नवरात्रि का नौवां दिन: ज्ञान, मोक्ष और समस्त सिद्धियों की दात्री, नवरात्रि की नवमी पर ऐसे करें कन्या पूजन और हवन

शारदीय नवरात्रि के नौवें दिन, जिसे महानवमी कहा जाता है, मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। वह भक्तों को सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं और उनके जीवन में यश, समृद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

author-image
Kaushiki
New Update
navratri-ninth-day-maa-siddhidatri-importance-pooja-rituals
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

Shardiya Navratri 2025शारदीय नवरात्रि का नौवां और अंतिम दिन (1 अक्टूबर, 2025) मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। यह दिन महानवमी के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन मां दुर्गा के इस नौवें स्वरूप की पूजा की जाती है। 'सिद्धिदात्री' नाम का अर्थ है 'सिद्धि' को 'दात्री'।

अपनी अलौकिक कृपा से मां अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं और उनकी लौकिक और पारलौकिक दोनों ही कामनाओं को पूरा करती हैं।

यह माना जाता है कि नवदुर्गा की पूजा, उपासना और कठोर साधना के बाद साधक नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना में लीन होते हैं, जिससे उन्हें समस्त सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं और उनके लिए सृष्टि में कुछ भी असंभव नहीं रहता।

Navratri 2022 Day 9: संध्या काल में करें माता सिद्धिदात्री की विशेष आरती और  इस स्तोत्र का जाप - Navratri 2022 Day 9 chant Mata Siddhidatri ki Aarti  after Sandhya Puja

मां सिद्धिदात्री का दिव्य स्वरूप

नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत सौम्य, शांत और दिव्य है।

  • वाहन: मां का वाहन सिंह है लेकिन वे स्वयं कमल पुष्प पर भी विराजमान होती हैं।

  • अस्त्र-शस्त्र: मां की चार भुजाएं हैं, जिनमें वे क्रमशः चार प्रकार के अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं:

  • दाहिनी तरफ का ऊपर वाला हाथ: चक्र

  • दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ: गदा

  • बांई तरफ का ऊपर वाला हाथ: शंख

  • बांई तरफ का नीचे वाला हाथ: कमल पुष्प

  • वस्त्र और रंग: मां को जामुनी रंग और लाल रंग अति प्रिय है। कहा जाता है कि इस रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करने से विशेष फल मिलता है।

मां सिद्धिदात्री को देवी सरस्वती का स्वरूप भी माना जाता है, क्योंकि ये ज्ञान की अधिष्ठात्री भी हैं और भक्तों के भीतर से बुराइयों और अज्ञानता के अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश भरती हैं।

Maa Siddhidatri 2

मां की पौराणिक कथा

मां सिद्धिदात्री की महत्ता और पौराणिक कथा अत्यंत विशेष है।

देवीपुराण के मुताबिक, सृष्टि की उत्पत्ति के समय भगवान शिव ने समस्त सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या की थी।

मां उनकी तपस्या से अत्यंत प्रसन्न हुईं और उन्हें आठों सिद्धियां प्रदान कीं, जिनका वर्णन मार्कण्डेय पुराण में मिलता है: अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व। इन्हीं सिद्धियों को पाकर भगवान शिव त्रिलोक में सर्वशक्तिमान हो गए।

मां की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हो गया। इसी कारण वे संसार में 'अर्धनारीश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुए। यह स्वरूप इस सत्य को दर्शाता है कि शक्ति के बिना शिव अधूरे हैं और शिव के बिना शक्ति का कोई अस्तित्व नहीं है, दोनों के संयोग से ही सृष्टि का संचालन संभव है।

दैत्यों का संहार

एक अन्य कथा के मुताबिक, जब दैत्य महिषासुरके अत्याचारों से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया, तब सभी देवतागण भगवान शिव और भगवान विष्णु के पास समाधान के लिए पहुंचे।

उस समय वहां उपस्थित सभी देवताओं के तेज से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई, जिन्हें मां सिद्धिदात्री कहा गया। मां ने अपने इस स्वरूप में प्रकट होकर देवताओं को दैत्यों का संहार करने की शक्ति दी और तीनों लोकों को उनके आतंक से मुक्ति दिलाई।

ये खबर भी पढ़ें...

1 अक्टूबर को बन रहे दो बड़े शुभ योग, जानिए मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि और कन्या पूजन का सही समय

Maa Siddhidatri 5

पूजा विधि, भोग और फल

नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों को पूरे नौ दिनों की पूजा का पुण्यफल प्राप्त होता है।

  • स्नान और संकल्प: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 

  • पूजा: पूजा घर में मां सिद्धिदात्री का चित्र या मूर्ति स्थापित करें। उन्हें रोली, कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप और लाल चुनरी अर्पित करें।

  • पुष्प: मां को सफेद कमल प्रिय है। इसके अलावा उन्हें नीला कमल, चंपा, गुड़हल या अपराजिता के पुष्प भी अर्पित किए जा सकते हैं।

  • मंत्र जप: मां सिद्धिदात्री के मंत्रों का जप भक्तिभाव से करना चाहिए। नवरात्रि के व्रत के नियम 

ये खबर भी पढ़ें...

महागौरी की पूजा क्यों है इतनी खास? जानें माता की शक्ति का राज

सिद्धिदात्री ध्यान मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

Maa Siddhidatri 3

भोग और प्रसाद

नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री को हलवा, पूरी और काले चने का भोग लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा खीर, नारियल और मौसमी फल भी अर्पित किए जा सकते हैं। भोग लगाने के बाद माता की आरती की जाती है और प्रसाद परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों में बांटा जाता है। इस दिन 9 कन्याओं को भोजन कराएं।

कन्या पूजन और हवन

नवरात्रि की महानवमी तिथि पर कन्यापूजन और हवन करने का विशेष विधान है। नौ कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर भोजन कराया जाता है और उन्हें भेंट स्वरूप कुछ उपहार दिए जाते हैं।

हवन करते समय सभी देवी-देवताओं के नाम से आहुति दी जाती है और माँ सिद्धिदात्री के बीज मंत्र से 108 बार आहुति देना अत्यंत फलदायी माना गया है।

फल और मोक्ष

मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं और उसके सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। मां की कृपा से जीवन में यश, बल, धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

यह भी माना जाता है कि मां सिद्धिदात्री की आराधना से मनुष्य संसार के दुखों से अलग रहकर सभी सुखों का भोग करता है और अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है। यह स्वरूप हमें आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।

Maa Siddhidatri 7

Maa Siddhidatri 6

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

ये खबर भी पढ़ें...

नवरात्री के आठवें दिन जानिए भारत के किन-किन प्रसिद्ध मंदिरों में होती है मां महागौरी की पूजा

शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन: मां महागौरी को क्या अर्पित करने से मिलता है विशेष फल, जानें संपूर्ण पूजा विधि

shardiya navratri 2025 कन्यापूजन 9 कन्याओं को भोजन कराएं नवरात्रि के व्रत के नियम नवरात्रि का नौवां दिन नवरात्रि मां सिद्धिदात्री
Advertisment