UPSC सिविल सर्विस में प्रीलिम्स एग्जाम के तुरंत बाद जारी होगी प्रोविजनल आंसर-की

UPSC ने सिविल सर्विस प्रीलिम्स एग्जाम के तुरंत बाद प्रोविजनल आंसर-की जारी करने का फैसला किया है। यह फैसला ट्रांसपेरेंसी बढ़ाने और लाखों सिविल सेवा कैंडिडेट्स की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने के लिए लिया गया है। यहां पढ़िए पूरी अपडेट।

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Anjali Dwivedi
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संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सर्विस प्रीलिम्स एग्जाम के लाखों एस्पिरेंट्स को बड़ी राहत दी है। आयोग ने अब एग्जाम के तुरंत बाद इसकी प्रोविजनल आंसर-की जारी करने का डिसीजन लिया है। यह फैसला एग्जाम सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी बढ़ाने की दिशा में एक जरूरी कदम है।

यह उन लाखों यूपीएससी सिविल सर्विस एस्पिरेंट्स को सरकारी नौकरी की सालों पुरानी मांग को पूरा करता है, जो UPSC की तैयारी कर रहे हैं। UPSC ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि सिविल सर्विस प्रीलिम्स परीक्षा के तुरंत बाद अब वह प्रोविजनल आंसर-की जारी करेगा।

एस्पिरेंट्स को मिलेगा ऑब्जेक्शन कराने का मौका

UPSC के इस नए नियम के अनुसार, सिविल सर्विस प्रीलिम्स परीक्षा के एस्पिरेंट्स को क्वेश्चन पेपर्स और जारी की गई प्रोविजनल आंसर-की पर आपत्ति दर्ज कराने का भी अवसर मिलेगा। यह प्रक्रिया उम्मीदवारों को परीक्षा में हुई संभावित गलतियों को चुनौती देने का एक फॉर्मल मीडियम देगी।

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आपत्ति दर्ज कराने के नियम क्या हैं?

  • ऑथेंटिक सोर्स रिक्वायर्ड: आयोग ने एफिडेविट में स्पष्ट किया है कि अभ्यर्थियों को अपनी हर आपत्ति के साथ कम से कम तीन ऑफिसियल/ऑथेंटिक सोर्सेज देना जरूरी होगा।

  •  एक्सपर्ट्स की टीम करेगी विचार: प्राप्त आपत्तियों पर संबंधित विषय एक्सपर्ट्स की टीम द्वारा विचार किया जाएगा।

  • फाइनल आंसर-की: एक्सपर्ट्स की समीक्षा के बाद फाइनल आंसर-की तैयार की जाएगी। इसी फाइनल आंसर-की के आधार पर प्रीलिम्स परीक्षा का रिजल्ट जारी होगा। हालांकि, फाइनल आंसर-की भी परीक्षा का लास्ट रिजल्ट घोषित होने के बाद ही पब्लिक की जाएगी।

UPSC के विरोध से सहमति तक का सफर

प्रीलिम्स परीक्षा के तुरंत बाद आंसर-की जारी करने की मांग का यूपीएससी पहले विरोध करता आ रहा था। मई माह में भी आयोग ने इस विचार को प्रतिकूल बताया था और यह चेतावनी दी थी कि इससे पूरी परीक्षा प्रक्रिया में देरी हो सकती है।

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सुप्रीम कोर्ट में मामला

यूपीएससी का यह निर्णय शीर्ष अदालत में पेंडिंग एक रिट पेटिशन पर विचार करते हुए आया है। याचिका में मांग की गई थी कि आयोग द्वारा फाइनल रिजल्ट के बाद आंसर-की जारी करने की पुरानी प्रथा को खत्म कर दिया जाए। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि लगभग सभी राज्य लोक सेवा आयोग (State Public Service Commissions) और आईआईटी, आईआईएम जैसे प्रेस्टीजियस इंस्टिट्यूट भी अपनी प्रवेश परीक्षाओं के तुरंत बाद आंसर-की का खुलासा करते हैं।

याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील राजीव कुमार दुबे ने जोर दिया था कि यह खुलासा न केवल उम्मीदवारों के हित में है, बल्कि व्यापक जनता के हित में भी है, क्योंकि सिविल सेवाएं देश की प्रशासनिक रीढ़ हैं और चयन प्रक्रिया को हर संदेह से परे दोषमुक्त होना चाहिए।

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लाखों एस्पिरेंट्स को मिलेगी बड़ी राहत

हर साल यूपीएससी एग्जाम में 5 लाख से अधिक उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होते हैं, जिनमें से केवल 12 से 15 हजार के करीब ही मेन एग्जाम के लिए क्वालिफाई कर पाते हैं।

दिल्ली में तैयारी कर रहे उम्मीदवार दक्ष शर्मा ने आयोग के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि पहले प्रोविजनल आंसर-की काफी देर से जारी होती थी, जिससे छात्रों में अनसर्टेनिटी बनी रहती थी कि उन्हें मुख्य परीक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए या अगले साल की प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी शुरू करनी चाहिए। अब आंसर-की जल्दी आने से वे अपनी योजना को एफ्फेक्टिवेली बना सकेंगे।

यह पॉलिसी बदलाव अभ्यर्थियों को यह जानने में मदद करेगा कि वे सिलेक्शन प्रोसेस में आगे बढ़ पाएंगे या नहीं। ट्रांसपेरेंसी की ओर यह कदम भारत के भावी नौकरशाहों के चयन के तरीके को नया रूप दे सकता है।

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