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रक्षाबंधन हिंदू धर्म में भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक पर्व है। यह त्योहार हर साल सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र यानी राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं।
यह एक ऐसा खास पर्व है जिसका सालभर सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है। इस दिन पूरे घर में खुशियों का माहौल होता है और भाई भी अपनी बहनों के लिए सुंदर उपहार लेकर आते हैं।
ऐसे में इसके तिथि को लेकर थोड़ी कंफ्यूजन रहती है, खासकर जब भद्रा का साया हो तो। तो आइए जानते हैं कि इस साल रक्षाबंधन कब है और राखी बांधने का सही शुभ मुहूर्त क्या होगा।
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रक्षाबंधन पूजा मुहुर्तरक्षाबंधन हर साल सावन मास की पूर्णिमा पर आता है। पंडित संतोष शर्मा के मुताबिक, इस साल पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त, 2025 की दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी। इसका समापन अगले दिन यानी 9 अगस्त, 2025 को दोपहर 1 बजकर 21 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में, उदया तिथि के मुताबिक, राखी 9 अगस्त, शनिवार को ही मनाया जाएगा। |
भद्रा का साया
भद्रा को ज्योतिष में एक अशुभ योग माना गया है और मान्यता है कि भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य, खासकर राखी बांधना, नहीं करना चाहिए। इस साल 8 अगस्त की दोपहर 2 बजकर 12 मिनट से 9 अगस्त की सुबह 1 बजकर 52 मिनट तक भद्रा का साया रहेगा।
तो ऐसे में इस समय राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता हैपंडित संतोष शर्मा के मुताबिक, भद्रा 9 अगस्त की सुबह लगभग 2 बजे तक खत्म हो जाएगी, इसलिए रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 9 अगस्त की सुबह से ही शुरू हो जाएगा।
राखी बांधने का शुभ समय: सुबह 5:35 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक। इस मुहूर्त में बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकती हैं और उनकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना कर सकती हैं।
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राखी की थाली में जरूर रखें ये चीजें
रक्षाबंधन 2025 (Rakshabandhan Festival) के त्योहार को और भी खास और शुभ बनाने के लिए, बहनें पहले से ही तैयारियों में जुट जाती हैं। इनमें पूजा की थाली सजाना एक बहुत ही अहम हिस्सा होता है।
मान्यता है कि इस थाली में कुछ विशेष वस्तुएं सही विधि से शामिल की जाएं, तो यह अत्यंत शुभ और फलदायक मानी जाती है। इसी थाली से भाई की आरती भी की जाती है। आइए जानते हैं कि राखी की पूजा थाली में किन चीजों को शामिल करना चाहिए:
कुमकुम या रोली:
- राखी बांधने से पहले भाई के मस्तक पर तिलक करना एक पुरानी परंपरा का अहम हिस्सा है। तिलक के लिए थाली में कुमकुम या रोली जरूरी होनी चाहिए। इसे दीर्घायु, विजय और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
अक्षत (चावल):
- पूजा में उपयोग होने वाले कच्चे चावल, जिन्हें अक्षत कहा जाता है, शुभता के प्रतीक होते हैं। तिलक के बाद भाई के मस्तक पर अक्षत लगाना राखी की पूजा विधि का एक जरूरी हिस्सा है। अक्षत के बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं मानी जाती है।
दीपक:
- आरती के लिए थाली में दीपक जरूर रखें। राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारना बुरी नजर से बचाव का एक उपाय माना गया है। इससे भाई के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
मिठाई:
- भाई-बहन के रिश्ते की मिठास को दर्शाने के लिए थाली में मिठाई जरूरी होनी चाहिए। राखी बांधने के बाद एक-दूसरे को मिठाई खिलाना शुभ होता है और यह उनके प्रेम को बढ़ाता है।
नारियल (श्रीफल):
- कई स्थानों पर राखी की थाली में नारियल या श्रीफल रखना बेहद शुभ माना गया है। बहनें तिलक के बाद भाई को श्रीफल अर्पित करती हैं। इसे माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और यह भाई को तरक्की और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है।
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