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Cyber crime alert: भारतीय मूल 17 साल की तेजस्वी मनोज ने दुनिया को दिखा दिया है कि युवा शक्ति में कितनी ताकत होती है। अमेरिका के टेक्सास में रहने वाली 17 साल की इस टैलेंटेड गर्ल को टाइम मैगजीन ने किड ऑफ द ईयर चुना है।
यह सम्मान उन्हें साइबर क्राइम के खिलाफ काम करने के लिए मिला है। उन्होंने 'Shield Seniors' नाम की एक शानदार वेबसाइट बनाई है जिसका मकसद बुजुर्गों को ऑनलाइन धोखाधड़ी और साइबर क्राइम्स से बचाना है।
यह प्रोजेक्ट एक पर्सनल एक्सपीरियंस से इंस्पायर होकर शुरू हुआ, जब उनके दादाजी ऑनलाइन ठगी के शिकार होने वाले थे। तेजस्वी की यह पहल दिखाती है कि कैसे एक युवा भी समाज में एक बड़ा और पॉजिटिव बदलाव ला सकता है।
उनकी वेबसाइट सिर्फ एक टूल नहीं, बल्कि एक मूवमेंट है जो बुजुर्गों को डिजिटल दुनिया में सेफ फील कराता है। यह इनोवेशन और सोशल अवेयरनेस का एक परफेक्ट उदाहरण है।
शील्ड सीनियर्स की इंस्पिरेशन
तेजस्वी मनोज के इस बड़े काम के पीछे एक बहुत ही इंस्पायरिंग कहानी है। फरवरी 2024 में जब वह 16 साल की थीं तब उनके दादाजी लगभग ₹1,76,461 की ऑनलाइन ठगी का शिकार होने वाले थे।
उनके दादा को एक ईमेल आया था जिसमें लिखा था कि तेजस्वी के चाचा को इमरजेंसी में पैसों की जरूरत है। दादाजी बिना सोचे-समझे पैसे भेजने ही वाले थे कि उनके बेटे (तेजस्वी के पिता) ने उन्हें रोक दिया।
बाद में परिवार ने चाचा से सीधे बात की और पता चला कि यह एक स्कैम था। इस घटना ने तेजस्वी को बहुत परेशान कर दिया। उन्होंने रिसर्च की और पाया कि बुजुर्गों के साथ इस तरह की ऑनलाइन धोखाधड़ी बहुत आम है।
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FBI के चौंकाने वाले आंकड़े
FBI’s Internet Crime Complaint Center के मुताबिक, हाल के वर्षों में ऑनलाइन ठगी (Cyber crime) की शिकायतों में भारी वृद्धि हुई है। करीब 8.6 लाख ऑनलाइन ठगी की शिकायतें मिलीं, जिनसे संभावित $16 बिलियन से ज्यादा का नुकसान हुआ।
इनमें से 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को निशाना बनाने वाले फ्रलगभग $5 बिलियन तक पहुंचे, जो पिछले साल की तुलना में 32% ज्यादा था। इन चौंकाने वाले आंकड़ों ने तेजस्वी को कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित किया।
एक साल में तैयार हुआ 'Shield Seniors'
इस घटना के बाद, तेजस्वी ने ठान लिया कि वह बुजुर्गों को इन खतरों से बचाएंगी। सिर्फ एक साल के अंदर, उन्होंने 'Shield Seniors' नाम की वेबसाइट बना ली।
TIME मैगजीन को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि, "अगर आप ChatGPT या Gemini जैसे AI (artifical Intelligence) से साइबर सिक्योरिटी पर सवाल पूछेंगे, तो वे आपको लंबे-लंबे पैराग्राफ और मुश्किल शब्दों में जवाब देंगे।
यह कुछ लोगों के लिए ठीक है, लेकिन ज्यादातर बुजुर्गों के लिए इसे समझना आसान नहीं होता।" इसी सोच के साथ, उन्होंने अपनी वेबसाइट को बहुत ही सिंपल और यूजर-फ्रेंडली बनाया, ताकि बुजुर्ग आसानी से इसका इस्तेमाल कर सकें।
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'Shield Seniors' की करंट सिचुएशन
'Shield Seniors' अभी डेवलपमेंट स्टेज में है। यह अभी एक फ्री AI इंजन पर काम कर रहा है, जिसकी वजह से इसकी कैपेसिटी और यूजर्स की संख्या लिमिटेड है। इसी कारण, यह अभी सिर्फ प्राइवेट प्रीव्यू में उपलब्ध है।
तेजस्वी इसके लिए फंड्स जुटा रही हैं ताकि इसे एक और मजबूत, कमर्शियल AI प्लेटफॉर्म पर अपग्रेड किया जा सके। तेजस्वी का कहना है, "हम इसे सबके लिए तभी खोलेंगे जब हमारे पास पर्याप्त फंडिंग होगी, जिससे ज्यादा लोग इसका इस्तेमाल कर सकें।"
उन्हें लगता है कि इस प्लेटफॉर्म से लोगों को यह फील होगा कि ऑनलाइन धोखे के मामलों में वे "अकेले नहीं हैं"। यह मैसेज बहुत जरूरी है क्योंकि अक्सर लोग धोखाधड़ी का शिकार होने के बाद शर्मिंदा महसूस करते हैं और इसकी शिकायत नहीं करते।
आप अकेले नहीं हैं का मैसेज
तेजस्वी का यह मैसेज कि "आप अकेले नहीं हैं" बहुत ही पावरफुल है। उन्होंने कहा, "बहुत से लोग यह सोचकर शर्मिंदा होते हैं कि वे ठगी का शिकार हो गए, लेकिन इसमें शर्मिंदगी की कोई बात नहीं है।
यह एक सीखने का अनुभव है। आपको इसे रिपोर्ट करना चाहिए ताकि किसी और के साथ ऐसा न हो।" उनका यह कदम सिर्फ टेक्नोलॉजी का अच्छा इस्तेमाल नहीं है, बल्कि यह समाज को एक साथ लाने और एक-दूसरे की मदद करने का भी एक तरीका है।
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