तीज-त्योहारों को लेकर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती का ये आइडिया सबको पसंद आएगा

स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने तीज-त्योहारों को एक ही दिन मनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है, ताकि समाज में भ्रम न हो। आचार्य अरुण गिरी ने इस पहल का समर्थन किया और इसे धार्मिक सामंजस्य के लिए जरूरी बताया।

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Swami Nischalananda Saraswati..

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भारत में तीज-त्योहारों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है। लेकिन हाल के दिनों में इनकी तिथियों को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। कई बार यह भी देखा गया है कि एक ही तीज-त्योहार अलग-अलग तिथियों पर मनाए जाते हैं, जिससे समाज में भ्रम पैदा हो जाता है।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए, शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने यह प्रस्ताव रखा कि सभी तीज-त्योहारों को एक ही दिन मनाने की दिशा में पहल की जानी चाहिए। महाकुंभ के दौरान, शंकराचार्य सरस्वती महाराज ने इस पर खुलकर चर्चा की और एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि, सभी तीज-त्योहारों को एक ही दिन मनाना चाहिए, ताकि आम लोगों में किसी प्रकार का भ्रम न हो।

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शंकराचार्य का महत्वपूर्ण बयान

महाकुंभ में धर्मसभा के दौरान, शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा, "कई बार तीज-त्योहारों की तिथियां अलग-अलग होती हैं, जिससे आम लोगों के बीच असमंजस उत्पन्न होता है। यह धार्मिक कार्यों में अशान्ति पैदा करता है और लोगों को सही तरीके से तीज-त्योहार मनाने का मौका नहीं मिलता। इस दिशा में सुधार की आवश्यकता है।"

उन्होंने यह भी कहा कि अगर हम इन तीज-त्योहारों को एक निश्चित दिन पर मनाने की परंपरा शुरू कर दें तो इससे समाज में धार्मिक एकता और सामंजस्य बना रहेगा।

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पंचांग के सुधार की आवश्यकता

स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने इस मुद्दे को और अधिक गंभीरता से उठाते हुए पंचांग के सुधार की आवश्यकता जताई। उनका मानना था कि, पंचांगों में और अधिक मेहनत की जरूरत है। ताकि तीज-त्योहारों की तिथियों में एकता स्थापित किया जा सके और लोग सही समय पर अपना धार्मिक कार्य कर सकें।

आचार्य अरुण गिरी ने किया समर्थन

बता दें कि आचार्य महामंडलेश्वर अरुण गिरी, जिन्हें 'गोल्डन बाबा' के नाम से भी जाना जाता है ने स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के इस विचार का समर्थन किया है। उन्होंने इसे लागू करने की भी आवश्यकता जताई। उन्होंने इस पहल को समाज के लिए आवश्यक बताया और कहा कि यह पहल भविष्य में तीज-त्योहारों को लेकर किसी भी भ्रम को समाप्त करेगी।

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गोल्डन बाबा और सिंहासन की भव्यता

वहीं खबर है कि इसी बीच, एक भक्त ने आचार्य अरुण गिरी को 251 किलो सोने का सिंहासन भेंट किया। जिसकी कीमत करीब 200 करोड़ रुपए से ज्यादा बताइ जा रही है। इस सिंहासन बनाने में महीनों का समय लगा और इसकी भव्यता ने सभी को हैरान कर दिया।

बता दें कि आचार्य अरुण गिरी, जो खुद 6 करोड़ रुपए का सोना पहनते हैं, 'गोल्डन बाबा' के नाम से चर्चित हैं। यह घटनाक्रम इस बात का प्रतीक है कि धार्मिक कार्यों और पहल में भव्यता का भी अपना स्थान है।

समाज में सामंजस्य का संदेश

यह घटनाक्रम दर्शाता है कि धार्मिक मामलों में एकजुटता और एकता की आवश्यकता है। शंकराचार्य और अन्य धर्मगुरुओं द्वारा उठाए गए इस महत्वपूर्ण मुद्दे से यह साफ है कि भारत में तीज-त्योहारों के आयोजन को एक परंपरा-संबंधी दिशा देने की जरूरत है। यह न केवल धार्मिक एकता को बढ़ावा देगा, बल्कि समाज में शांति और सद्‍भावना भी लाएगा।

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FAQ

क्या तीज-त्योहारों को एक ही दिन मनाने की आवश्यकता है?
हां, ताकि समाज में किसी प्रकार का भ्रम न हो और धार्मिक कार्य सुचारू रूप से हों।
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने किस मुद्दे पर विचार किया?
उन्होंने तीज-त्योहारों को एक ही दिन मनाने की जरूरत पर जोर दिया।
आचार्य अरुण गिरी का इस मुद्दे पर क्या कहना है?
आचार्य अरुण गिरी ने इस पहल का समर्थन किया और इसे समाज के लिए जरूरी बताया।
गोल्डन बाबा के नाम से प्रसिद्ध आचार्य अरुण गिरी को क्या भेंट दिया गया?
एक भक्त ने उन्हें 251 किलो सोने का सिंहासन भेंट किया, जिसकी कीमत 200 करोड़ रुपए है।
पंचांग सुधार की आवश्यकता क्यों है?
पंचांग सुधार से तीज-त्योहारों की तिथियों में सामंजस्य स्थापित किया जा सकेगा और भ्रम दूर होगा।

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