बेटी की विदाई में क्यों और कैसे भरा जाता है खोइछा, जानें इसका महत्व

खोइछा एक पौराणिक हिंदू रस्म है, जिसे खासतौर पर बेटी की विदाई के समय किया जाता है। इसे खासतौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में मनाया जाता है।

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Kaushiki
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खोइछा की परंपरा और महत्व
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हिंदू धर्म में बेटी की विदाई के समय खोइछा भरने की परंपरा का विशेष महत्व है। यह रस्म मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और अन्य उत्तर भारतीय राज्यों में की जाती है।

खोइछा भरने की रस्म न केवल एक पारंपरिक क्रिया है, बल्कि इसे जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

वहीं, खोइछा को विशेष रूप से नवरात्रि के अष्टमी के दिन भी मां दुर्गा की विदाई के समय भरने की परंपरा है। इस रस्म के जरिए यह माना जाता है कि, देवी मां की कृपा से जीवन में शांति और समृद्धि बनी रहती है।

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क्या है खोइछा जिसे बेटी के आंचल में बांधकर की जाती है विदाई की रस्म | know  the vidhi and importance of filling khoicha | HerZindagi

क्या होता है खोइछा

खोइछा एक हिंदू परंपरा है, जो खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में बेटी की विदाई के समय निभाई जाती है। इसे विशेष रूप से नवरात्रि और शादी के समय किया जाता है।

खोइछा एक पोटली होती है, जिसमें धान, चावल, जीरा, सिक्का, फूल, हल्दी और कभी-कभी शगुन के तौर पर रुपए, मखाने या मिठाई डाली जाती है।

इस पोटली को बेटी को ससुराल भेजने से पहले मां या भाभी द्वारा सौंपा जाता है। यह रस्म जीवन में सुख-समृद्धि, सुखी वैवाहिक जीवन और परिवार के लिए शुभ माना जाता है।

खोइछा में क्या-क्या सामग्री डाली जाती है

मान्यता के मुताबिक, खोइछा भरने की रस्म के समय कुछ विशेष सामग्री डाली जाती है, जो शुभ और भाग्यशाली मानी जाती है।

  • धान और चावल: यह सुख-समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं।
  • जीरा: जीरा का उपयोग आयुर्वेदिक रूप से स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है और इसे शुभ माना जाता है।
  • सिक्का: सिक्के का उपयोग संपत्ति और समृद्धि के संकेत के रूप में किया जाता है।
  • फूल और हल्दी: यह शुभता और सकारात्मक ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं।
  • मिठाई और मखाने: शगुन के रूप में मिठाई और मखाने डाले जाते हैं, जो खुशी और उत्सव का प्रतीक होते हैं।
  • इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में शगुन के रूप में कुछ पैसे भी खोइछा में डाले जाते हैं।

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खोइछा भरने की विधि

खोइछा भरने की रस्म को पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ किया जाता है।

  • मां दुर्गा का श्रृंगार: सबसे पहले देवी मां का सोलह श्रृंगार किया जाता है।
  • खोइछा भरना: मां भगवती के समक्ष खोइछा भरा जाता है। 
  • इस प्रक्रिया में लाल चुनरी का उपयोग किया जाता है और उसमें सभी शुभ सामग्री डाली जाती है।
  • खोइछा को घर के मंदिर में रखा जाता है: यह रस्म घर के पूजा स्थल पर पूरी होती है, जहां इष्ट देवी-देवताओं का आशीर्वाद लिया जाता है।

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खोइछा भरने से जुड़ा नियम

खोइछा भरने का एक विशेष नियम है, जिसके मुताबिक यह रस्म केवल उस कमरे में की जाती है, जहां घर का मंदिर होता है। बेटी की विदाई से पहले इस कमरे में खोइछा भरा जाता है, और बेटी अपने घर की दहलीज छोड़ने से पहले इष्ट देवी-देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करती है।

कुछ विशेष अवसरों पर, जैसे विवाह या अन्य महत्वपूर्ण समयों पर, खोइछा में सोने-चांदी की वस्तुएं भी डाली जाती हैं। हालांकि, सामान्य रूप से खोइछा में हरी दूब, चावल, हल्दी, जीरा, और मिठाई सबसे प्रचलित सामग्री हैं।

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