तमिलनाडु का उच्चिपिल्लैयार गणेश मंदिर, यहां विभीषण ने किया था भगवान गणेश पर वार, दिखता है चोट का निशान

त्रिची के ऊंचे पर्वत पर स्थित उच्चिपिल्लैयार गणेश मंदिर भक्तों के लिए आस्था और सुकून का केंद्र है। यह मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि इतिहास, किंवदंती और प्राकृतिक सौंदर्य का एक अनूठा संगम है।

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Kaushiki
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दक्षिण भारत का आध्यात्मिक हृदय, तमिलनाडु अपने प्राचीन और भव्य मंदिरों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इन्हीं में से एक, तिरुचिरापल्ली (त्रिची) में स्थित उच्चिपिल्लैयार गणेश मंदिर भक्तों और पर्यटकों दोनों के लिए एक खास आकर्षण है। यह मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि इतिहास, किंवदंती और प्राकृतिक सौंदर्य का एक अनूठा संगम है।

273 फीट ऊंची विशाल चट्टान पर विराजमान, भगवान गणेश का यह धाम भक्तों को न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि पूरे त्रिची शहर का एक शानदार विहंगम दृश्य भी प्रस्तुत करता है।

इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 400 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं और हर कदम के साथ भक्त को आस्था और समर्पण का अनुभव होता है।

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दो शब्दों से मिलकर बना ये नाम

इस मंदिर का नाम 'उच्चिपिल्लैयार' दो शब्दों से मिलकर बना है - 'उच्चि' जिसका अर्थ है 'ऊंचाई' और 'पिल्लैयार' जो भगवान गणेश का तमिल नाम है। यानी, 'ऊंचाई पर विराजमान गणेश'।

यह नाम मंदिर की भौगोलिक स्थिति को पूरी तरह से दर्शाता है। यह मंदिर उस विशाल पर्वत श्रृंखला का एक हिस्सा है जिसे स्थानीय लोग "रॉकफोर्ट" कहते हैं, और इसके शिखर पर विराजमान गणेश जी को पूजना यहां की एक प्राचीन परंपरा है।

Ganesh Chaturthi 2025 ucchi pillayar temple tiruchirappalli history in  hindi | तिरुचिरापल्ली के उचिप्पिलैयार गणेश मंदिर की कथा - News18 हिंदी

मंदिर का पौराणिक महत्व

उच्चिपिल्लैयार गणेश मंदिर का इतिहास बहुत गहरा है और यह एक दिलचस्प पौराणिक कथाएं से जुड़ा हुआ है। यह माना जाता है कि इसी स्थान पर भगवान गणेश ने रावण के छोटे भाई विभीषण से शिवलिंग छीनकर स्थापित किया था।

पौराणिक कथा के मुताबिक, जब विभीषण लंका जा रहे थे तब वह भगवान राम द्वारा दिया गया एक शिवलिंग अपने साथ ले जा रहे थे। इस शिवलिंग को धरती पर नहीं रखा जाना था, क्योंकि एक बार रखने के बाद इसे दोबारा उठाया नहीं जा सकता था। देवताओं को डर था कि अगर यह शिवलिंग लंका पहुंच गया तो वहां इसकी शक्ति से बुराई और बढ़ जाएगी।

जब विभीषण त्रिची के पास से गुजर रहे थे, तो उन्हें कावेरी नदी में स्नान करने की इच्छा हुई। उन्होंने एक ग्वाले के वेश में खड़े भगवान गणेश से शिवलिंग को कुछ देर पकड़े रहने का आग्रह किया।

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गणेश जी ने शर्त रखी कि वह इसे तभी तक पकड़ेंगे जब तक वे उन्हें बुलाते रहेंगे और अगर वह ऐसा नहीं करेंगे तो वे इसे धरती पर रख देंगे। विभीषण ने यह शर्त मान ली। 

जब विभीषण नदी में गए, तो गणेश जी ने उन्हें कई बार पुकारा लेकिन विभीषण ध्यान नहीं दे पाए। गणेश जी ने शिवलिंग को वहीं रख दिया और वह वहीं स्थापित हो गया।

जब विभीषण वापस आए और उन्होंने देखा कि शिवलिंग को धरती पर रख दिया गया है, तो वे क्रोधित हो गए और उन्होंने गणेश जी के सिर पर वार किया। 

गणेश जी ने मुस्कुराते हुए अपना असली रूप दिखाया और विभीषण को शांत किया। आज भी, इस मंदिर (ganesh mandir) में स्थापित गणेश जी की मूर्ति के सिर पर उस चोट का निशान देखा जा सकता है। इसी वजह से यह स्थान अत्यधिक पवित्र माना जाता है।

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उच्ची पिल्लयार मंदिर

मंदिर की वास्तुकला

उच्चिपिल्लैयार गणेश मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। हालांकि, यह मंदिर चट्टान के शीर्ष पर होने के कारण उतना विशाल नहीं है जितना कि अन्य द्रविड़ शैली के मंदिर, लेकिन इसकी बनावट और इसका स्थान इसे अद्वितीय बनाते हैं।

  • चढ़ाई और सीढ़ियां: मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 400 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यह चढ़ाई आसान नहीं है, लेकिन हर कदम के साथ आस्था बढ़ती जाती है।

  • मंडपम: सीढ़ियों पर चढ़ते समय, बीच में कई मंडपम और छोटे-छोटे मंदिर आते हैं, जहां भक्त आराम कर सकते हैं और पूजा कर सकते हैं।

  • दर्शन: मंदिर के गर्भगृह में एक छोटी और सुंदर गणेश मूर्ति विराजमान है। यहां की पूजा और आरती का अनुभव मन को शांति प्रदान करता है।

  • विहंगम दृश्य: मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण इसके शिखर से दिखने वाला अद्भुत दृश्य है। यहां से पूरे त्रिची शहर का पैनोरमिक व्यू दिखता है। नीचे से बहती कावेरी नदी और दूर-दूर तक फैली हरियाली का नजारा भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

Uchhi pillayar temple

दर्शन और पूजा का समय

उच्चिपिल्लैयार गणेश मंदिर दर्शन के लिए सुबह से शाम तक खुला रहता है, लेकिन सबसे अच्छा समय सुबह जल्दी या शाम के समय का होता है, जब मौसम ठंडा होता है और सूर्यास्त का मनमोहक दृश्य भी देखा जा सकता है।

भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे अपने साथ पानी की बोतल रखें, खासकर गर्मी के महीनों में। मंदिर से जुड़ी कुछ ये अनोखी बातें भी हैं,

  • रॉकफोर्ट का हिस्सा: यह मंदिर सिर्फ अकेले नहीं है, बल्कि यह रॉकफोर्ट मंदिर परिसर का हिस्सा है जिसमें मातृत्व से जुड़ी मान्यता वाले माता पार्वती का मंदिर भी है जिसे थायुमानवर स्वामी मंदिर कहा जाता है।

  • गणेश चतुर्थी: गणेश चतुर्थी में यहां विशेष पूजा और उत्सव आयोजित किए जाते हैं। इस समय मंदिर परिसर भक्तों से भरा रहता है।

  • प्रसाद: यहां का प्रसाद बहुत ही खास माना जाता है। भक्त दर्शन के बाद इसे ग्रहण करते हैं और मानते हैं कि यह उनकी मनोकामना पूरी करता है।

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।

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