इस शुभ मुहूर्त में करें कलश स्थापना, जानें कलश स्थापना की सही विधि, सामग्री और शुभ मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व 22 सितंबर, सोमवार से शुरू हो रहा है, और इस दिन कलश स्थापना की जाती है। यहां जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, आवश्यक सामग्री और पूजा की संपूर्ण विधि।

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Kaushiki
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हर साल की तरह इस साल भी शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व आने वाला है। यह पर्व मां दुर्गा को समर्पित है और पूरे नौ दिनों तक चलता है। इस साल शारदीय नवरात्रि का आरंभ 22 सितंबर सोमवार से हो रहा है।

नवरात्रि का पहला दिन कलश स्थापना के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन कलश स्थापित करके ही नौ दिनों के इस महापर्व की शुरुआत होती है।

यदि आप भी इस नवरात्रि में अपने घर में सुख-समृद्धि लाना चाहते हैं, तो कलश स्थापना की सही विधि और शुभ मुहूर्त जानना बेहद जरूरी है। आइए, जाने-माने पंडित संतोष शर्मा से जानते हैं कि शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना कैसे करें और इसके लिए क्या-क्या सामग्री चाहिए।

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महत्वपूर्ण तिथियां और शुभ योग

हिंदू पंचांग के मुताबिक, शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस साल यह तिथि 22 सितंबर को है। इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जो पूजा-पाठ के लिए अत्यंत फलदायी हैं। ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, ऐसे करें घटस्थापना-

सिद्धां सिद्धेश्वरीं सिद्धविद्याधरगणैर्युताम् ।
मंत्रसिद्धिप्रदां योनिसिद्धिदां लिंगशोभिताम् ।।
प्रणमामि महामायां दुर्गा दुर्गतिनाशिनीम् ।

अर्थ – तुम्हीं सिद्ध और सिद्धेश्वरी हो। तुम्हीं सिद्ध एवं विद्याधरों से युक्त हो। तुम मंत्र सिद्धि दायिनी हो। तुम योनि सिद्धि देने वाली हो। तुम ही लिंगशोभिता महामाया हो। दुर्गा और दुर्गति नाशिनी हो। तुमको बारम्बार नमस्कार है।

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घट स्थापना मुहूर्त

नवरात्रि (नवरात्रि के शुभ मुहूर्त में लिस्ट जारी) पर्व पर उत्तरा फाल्गुनी एवं हस्त नक्षत्र तथा शुक्ल योग के शुभ संयोग में घटस्थापना एवं कलश स्थापन करने के लिए शुभ मुहूर्त -

विशिष्ट मुहूर्त -

  • प्रातः 04.46.19 से 04.58.44 तक

    (ब्रह्मवेला+स्थिर सिंह लग्न नवांश+शुभ चौघड़िया)

  • प्रातः 06.16.41 से 08.07.06 तक

    (द्विस्व. कन्या लग्न नवांश+अमृत चौघड़िया)

  • प्रातः 10.21.22 से 11.37.15 तक

    (स्थिर वृश्चिक लग्न नवांश+शुभ चौघड़िया)

  • प्रातः 11.53.14 से दोप. 12.37.08 तक

    (अभिजीत मुहूर्त+स्थिर वृश्चिक लग्न)

चौघड़िया से -

  • प्रातः 06.16 मि. से 07.46 मि. तक(अमृत)

  • प्रातः 09.16 मि. से 10.46 मि. तक(शुभ)

  • दोप. 01.47 मि. से 03.17 मि. तक(चर)

  • दोप. 03.18 मि. से 04.47 मि. तक(लाभ)

  • दोप. 04.48 मि. से सांयः 06.17 मि. तक(अमृत)

  • सांयः 06.18 मि. से 07.47 मि. तक(चर)

  • आप अपनी सुविधा के अनुसार इनमें से किसी भी मुहूर्त में कलश की स्थापना कर सकते हैं।

तिथि और योग

  • आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि का शुभारंभ: 22 सितंबर, सोमवार, सुबह 01:23 बजे से

  • आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि का समापन: 23 सितंबर, मंगलवार, सुबह 02:55 बजे पर

  • शुक्ल योग: प्रातःकाल से लेकर शाम 07:59 बजे तक

  • ब्रह्म योग: शाम 07:59 बजे से पूरी रात तक

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कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री

कलश स्थापना की पूजा बिना सही सामग्री के अधूरी है। इसलिए, पूजा शुरू करने से पहले इन सभी चीज़ों को इकट्ठा कर लें:

  • मिट्टी या पीतल का कलश

  • गंगाजल

  • जौ

  • आम के पत्ते, अशोक के पत्ते, केले के पत्ते

  • सात प्रकार के अनाज

  • जटावाला नारियल

  • गाय का गोबर और गाय का घी

  • अक्षत (चावल), धूप, दीप, रोली, चंदन, कपूर

  • माचिस, रुई की बाती

  • लौंग, इलायची, पान का पत्ता, सुपारी, फल

  • लाल फूल, माला

  • पंचमेवा

  • रक्षासूत्र, सूखा नारियल

  • नैवेद्य

  • मां दुर्गा का ध्वज या पताका

  • दूध से बनी मिठाई

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कलश स्थापना की संपूर्ण विधि

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की विधि का पालन करना बहुत जरूरी है। यह विधि इस प्रकार है:

संकल्प और स्थान की तैयारी: 

  • शारदीय नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • इसके बाद, व्रत और पूजा का संकल्प लें।
  • अपने पूजा स्थान पर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में एक साफ चौकी रखें और उस पर पीले या लाल रंग का कपड़ा बिछा दें।

जौ बोना: 

  • कपड़े के ऊपर सात प्रकार के अनाज रखें।
  • इसके बाद, थोड़ी मिट्टी डालकर उसमें जौ बो दें और उसे थोड़ा पानी डालकर सींच दें।
  • इसी मिट्टी के ऊपर कलश स्थापित किया जाएगा। यह हरा-भरा जौ आने वाले सुख और समृद्धि का प्रतीक होता है।

कलश की स्थापना: 

  • अब, कलश पर रक्षासूत्र बांधें और उस पर रोली से तिलक करें।
  • फिर, कलश में गंगाजल और पवित्र जल भरें।
  • इसके अंदर अक्षत, फूल, हल्दी, चंदन, सुपारी, एक सिक्का और दूर्वा डालें।

पत्ते और नारियल: 

  • कलश के ऊपर आम और अशोक के पत्ते रखें।
  • एक ढक्कन से कलश के मुख को ढंक दें।
  • ढक्कन को चावल से भर दें। 
  • एक सूखे नारियल पर रोली से तिलक करें और उस पर रक्षासूत्र लपेटकर उसे ढक्कन पर रख दें।

देवताओं का आह्वान: 

  • अब, गणेश जी, वरुण देव और अन्य देवी-देवताओं का आह्वान और पूजन करें।
  • इस प्रकार से कलश स्थापना की प्रक्रिया पूरी होती है।

अखंड ज्योति: 

  • कलश के पास ही एक अखंड ज्योति जलाएं।
  • यह अखंड ज्योति पूरे नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए, जो आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा और प्रकाश लाएगी।

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कलश स्थापना का आध्यात्मिक महत्व

कलश स्थापना केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि इसका गहरा आध्यात्मिक महत्व भी है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, कलश को ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है। इसमें जल, अनाज और अन्य सामग्री डालकर हम सभी देवी-देवताओं को अपनी पूजा में उपस्थित होने के लिए आमंत्रित करते हैं।

कलश को मातृ शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है, जिसमें त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) और अन्य सभी देवताओं का वास होता है। इसलिए, कलश स्थापना करके हम पूरे ब्रह्मांड को अपनी पूजा का साक्षी बनाते हैं और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करते हैं। शारदीय नवरात्रि व्रत नियम | कब है नवरात्रि

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