हैं।

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ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में धार्मिक अनुष्ठान

मान्यता के मुताबिक, ज्येष्ठ मास में सूर्य देव को जल अर्पित करना और सूर्य मंत्र का जाप अत्यंत फलदायक माना जाता है। वहीं आषाढ़ मास में शिव और विष्णु की विशेष पूजा-आराधना की जाती है। ये दोनों मास धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्व रखते हैं और इस दौरान किए गए दान, पूजा और कार्य विशेष पुण्यदायक होते हैं।

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