मोहिनी एकादशी पर ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा, जीवन में आएगी सुख-शांति

मोहिनी एकादशी 2025, भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा का खास अवसर है, जो दैत्यों को अमृत पान से रोकने के लिए हुआ था। इस दिन व्रत रखने से जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।

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Kaushiki
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मोहिनी एकादशी 2025
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धार्मिक मान्यता के मुताबिक, मोहिनी एकादशी का व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा के रूप में किया जाता है। यह दिन विशेष रूप से उस समय की घटना को याद करने के लिए है, जब भगवान विष्णु ने दैत्यों को अमृत पान करने से रोकने के लिए मोहिनी रूप धारण किया था।

इस दिन पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और समृद्धि की प्राप्ति होती है। भक्त इस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते हैं और उनका ध्यान करते हैं।

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तिथि और समय

हिंदू पंचांग के मुताबिक, मोहिनी एकादशी 07 मई 2025 को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर शुरू होगी। ये 8 मई 2025 को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए उदया तिथि के मुताबिक 08 मई को मनाया जाएगा।

पूजा विधि

  • पवित्रता: सबसे पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें।
  • भगवान विष्णु की पूजा: दिन के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करें। दीप जलाकर उनकी आरती करें और भजन-कीर्तन करें।
  • एकादशी व्रत: व्रति उपवासी रहते हुए फलाहार करें और ताजे फल खाएं।
  • मंत्र जाप: भगवान विष्णु के बीज मंत्र का जाप करें – "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"।
  • भजन-कीर्तन: इस दिन भजन-कीर्तन और हरी नाम संकीर्तन का आयोजन भी लाभकारी होता है।

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पौराणिक महत्व

धार्मिक मान्यता के मुताबिक, मोहिनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा करने का मौका है, जो विशेष रूप से दैत्यों को अमृत पान से रोकने के लिए किया गया था।

भगवान विष्णु ने इस रूप में अवतार लिया और अपने रूप से दैत्यों को मोहित किया, लेकिन स्वरभानु ने अमृत पान कर लिया। उसके बाद भगवान विष्णु ने स्वरभानु का वध किया।

इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में समृद्धि, सुख और शांति आती है। व्रति के द्वारा की गई पूजा से पाप समाप्त होते हैं और मानसिक शांति मिलती है।

यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो आर्थिक और मानसिक परेशानियों से गुजर रहे हैं। एकादशी के दिन साधक अपने मन, वचन और क्रिया से भगवान की भक्ति करें, इससे जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ती है। इस दिन का व्रत पूरी श्रद्धा और भक्ति से करना चाहिए।

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