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रंग पंचमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो होली के पांच दिन बाद चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन देवी-देवताओं की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और उन्हें गुलाल चढ़ाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि रंग पंचमी के दिन देवी-देवता धरती पर आकर भक्तों के साथ होली खेलते हैं, जिससे यह दिन और भी शुभ और मंगलकारी माना जाता है।
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रंग पंचमी 2025 की तिथि और समय
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पंचांग के मुताबिक, इस साल रंग पंचमी 19 मार्च 2025 (मंगलवार) को मनाई जाएगी।
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पंचमी तिथि प्रारंभ: 18 मार्च 2025 को रात 10:09 बजे
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पंचमी तिथि समाप्त: 20 मार्च 2025 को रात 12:36 बजे
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हिंदू धर्म में उदया तिथि को मान्यता दी जाती है, इसलिए रंग पंचमी 19 मार्च को मनाई जाएगी।
रंग पंचमी की पौराणिक कथा
रंग पंचमी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन मुख्य कथा द्वापर युग से जुड़ी है।
भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की कथा
रंग पंचमी का सबसे महत्वपूर्ण संबंध भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के प्रेम से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण बचपन में माता यशोदा से शिकायत किया करते थे कि राधा और अन्य गोपियां उनसे गोरी क्यों हैं, जबकि उनका रंग सांवला है। माता यशोदा ने हंसते हुए श्रीकृष्ण को सुझाव दिया कि वह राधा और गोपियों पर गुलाल और रंग डाल सकते हैं।
इसके बाद, श्रीकृष्ण ने अपने सखाओं के साथ मिलकर राधा और गोपियों पर रंग डालना शुरू किया और इस तरह रंगों का यह खेल "बरसाना और नंदगांव की होली" के रूप में प्रसिद्ध हुआ। यह खेल इतना लोकप्रिय हुआ कि आज भी बरसाना, वृंदावन और नंदगांव में होली के बाद रंग पंचमी तक रंगोत्सव मनाया जाता है।
देवी-देवताओं की होली
एक अन्य मान्यता के मुताबिक, रंग पंचमी वह दिन है जब समस्त देवी-देवता पृथ्वी पर आते हैं और भक्तों के साथ होली खेलते हैं। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, इस दिन रंगों का प्रयोग केवल मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि दैवीय ऊर्जा के संचार और नकारात्मक शक्तियों को समाप्त करने के लिए किया जाता है।
इस दिन वातावरण में गुलाल और अबीर उड़ाने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और नकारात्मकता समाप्त होती है। यही कारण है कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और मालवा क्षेत्र में रंग पंचमी को विशेष रूप से उत्साह के साथ मनाया जाता है।
देवी दुर्गा और असुरों के संहार की कथा
एक और पौराणिक कथा के मुताबिक, देवी दुर्गा ने रंग पंचमी के दिन राक्षसों का वध किया था। मान्यता है कि राक्षसों का संहार करने के बाद देवी दुर्गा ने अपने भक्तों के साथ विजय के प्रतीक रूप में रंग खेला था। इसीलिए, रंग पंचमी को बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व भी माना जाता है। इस दिन देवी की विशेष पूजा करने से सभी नकारात्मक ऊर्जाएं समाप्त होती हैं, घर में सुख-समृद्धि आती है और बुरी शक्तियों का प्रभाव खत्म होता है।
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रंग पंचमी का महत्व
- देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने का दिन।
- नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने वाला पर्व।
- सुख-समृद्धि, सफलता और मानसिक शांति प्रदान करने वाला त्योहार।
- भाईचारे, प्रेम और सौहार्द्र को बढ़ावा देने वाला पर्व।
रंग पंचमी पर किए जाने वाले शुभ उपाय
धार्मिक मान्यता के मुताबिक, रंग पंचमी के दिन कुछ खास उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और कष्ट दूर होते हैं।
- आर्थिक समृद्धि के लिए
मान्यता के मुताबिक, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें और उन्हें लाल गुलाल चढ़ाएं। इसके बाद कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। इससे आर्थिक समस्याएं समाप्त होती हैं और धन की वृद्धि होती है। - वैवाहिक जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए
मान्यता के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा करें और उन्हें लाल वस्त्र और चंदन अर्पित करें। इससे वैवाहिक जीवन में प्रेम और मधुरता आती है। - धन प्राप्ति के लिए
मान्यता के मुताबिक, पीले वस्त्र में एक सिक्का और हल्दी की गांठ बांधकर माता लक्ष्मी की पूजा करें और पूजा के बाद इसे अपनी तिजोरी में रख दें। इससे घर में धन की वृद्धि होती है। - विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए
मान्यता के मुताबिक, रंग पंचमी के दिन वट वृक्ष (बरगद के पेड़) की 108 बार परिक्रमा करें और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए लाल रंग का धागा बांधें। इससे विवाह में आ रही अड़चनें समाप्त होती हैं। - नौकरी और बिजनेस में तरक्की के लिए
मान्यता के मुताबिक, इस दिन अपने पर्स में पीले रंग की कोई चीज (हल्दी की गांठ, पीला फूल, पीला कपड़ा) रखें। इससे आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और करियर में उन्नति मिलती है।
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