क्या बहनें भी एक-दूसरे को राखी बांध सकती हैं? जानें कैसे मनाएं ये खास पर्व

रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जो प्रेम, विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक है। यह केवल भाई-बहन तक सीमित नहीं है। बहनें एक-दूसरे को राखी बांधकर भी इस पर्व को मना सकती हैं, इससे उनके रिश्ते में और भी मजबूती आती है।

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Kaushiki
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रक्षाबंधन प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक त्योहार हर साल सावन माह की पूर्णिमा (सावन पूर्णिमा) को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रेम की उस डोर का उत्सव है जो हर रिश्ते को मजबूत करती है।

साल 2025 में रक्षाबंधन का पावन पर्व शुक्रवार, 9 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर टीका लगाती हैं और उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं, उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।

वहीं, भाई भी अपनी बहनों को जीवन भर सुरक्षा और सहयोग का विश्वास दिलाते हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या यह त्योहार केवल भाई-बहनों के लिए है, क्या बहनें एक-दूसरे को राखी बांध सकती हैं? आइए, जानें...

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क्या बहनें एक-दूसरे को राखी बांध सकती हैं

पंडित राजन दीक्षित के मुताबिक, रक्षाबंधन केवल एक धागे का बंधन नहीं, बल्कि यह प्रेम, विश्वास और एक-दूसरे के प्रति समर्पण का प्रतीक है। यह त्योहार इस बात पर जोर देता है कि हम अपने प्रियजनों की सुरक्षा और खुशी के लिए हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे।

यह एक ऐसा पर्व है जो परिवारों को एक साथ लाता है और रिश्तों को और भी गहरा बनाता है। कई बार ऐसा होता है कि परिवारों में भाई नहीं होते, या किसी बहन के भाई नहीं होते। तो ऐसे में वे अक्सर एक-दूसरे को राखी बांधकर इस त्योहार को मनाती हैं।

यह न केवल रिश्तों में प्रेम और सौहार्द बढ़ाता है, बल्कि उन्हें एक-दूसरे की ढाल बनने का आश्वासन भी देता है। यह दर्शाता है कि रिश्तों को मजबूत करने के लिए किसी लिंग विशेष की जरूरत नहीं है, जरूरत है तो केवल प्रेम, सम्मान और विश्वास की।

यह सुरक्षा का वादा केवल भाई ही बहन को नहीं दिता, बल्कि कोई भी व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को दे सकता है, जो उसकी रक्षा और भलाई की कामना करता हो।

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राखी के नियम और परंपराएं

राखी बांधने के पीछे कोई कठोर नियम या परंपराएं नहीं हैं जो यह बताए कि कौन किसे राखी बांध सकता है और कौन नहीं। यह त्योहार रिश्तों को मजबूत करने और प्रेम की डोर से बांधने का एक माध्यम है।

मनुष्य अपनी सुविधा और रिश्तों को महत्व देने के लिए इन परंपराओं में बदलाव करता रहता है ताकि रिश्तों की मर्यादा बनी रहे। पुराने समय में, यह राजाओं और सैनिकों के बीच भी एक प्रथा थी जहां महिलाएं अपने सुरक्षा के लिए पुरुषों को राखी बांधती थीं।

यह साफ करता है कि राखी का बंधन केवल भाई-बहन तक सीमित नहीं था, बल्कि यह व्यापक रूप से सुरक्षा और समर्थन के प्रतीक के रूप में उपयोग किया जाता था।

दो बहनों के बीच राखी का महत्व

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जब दो बहनें एक-दूसरे को राखी बांधती हैं, तो वे एक-दूसरे को भावनात्मक और शारीरिक सुरक्षा का आश्वासन देती हैं। वे यह संकल्प लेती हैं कि वे हर सुख-दुख में एक-दूसरे के साथ खड़ी रहेंगी, एक-दूसरे का समर्थन करेंगी और एक-दूसरे की रक्षा करेंगी।

यह विशेष रूप से उन बहनों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है जो अपने जीवन में एक-दूसरे पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं। यह एक खूबसूरत परंपरा है जो बहनों के बीच के गहरे बंधन को दर्शाती है। ये उन्हें याद दिलाता है कि वे अकेले नहीं हैं और उनके पास हमेशा एक-दूसरे का साथ है।

राखी बांधते समय ये श्लोक बोलें

चाहे आप भाई को राखी बांध रहे हों या अपनी बहन को, इस पवित्र श्लोक का उच्चारण करने से त्योहार की दिव्यता और बढ़ जाती है:

येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥

हिन्दी भावार्थ: “जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बांधता हूं। हे रक्षे (राखी)! तुम अडिग रहना (तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।)”
यह श्लोक रक्षा सूत्र के महत्व को दर्शाता है और इसे बांधने वाले के संकल्प को मजबूत करता है।

तो रक्षाबंधन का त्योहार (raksha bandhan special) एक ऐसा त्योहार है जो प्रेम के संदेश को फैलाता है। यह केवल रक्त संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि उन सभी बंधनों का सम्मान करता है जो हमें एक-दूसरे से जोड़ते हैं।

इसलिए, यदि आपके परिवार में भाई नहीं हैं, तो बहनें निश्चित रूप से एक-दूसरे को राखी बांधकर इस त्योहार को मना सकती हैं और अपने रिश्ते को और भी मजबूत कर सकती हैं।

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