टेक में मास्टर फिर भी Gen Z को नौकरी से निकाल रही कंपनियां

Gen Z को सबसे तेज और डिजिटल पीढ़ी कहा जाता है। लेकिन एक नए सर्वे से कंपनियों में चिंता बढ़ गई है। 60% मैनेजर्स ने Gen Z कर्मचारियों को जल्दी निकाल दिया है। मेन कारण कम्युनिकेशन गैप, प्रोफेशनलिज्म की कमी और काम में उत्साह की कमी है।

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Anjali Dwivedi
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GEN Z
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JOBS 2025 : डिजिटल क्रांति के दौर में, Gen Z हर फील्ड में स्मार्ट होने के बावजूद कंपनियों में नहीं टिक पा रहे हैं। 500 से ज्यादा कंपनियों के मैनेजर्स ने इसे स्वीकार किया है। उनका कहना है कि डिजिटल नेटिव्स होने के बावजूद, Gen Z के साथ काम करना मुश्किल हो रहा है।

किसे कहते हैं Gen Z

जो युवा 1997 से 2012 के बीच पैदा हुए हैं, उन्हें जेन जी कहा जाता है। इन्हें डिजिटल नेटिव्स और जूमर्स भी कहते हैं। ये हमेशा तकनीक, मोबाइल और इंटरनेट से जुड़े रहे हैं।

इनकी एक दिलचस्प बात सामने आई है। इस पीढ़ी को सुपर स्मार्ट कहा जाता है। उसी को लेकर कंपनियों में टेंशन बढ़ रही है। एक नए सर्वे ने एक बड़ी सच्चाई बताई है। Gen Z कर्मचारियों को सबसे ज्यादा निकाला जा रहा है।  

हायरिंग मैनेजर्स की राय है बहुत शॉकिंग

सितंबर 2025 में एक बड़ा सर्वे हुआ था। यह सर्वे एक वेबसाइट ने जारी किया है। इसमें एक हजार हायरिंग मैनेजर्स को शामिल किया गया था। इस सर्वे का नतीजा बहुत हैरान करने वाला था।

60% मैनेजर्स ने यह बात मानी है कि उन्होंने Gen Z Employees को बहुत जल्दी निकाल दिया। 6 में से 1 मैनेजर तो यह भी कह रहा था। वह Gen Z को नौकरी पर रखना ही नहीं चाहता है। यह डेटा वाकई में बहुत चौंकाने वाला है।

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कंपनियां Gen Z को नौकरी से क्यों निकाल रही?

मैनेजर्स ने इसकी कुछ खास वजहें बताई हैं। सबसे बड़ी प्रॉब्लम कम्युनिकेशन की है। जेन-Z साफ और प्रोफेशनल बात नहीं कर पाती। 38% मैनेजर्स ने यह बताया है। ये लोग टाइम पर फीडबैक भी नहीं देते हैं। कम्युनिकेशन की कमी से टीमवर्क में दिक्कत आती है।

हैरानी की बात है कि काम का उत्साह भी कम है। यह डिजिटल पीढ़ी होने के बाद भी ऐसा है। 20% मैनेजर्स ने साफ यह बात कही है। Gen Z की परफॉर्मेंस अच्छी नहीं है। इन्हें काम के लिए बार-बार याद दिलाना पड़ता है। 

 प्रोफेशनलिज्म की कमी सबसे बड़ा इशू

46% हायरिंग मैनेजर्स ने खुलकर यह कहा है। Gen Z में प्रोफेशनलिज्म की कमी ज्यादा है। जैसे ये टाइम पर काम पूरा नहीं करते हैं। ऑफिस के कल्चर को नहीं अपना पाते हैं। ये युवा जिम्मेदारी लेने से भी बचते हैं। बार-बार छुट्टी लेना इनकी एक आदत है।

Gen Z जनरेशन स्मार्ट जरूर है, पर उनमें एक और दिक्कत है। सर्वे के अनुसार इन्हें नई चीजें सीखने में परेशानी होती है। 500 से ज्यादा मैनेजर्स ने यही बात कही है। यह पीढ़ी बदलाव को आसानी से नहीं अपनाती है। डिजिटल होना एक अलग तरह की बात है। लेकिन मैदान में काम करना असली चुनौती है।

साथ काम करना हो रहा है मुश्किल

अप्रैल में एक और सर्वे हुआ था। इसमें भी वही बातें सामने आईं थी। 74% मैनेजर्स ने कहा कि इनसे काम लेना मुश्किल है। उन्हें अपनी पीढ़ी के लोगों के साथ काम करना आसान लगता है।

GEN-Z को अब इन बातों पर ध्यान देना होगा। डिजिटल स्किल के साथ सॉफ्ट स्किल भी जरूरी है। तभी ये युवा कॉर्पोरेट वर्ल्ड में टिक पाएंगे।

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