नवरात्रि पर कन्या पूजन क्यों किया जाता है, जानें कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

नवरात्रि में 2 से 10 साल तक की बच्चियों का कन्या पूजन करने से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और धन-संपत्ति का वास होता है। इस साल चैत्र नवरात्रि नवमी 6 अप्रैल को है।

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Kaushiki
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नवरात्रि हिन्दू धर्म में विशेष रूप से महत्व रखती है और इस दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व है। कन्या पूजन की परंपरा प्राचीन शास्त्रों में वर्णित है और यह पूजा का उद्देश्य मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करना और जीवन में समृद्धि और सुख-शांति लाना है। विशेष रूप से 2 से 10 साल तक की बच्चियों का पूजन करने से भक्तों को मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ, धन-संपत्ति और शुभ फल मिलते हैं। इस साल चैत्र नवरात्रि 2025 में नवमी 6 अप्रैल को पड़ रही है। माना जाता है कि, कन्या पूजन करने से देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है, और घर में सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति का वास होता है।

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कन्या पूजन का इतिहास

शास्त्रों के मुताबिक, इंद्रदेव ने माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनसे उपाय पूछा था। ब्रह्मा देव ने उन्हें सुझाव दिया कि वे कुंवारी कन्याओं का पूजन करें, जिससे वे माता दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकेंगे। यही कारण है कि नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का महत्व बहुत बढ़ जाता है। प्राचीन कथा के मुताबिक, एक गरीब पंडित श्रीधर ने नवरात्रि में पूरे गांव को भोजन कराया था और इस शुभ कार्य में माता दुर्गा ने कन्या रूप में आकर उसे आशीर्वाद दिया। इस आशीर्वाद से उसे समृद्धि और सुख मिला, जो कन्या पूजन के रूप को दर्शाता है।

शुभ मुहूर्त

नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथियों पर कन्या पूजा का विशेष महत्व है। इन दिनों कन्या पूजन के लिए शुभ मुहूर्त है, जिससे माता दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक इस बार 

नवमी (6 अप्रैल 2025)
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:58 AM से 12:49 PM तक
ब्रह्म मुहूर्त: 04:34 AM से 05:20 AM
प्रातः संध्या: 04:57 AM से 06:05 AM
इन मुहूर्तों में कन्या पूजन करना विशेष रूप से लाभकारी होता है। इस समय पूजन करने से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और आपके जीवन में सभी बाधाएं दूर होती हैं।

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कन्या पूजा की सामग्री

कन्या पूजा के लिए विशेष रूप से कुछ सामग्री की आवश्यकता होती है

  • थाली और तौलिया: कन्याओं के पैर धोने के लिए
  • कलावा (राखी) और सिंदूर: कन्याओं को तिलक करने के लिए
  • फूल और अक्षत (चावलों का टीका): पूजा में प्रयोग के लिए
  • चुनरी और महावर: कन्याओं को सम्मान देने के लिए
  • खीर-पूड़ी, हलवा-चना: कन्याओं को भोजन परोसने के लिए
  • दीपक, धूप और मिठाई: पूजन में समर्पण हेतु

पूजन की विधि

  • आमंत्रण: कन्या पूजा से एक दिन पहले कन्याओं को आमंत्रित करें।
  • पैर धोना: कन्याओं के पैर धोकर उन्हें सम्मान दें।
  • टीका और कलावा: कन्याओं के माथे पर सिंदूर और अक्षत का टीका लगाएं और हाथों में कलावा बांधें।
  • भोजन परोसना: कन्याओं को शुद्ध और लहसुन-प्याज से रहित भोजन परोसें।
  • उपहार देना: कन्याओं को उपहार, मिठाई, या पैसे दें और उनके आशीर्वाद से जीवन में समृद्धि प्राप्त करें।

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कन्या पूजा में कन्याओं का महत्व

शास्त्रों के मुताबिक, नवरात्रि में विशेष रूप से 2 से 10 साल तक की कन्याओं का पूजा किया जाता है, क्योंकि यह आयु वर्ग शुद्ध और पवित्र माना जाता है। हर आयु वर्ग का एक अलग महत्व होता है, जो भक्तों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।

  • 2 वर्ष की कन्या (कुमारी): दुख और दरिद्रता को दूर करने के लिए पूजा जाती है।
  • 3 वर्ष की कन्या (त्रिमूर्ति): धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
  • 4 वर्ष की कन्या (कल्याणी): समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।
  • 5 वर्ष की कन्या (रोहिणी): रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • 6 वर्ष की कन्या (कालिका): विद्या और राजयोग की प्राप्ति होती है।
  • 7 वर्ष की कन्या (चंडिका): ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
  • 8 वर्ष की कन्या (शांभवी): लोकप्रियता और सम्मान की प्राप्ति होती है।
  • 9 वर्ष की कन्या (दुर्गा): शत्रु विजय और असाध्य कार्यों की सिद्धि होती है।
  • 10 वर्ष की कन्या (सुभद्रा): मनोरथों की पूर्ति होती है और सुख मिलता है।

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