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आज की यादगार घटनाएं: आज की डिजिटल दुनिया में गूगल हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है। हमें कुछ भी जानना हो, किसी भी चीज की जानकारी चाहिए हो या यहां तक कि दोस्तों से बात करनी हो हम सीधे गूगल का रुख करते हैं। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब यह सब इतना आसान नहीं था।
आज तो बस हम अपने फोन या लैपटॉप पर कुछ भी टाइप करते हैं और गूगल पलक झपकते ही जवाब दे देता है। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि जिस गूगल पर हम इतना भरोसा करते हैं, उसकी उम्र कितनी है और इसकी शुरुआत कैसे हुई? या क्या आपने कभी सोचा है कि आज से 25-30 साल पहले लोग इंटरनेट पर जानकारी कैसे खोजते थे?
4 सितंबर, 1998 को एक गैराज से शुरू हुई यह कहानी आज दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी में से एक बन चुकी है। चलिए इस आर्टिकल में हम गूगल के जन्म से लेकर इसके विकास तक के पूरे सफर को समझेंगे और जानेंगे कि कैसे इसने हमारे डिजिटल जीवन को पूरी तरह से बदल दिया।
कुछ ऐसी थी गूगल से पहले की दुनिया
आज जब हम एक क्लिक पर किसी भी सवाल का जवाब पा सकते हैं, तो यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि गूगल से पहले की जिंदगी कैसी थी।
लाइब्रेरियों का दौर
जब इंटरनेट इतना लोकप्रिय नहीं था, तब जानकारी का सबसे बड़ा खजाना किताबें और लाइब्रेरियां थीं। अगर हमें किसी विषय पर कुछ जानना होता था, तो हमें घंटों लाइब्रेरी में बैठकर मोटी-मोटी किताबें पढ़नी पड़ती थीं। रिसर्च करना एक बहुत ही लंबा और मुश्किल काम था। स्कूल या कॉलेज प्रोजेक्ट्स के लिए घंटों लाइब्रेरियन की मदद लेनी पड़ती थी और नोट्स बनाने पड़ते थे।
एन्साइक्लोपीडिया की भूमिका
उस समय घरों में एन्साइक्लोपीडिया रखना बहुत आम था। ये ज्ञान का एक बहुत बड़ा भंडार थे। अगर किसी को किसी विषय पर थोड़ी जानकारी चाहिए होती थी, तो वह एन्साइक्लोपीडिया की मदद लेता था। लेकिन इनमें भी जानकारी सीमित होती थी और यह हमेशा अपडेटेड नहीं होती थी।
शुरुआती सर्च इंजन
जब इंटरनेट आया तो कुछ शुरुआती सर्च इंजन भी आए, जैसे कि याहू (Yahoo!), अल्टाविस्टा (AltaVista) और लाइकोस (Lycos)। लेकिन ये सर्च इंजन आज के गूगल की तरह बिल्कुल नहीं थे। इनकी सबसे बड़ी कमी यह थी कि ये वेबसाइट्स को उनके नामों या उनमें मौजूद कुछ खास शब्दों के आधार पर दिखाते थे। अगर आप "दिल्ली में रेस्टोरेंट्स" खोजते थे, तो ये आपको उन वेबसाइट्स की लंबी लिस्ट दिखा देते थे, जिनमें ये शब्द मौजूद होते थे भले ही वे अब मौजूद न हों या पूरी तरह से इरेलीवेंट हों। सही जानकारी तक पहुंचना बहुत मुश्किल था (Changes the rules of Google)।
गूगल के आने से क्या बदलाव आए
गूगल का आना सिर्फ एक नई वेबसाइट का आना नहीं था, बल्कि यह एक क्रांति थी। इसने हमारे जानकारी तक पहुंचने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया। इसने दुनिया को एक छोटे से गांव में बदल दिया है जहां जानकारी तक पहुंचना अब कोई संघर्ष नहीं, बल्कि एक क्लिक का काम है।
इसने हमें और भी ज्यादा जानकार, आत्मनिर्भर और जिज्ञासु बना दिया है। गूगल सिर्फ एक सर्च इंजन नहीं, बल्कि एक ऐसा टूल है जिसने हमारी जिंदगी को सच में आसान और बेहतर बना दिया है।
सटीक और तेज जवाब
- गूगल ने अपने PageRank Algorithm की मदद से सर्च को बहुत बेहतर बना दिया। जब आप कुछ खोजते हैं, तो यह सिर्फ शब्दों को नहीं देखता, बल्कि यह देखता है कि कौन सी वेबसाइट सबसे ज्यादा भरोसेमंद और जानकारी से भरी है।
- यही कारण है कि आज जब हम कुछ खोजते हैं, तो हमें सबसे सटीक और विश्वसनीय जवाब सबसे ऊपर मिलते हैं।
हमारी उंगलियों पर दुनिया
- Google ने जानकारी को हमारी उंगलियों तक पहुंचा दिया। अब हमें किसी भी चीज के लिए लाइब्रेरी जाने या किताबों में ढूंढने की जरूरत नहीं है।
- हम कहीं भी, कभी भी अपने फोन पर कुछ भी जान सकते हैं। चाहे वह किसी ऐतिहासिक घटना के बारे में जानना हो या फिर किसी नए व्यंजन की रेसिपी।
नए-नए आविष्कार
- Google ने सिर्फ सर्च इंजन तक ही खुद को सीमित नहीं रखा। उसने हमारी जिंदगी को आसान बनाने के लिए बहुत से दूसरे प्रोडक्ट्स भी बनाए। Gmail ने ईमेल को बहुत आसान बना दिया।
- Google Maps ने रास्ता ढूंढना आसान कर दिया। YouTube ने वीडियो देखना और बनाना बहुत लोकप्रिय बना दिया। आज हम अपने फोन पर जो एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम इस्तेमाल करते हैं, वह भी Google का ही है।
व्यवसाय और शिक्षा का विकास
- गूगल ने छोटे-बड़े सभी व्यवसायों को दुनिया भर में अपनी पहचान बनाने का मौका दिया। Google Ads और Google My Business जैसे टूल ने उन्हें अपने ग्राहकों तक पहुंचने में मदद की।
- शिक्षा के क्षेत्र में भी गूगल ने बहुत बदलाव लाए। छात्र अब घर बैठे किसी भी विषय पर रिसर्च कर सकते हैं। ऑनलाइन कोर्सेज और ट्यूटोरियल आसानी से उपलब्ध हैं।
- आज गूगल हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का एक बहुत ही जरूरी हिस्सा बन गया है। हम सुबह उठकर मौसम का हाल जानने से लेकर रात को सोने से पहले कोई खबर देखने तक, हर काम में गूगल का इस्तेमाल करते हैं।
ऐसे शुरु हुआ गूगल का दौड़
गूगल का दौड़ इतना भी आसान नहीं था। यह कहानी दो दोस्तों, लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन से शुरू होती है जिन्होंने मिलकर दुनिया को बदल दिया। बात है 1990 के दशक के बीच की।
उस समय इंटरनेट अपने शुरुआती दौर में था। वेबसाइट्स बहुत कम थीं और उन्हें खोजना एक बड़ा सिरदर्द था। उस वक्त इंटरनेट को "वर्ल्ड वाइड वेब" कहा जाता था, जो एक तरह से बिना किसी नक्शे वाला एक जंगल था। 4 सितंबर 1998 को एक गैराज से शुरू हुई यह कहानी, आज दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी में से एक बन चुकी है।
इसकी कहानी Stanford University के दो Ph.D. छात्रों, लैरी पेज (Larry Page) और सर्गेई ब्रिन (Sergey Brin) से शुरू होती है। उन दोनों की मुलाकात 1995 में हुई और उन्होंने मिलकर एक रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया, जिसका नाम उन्होंने “बैक-रब” रखा। उनका लक्ष्य इंटरनेट पर जानकारी को खोजने का एक बेहतर और अधिक कुशल तरीका खोजना था। 1997 में, उन्होंने अपने प्रोजेक्ट का नाम बदलकर "Google" रखा, जो मैथमेटिकल शब्द "googol" से इंस्पायर्ड था। इसका अर्थ होता है 1 के बाद 100 जीरो। Google ने दुनिया को एक छोटे से गांव में बदल दिया है, जहां जानकारी तक पहुंचना अब कोई संघर्ष नहीं, बल्कि एक क्लिक का काम है। इसने हमें और भी ज्यादा जानकार, आत्मनिर्भर और जिज्ञासु बना दिया है। |
Google का जन्म और शुरुआती दिन
4 सितंबर, 1998 को लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने आधिकारिक तौर पर Google Inc. की स्थापना Menlo Park, California में एक दोस्त के गैराज में की। यह तारीख गूगल के जन्म का प्रतीक है और यहीं से उस क्रांति की शुरुआत हुई जिसने ऑनलाइन जानकारी तक हमारी पहुंच को हमेशा के लिए बदल दिया।
शुरुआती दौर में, गूगल की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। इसका एक मुख्य कारण इसका सरल, यूजर-फ्रेंडली इंटरफेस और सटीक सर्च रिजल्ट देने की क्षमता थी।
जहां दूसरे सर्च इंजन क्लटर और कन्फ्यूजिंग थे, वहीं Google का होमपेज बिल्कुल साफ और सीधा था जिसमें सिर्फ सर्च बार था। इस सादगी ने यूजर्स का दिल जीत लिया।
गूगल की कुछ शुरुआती सफलताएं
पेज-रैंक एल्गोरिदम (PageRank Algorithm) (1998): यह गूगल का सबसे बड़ा इनोवेशन था। यह एल्गोरिदम किसी वेबसाइट की रैंकिंग इस आधार पर तय करता था कि कितनी दूसरी वेबसाइट्स उस साइट को लिंक कर रही हैं। इसे एक तरह से "वोटिंग" सिस्टम माना जा सकता है।
एडवर्ड्स (AdWords) (2000): यह विज्ञापन प्लेटफॉर्म था, जिसने ऑनलाइन विज्ञापन के तरीके को बदल दिया।
गूगल टूलबार (Google Toolbar) (2000): एक ब्राउजर एक्सटेंशन जिसने सीधे ब्राउजर से सर्च करना आसान बना दिया।
गूगल इमेजेस (Google Images) (2001): तस्वीरों को सर्च करने का एक नया तरीका।
गूगल न्यूज (Google News) (2002): दुनिया भर की खबरों को एक जगह इकट्ठा करने वाला प्लेटफॉर्म।
इन शुरुआती इन्नोवेशंस ने Google की सफलता की नींव रखी और इसे टेक इंडस्ट्री में एक लीडर के रूप में स्थापित किया।
डेवलपमेंट का दौर और पब्लिक हो जाना
19 अगस्त, 2004 को Google ने NASDAQ स्टॉक एक्सचेंज में अपना पहला पब्लिक ऑफरिंग (IPO) लॉन्च किया। इस आईपीओ ने $1.67 बिलियन जुटाए और कंपनी का इवैल्यूएशन $23 बिलियन तक पहुंच गया।
यह गूगल के इतिहास में एक बड़ा मील का पत्थर था जिसने कंपनी को अपने ऑपरेशन्स को और बढ़ाने और नए प्रोडक्ट्स और सर्विसेज को डेवलप करने के लिए जरूरी रिसोर्सेज दिए। इस दौर में Google ने कुछ जरूरी प्रोडक्ट्स लॉन्च किए गए :
जीमेल (Gmail) (2004): एक मुफ्त ईमेल सेवा जिसने ईमेल को आसान और सुरक्षित बनाया।
गूगल मैप्स (Google Maps) (2005): नेविगेशन और दिशा-निर्देशों को पूरी तरह से बदल दिया।
गूगल अर्थ (Google Earth) (2005): दुनिया को एक 3D मॉडल में देखने का मौका दिया।
यूट्यूब का अधिग्रहण (YouTube Acquisition) (2006): Google ने YouTube को खरीदकर वीडियो कंटेंट के बाजार में कदम रखा।
गूगल क्रोम ब्राउजर (Google Chrome Browser) (2008): एक तेज और सुरक्षित ब्राउज़र।
एंड्रॉयड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम (Android Mobile OS) (2008): मोबाइल की दुनिया में क्रांति ला दी।
इन प्रोडक्ट्स और अधिग्रहणों ने Google को सिर्फ एक सर्च इंजन से एक डाइवर्सिफाइड टेक्नोलॉजी कंपनी में बदल दिया।
मॉडर्न ऐरा और अल्फाबेट का जन्म
2010 के दशक में, गूगल लगातार बदलती डिजिटल दुनिया के साथ तालमेल बिठाता रहा। कंपनी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (Machine Learning) और क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud Computing) में भारी निवेश किया, जिससे Google Assistant, Google Lens और Google Cloud Platform जैसी टेक्नोलॉजी सामने आईं।
2015 में गूगल में एक बड़ा पुनर्गठन हुआ। इसे एक नई होल्डिंग कंपनी अल्फाबेट इंक. (Alphabet Inc.) की सब्सिडियरी कंपनी बना दिया गया।
इस बदलाव ने गूगल को अपने कोर इंटरनेट बिजनेस पर ध्यान केंद्रित करने की आजादी दी, जबकि अल्फाबेट की अन्य सहायक कंपनियों को सेल्फ-ड्राइविंग कारों (Waymo) और बायोमेडिकल रिसर्च (Calico) जैसे एंबिशियस प्रोजेक्ट्स पर काम करने का मौका मिला।
गूगल ने सिर्फ सर्च को ही नहीं बदला बल्कि अपने एडवरटाइजिंग प्लेटफॉर्म्स, विशेष रूप से edwards (अब गूगल एड्स) और एडसेंस (AdSense) के जरिए एक पूरी मार्केटिंग इंडस्ट्री को भी जन्म दिया। आज, Google की विज्ञापन कमाई कंपनी की ग्रोथ का सबसे बड़ा इंजन है।
आज गूगल की ऐज
आज की डिजिटल दुनिया में, गूगल सिर्फ एक सर्च इंजन नहीं बल्कि हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है। इसकी शुरुआत 4 सितंबर, 1998 को हुई थी और आज 2 सितंबर 2025 को गूगल 26 साल का हो चुका है।
इन सालों में, इसने हमारे सोचने, सीखने और जानकारी पाने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है। पहले जहां हमें किसी जानकारी के लिए मोटी-मोटी किताबें पलटनी पड़ती थीं, आज एक क्लिक पर सब कुछ हाजिर है।
गूगल ने हमारी दुनिया को एक 'ग्लोबल विलेज' बना दिया है। Google Maps से हम कहीं भी रास्ता खोज सकते हैं, Gmail से पल भर में ईमेल भेज सकते हैं और YouTube पर दुनियाभर के वीडियो देख सकते हैं।
इसने हमें नॉलेज, कनेक्टिविटी और एंटरटेनमेंट का एक नया प्लेटफॉर्म दिया है। इसने हमारे जीवन को आसान और तेज बना दिया है। यह सिर्फ एक कंपनी नहीं, बल्कि एक ऐसा टूल है जिसने मानवता को एक नए युग में प्रवेश कराया है।
एक गैराज में शुरू हुई एक छोटी सी स्टार्टअप कंपनी आज एक ग्लोबल टेक लीडर है, जिसके 150,000 से ज्यादा कर्मचारी हैं और इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन $1 ट्रिलियन से ज्यादा है। अपनी उम्र के बावजूद, Google इनोवेशन में सबसे आगे है और लगातार टेक्नोलॉजी की सीमाओं को आगे बढ़ा रहा है।
References
- "The Google Story" by David A. Vise and Mark Malseed.
- "Googled: The End of the World as We Know It" by Ken Auletta.
- Google's official history page: https://about.google/our-story/
- Stanford University news article on the founding of Google: https://news.stanford.edu/news/2005/january19/google-011905.html
आज की तारीख का इतिहास
हर दिन का अपना एक अलग महत्व होता है और 4 सितंबर का दिन भी इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए दर्ज है। इस दिन दुनिया में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। आइए जानते हैं 4 सितंबर को भारत और विश्व में घटी कुछ प्रमुख घटनाओं के बारे में, जो आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ा सकती हैं।
4 सितंबर: इतिहास के पन्नों से
2014: WHO ने बताया कि पश्चिमी अफ्रीका में इबोला से मरने वालों की संख्या 1,900 से ज्यादा हो चुकी है।
2012: वैज्ञानिकों ने एक 'मैजिक कार्पेट' बनाया जो ऑप्टिकल फाइबर से बुजुर्गों के गिरने का पता लगाता है।
2011: एक सम्राट पेंगुइन, जो गलती से न्यूजीलैंड के तट पर आ गया था, उसे वापस दक्षिणी महासागर में छोड़ा गया।
2010: न्यूजीलैंड के दक्षिण द्वीप में 7.1 मेगावॉट का विनाशकारी भूकंप आया, जिससे भारी नुकसान हुआ।
2008: टाटा मोटर्स ने बंगाल के सिंगूर में 'नैनो' प्लांट का काम TMC के विरोध के बाद अस्थायी रूप से रोका।
2007: पूर्व ईरानी राष्ट्रपति अकबर हाशमी रफ़संजानी देश की सर्वोच्च धार्मिक संस्था के प्रमुख बने।
2006: 'क्रोकोडाइल हंटर' स्टीव इरविन की ऑस्ट्रेलिया में एक स्टिंग्रे के हमले से मौत हो गई।
2005: वैज्ञानिकों ने बताया कि वे 'चमत्कार चूहों' पर अपने शोध का खुलासा करेंगे, जिनमें शरीर के अंग फिर से उगाने की क्षमता है।
2000: श्रीलंका में सेना और विद्रोहियों के बीच संघर्ष में 316 लोग मारे गए।
1998: गूगल (Google) को एक कंपनी के तौर पर रजिस्टर किया गया और इसके लिए बैंक खाता खोला गया।
1998: सोवियत संघ के रडार स्टेशन, स्क्रोन्डा-1 को लाटविया में बंद कर दिया गया।
1985: 73 साल बाद पहली बार डूबे हुए जहाज टाइटेनिक की तस्वीरें सामने आईं।
1984: ब्रायन मुल्रोनी के नेतृत्व में प्रोग्रेसिव कंजर्वेटिव पार्टी ने कनाडा में सबसे बड़ी बहुमत की सरकार बनाई।
1969: उत्तरी वियतनाम के राष्ट्रपति और राष्ट्रपिता हो ची मिन्ह का निधन हुआ।
1952: भारतीय फिल्मों के मशहूर एक्टर ऋषि कपूर का जन्म हुआ।
1946: बॉम्बे में हिंदू और मुसलमानों के बीच सड़कों पर दंगे भड़क उठे।
1927: नागपुर में हुए दंगों में 22 लोग मारे गए और 100 से ज्यादा घायल हुए।
1888: अमेरिकी आविष्कारक जॉर्ज ईस्टमैन ने 'कोडक' ट्रेडमार्क को रजिस्टर किया।
1882: महान अमेरिकी आविष्कारक थॉमस एडिसन द्वारा बनाए गए बल्ब का पहली बार न्यूयॉर्क में प्रदर्शन किया गया।
1825: भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और 'भारतीय राजनीति के पितामह' दादा भाई नौरोजी का जन्म हुआ।
1781: 44 स्पेनिश वासियों ने 'लॉस एंजिल्स' शहर की स्थापना की।