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वैदिक ज्योतिष में पंचक काल को एक अत्यंत संवेदनशील और अशुभ समय माना जाता है। यह तब बनता है जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि के अंतिम पांच नक्षत्रों - धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपदा, उत्तराभाद्रपदा और रेवती - से होकर गुजरता है।
पंचक काल लगभग पांच दिनों तक चलता है। इस दौरान, हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य जैसे गृह प्रवेश, विवाह, नई वस्तु की खरीदारी या निर्माण कार्य आरंभ करना वर्जित माना जाता है।
कहा जाता है कि इस समय में किए गए कार्यों में बार-बार बाधाएं आती हैं और परिणाम अनुकूल नहीं मिलते। वहीं, इन दिनों में व्रत, पूजा और दान करने से कई गुना पुण्य मिलता है।
नवंबर 2025 में पंचक काल
1 नवंबर 2025 से पंचक शुरू हो चुका है और इसका समापन 5 नवंबर 2025 (Panchak 2025 Start and End Date) को होगा।
इसे भीष्म पंचक कहा जाता है। कार्तिक मास (dharm news today) में आने वाला पंचक, जिसे वैकुण्ठ पंचक या हरि पंचक के नाम से भी जाना जाता है, इस बार नवंबर में मनाया जाएगा।
क्यों कहा जाता है इसे भीष्म पंचक?
महाभारत के समय जब भीष्म पितामह ने इच्छा मृत्यु का व्रत लिया था, तब उन्होंने सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया था।
कार्तिक मास की एकादशी से पूर्णिमा (धार्मिक अपडेट) तक के इन पांच दिनों में, उन्होंने भगवान श्री कृष्ण का ध्यान किया और पांडवों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का ज्ञान दिया।
भगवान श्री कृष्ण ने भी इन पांच दिनों को "भीष्म पंचक" नाम से पुकारा और इन्हें अत्यंत मंगलकारी बताया।
इसलिए, जब पंचक काल एकादशी के आसपास आता है, तो उसे भीष्म पंचक कहा जाता है। मान्यता है कि इस दौरान की गई पूजा, व्रत और दान से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पंचक काल में ना करें ये काम
पंचक काल के दौरान किसी भी नए कार्य, व्यापार या बड़े निवेश की शुरुआत न करें।
पंचक काल में दक्षिण दिशा की यात्रा से बचें, इसे अशुभ माना जाता है।
घर में छत डालने, पेंटिंग या निर्माण कार्य को टाल दें।
चारपाई, फर्नीचर या पलंग बनवाने या उसकी मरम्मत न करें।
पंचक काल में नया सामान, कपड़े या कीमती वस्तुएं खरीदने से बचें।
यदि पंचक के दौरान किसी की मृत्यु हो जाए, तो आग्नि पंचक दोष से बचने के लिए एक पुतला बनाकर उसके साथ दाह संस्कार करना चाहिए।
पंचक काल में क्या करें?
पंचक काल में अशुभ प्रभाव से बचने के लिए भगवान विष्णु और हनुमान जी की पूजा करें।
हनुमान चालीसा या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
दक्षिण दिशा की यात्रा से पहले सरसों के तेल का दीपक दक्षिण दिशा में जलाएं।
यदि कोई कार्य अत्यावश्यक हो, तो रेवती नक्षत्र में हवन या दान करके शुभ फल प्राप्त किया जा सकता है।
नोट: आज 3 नवम्बर 2025 है, और पंचक काल (Latest Religious News) में 2 दिन बीत चुके हैं। आप अभी भी इस समय का ध्यान रखते हुए धार्मिक कार्यों में संलग्न रह सकते हैं और पंचक के दौरान की गई पूजा और व्रत से पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
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