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UGC Guidelines: हायर एजुकेशन के सेक्टर से एक बहुत ही इंपॉर्टेंट खबर आ है। यूजीसी (University Grants Commission) ने देश के सभी कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज को एक एडिशनल इंडियन लैंग्वेज सिखाने का नया प्रोग्राम शुरू करने का निर्देश दिया है। यह पहल हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) की सोच से सीधे जुड़ी हुई है।
NEP का मानना है कि बहुभाषावाद (Multilingualism) से ही हमारे देश में कल्चरल यूनिटी और इंक्लूसिव डेवलपमेंट आएगा। इसलिए ये पहल भारतीय भाषा समिति (BBS) की सिफारिश पर तैयार की गई है।
लर्न वन मोर इंडियन लैंग्वेज कैंपेन की शुरुआत
यूजीसी ने इस पहल को 'Learn One More Indian Language' नाम दिया है। ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी करने वाले हर स्टूडेंट को अब अपनी मदर टंग से अलग एक और भारतीय भाषा पढ़नी होगी।
खास बात ये है कि इसमें कोई जबरदस्ती नहीं है। बल्कि स्टूडेंट्स अपनी पसंद की कोई भी भाषा चुन सकते हैं। इसका मकसद स्टूडेंट्स, टीचर्स और स्टाफ की भाषाई स्किल को बढ़ाना है। साथ ही, अलग-अलग राज्यों की संस्कृति को समझने में मदद करना है जिससे नेशनल इंटीग्रेशन मजबूत हो।
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स्टूडेंट्स को क्या-क्या मिलेंगे सर्टिफिकेट
यूजीसी ने कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज को निर्देश दिए हैं कि वे स्टूडेंट्स को इस प्रोग्राम से जोड़ने के लिए इंसेंटिव भी दें। इसमें सर्टिफिकेट, एक्सेसिव मार्क्स, एचओडी लेवल पर पहचान या कोई अन्य एजुकेशनल बेनिफिट्स शामिल हो सकते हैं।
आयोग का मानना है कि जब स्टूडेंट्स को लगेगा कि भाषा सीखने से उन्हें करियर में फायदा मिलेगा, तो वे एक्साइटमेंट से जुड़ेंगे। यह भाषा कोर्स शुरूआती स्तर का और सीखने में आसान होना चाहिए।
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कोर्स की फ्रेमवर्क
UGC Guidelines (यूजीसी के नए नियम) ने भाषा कोर्स की पूरी रूपरेखा भी बताई है।
कोर्स मोड:
संस्थान इसे पूरी तरह ऑफलाइन, ऑनलाइन (Big decision of UGC) या दोनों माध्यमों में चला सकते हैं। इसके लिए डिजिटल लेक्चर, ई-बुक और इंटरैक्टिव टूल्स का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
कोर्स लेवल:
कोर्स को तीन लेवल पर ऑफर किया जाएगा: बेसिक, इंटरमीडिएट और एडवांस।
डिग्री में काउंट:
इन कोर्सेज को तीन तरह से ऑफर किया जाएगा:
एबिलिटी एन्हांसमेंट कोर्स (AEC):
इसमें क्रेडिट मिलेगा।
क्रेडिट कोर्स:
यह सीधे डिग्री में काउंट होगा।
ऑडिट कोर्स:
यह सिर्फ सीखने के लिए होगा।
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ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड्स
स्टूडेंट्स आसानी से एंट्री-एग्जिट कर सकते हैं। कॉलेज (यूजीसी का बड़ा फैसला) इसे खुद डिजाइन कर सकते हैं या किसी दूसरे संस्थान के साथ एमओयू (MOU) करके भी करवा सकते हैं। UGC (National Education Policy 2020) ने HEIs के लिए एक शानदार पहल शुरू की है।
इसका मेन गोल यह है कि हर स्टूडेंट अपनी मदर टंग के अलावा, 8th Schedule की 22 भाषाओं में से एक और एडिशनल लैंग्वेज सीखे। ये सिर्फ बुकिश नॉलेज नहीं, बल्कि पूरे देश में कल्चरल यूनिटी को मजबूत करने का एक बिग स्टेप है।
जब हम नई भाषा सीखते हैं, तो उस क्षेत्र की कल्चर और सोच को भी समझते हैं। यह पहल नेशनल इंटीग्रेशन को बढ़ावा देगी। इन कोर्सों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड्स में चलाने का सुझाव दिया गया है। ताकि छात्रों और प्रोफेशनल्स को सुविधा मिल सके।
एंट्री-एक्जिट का ऑप्शन भी दिया गया है। जब चाहें दाखिला ले सकते हैं और बीच में छोड़ कर फिर से जुड़ सकते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि जो HEIs इस मुहिम को अच्छे से लागू करेंगे, उन्हें नैक (NAAC) और एनआईआरएफ (NIRF) की रैंकिंग में एक्स्ट्रा वेटेज दिया जाएगा।
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बेहतर कम्युनिकेशन, एम्प्लॉयमेंट पोटेंशियल बढ़ेगी
इस नई गाइडलाइन का सबसे बड़ा फायदा स्टूडेंट्स को ही होगा। दूसरी भारतीय भाषा सीखने से क्रॉस-कल्चरल समझ बढ़ेगी। उनकी कम्युनिकेशन स्किल शानदार होगी।
सबसे खास बात यह है कि उन्हें अलग-अलग राज्यों में जॉब के नए मौके मिलेंगे। इससे उनकी एम्प्लॉयमेंट पोटेंशियल बढ़ेगी और विकसित भारत का सपना सच करने में मदद मिलेगी। इन कोर्सों में एबिलिटी एनहांसमेंट, क्रेडिट और ऑडिट कोर्स जैसे विकल्प शामिल होंगे जिससे सीखने की आजादी मिलेगी।
एजुकेशन मिनिस्ट्री का मानना है कि यह भाषा पहल वोकेशनल लिंकेज को बढ़ाएगी। ज्यादा भाषाएं जानने से जॉब अपॉर्चुनिटी खुलेंगी। UGC ने HEIs से प्लेसमेंट में ऐसे स्टूडेंट्स को प्रॉयोरिटी देने को कहा है जिन्होंने एडिशनल इंडियन लैंग्वेज सीखी है।
Multilingualism प्रमोशन के लिए, स्टूडेंट्स को 'भाषा बंधु' या 'भाषा दूत' जैसे टाइटल्स मिलेंगे। 5+ भाषाएं जानने वालों को 'indian language festival' पर स्पेशल ऑनर दिया जाएगा।
टीचर्स को भी स्पेशल रेस्पेक्ट मिलेगा। AICTE पोर्टल भी स्किल्ड लोगों को आईडेंटीफ्य करेगा। लक्ष्य है कि लिंगविस्टिक डाइवर्सिटी हमारी सबसे बड़ी स्ट्रेंथ बने।
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