वंदे भारत एक्सप्रेस का लोको पायलट कैसे बनें? यहां जानें योग्यता, कोर्स और चयन प्रक्रिया

वंदे भारत ट्रेन का ड्राइवर बनने का पूरा प्रोसेस यहां है। 10वीं पास और ITI की योग्यता जरूरी है। असिस्टेंट लोको पायलट (ALP) बनकर करियर शुरू होता है। RRB परीक्षा, गहन ट्रेनिंग और अनुभव के बाद ही वंदे भारत चलाने का मौका मिलता है।

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Anjali Dwivedi
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वंदे भारत एक्सप्रेस भारत की सबसे तेज और आधुनिक ट्रेन है। इसे चलाने का सपना लाखों युवाओं के दिलों में बस चुका है। चमचमाती बुलेट जैसी रफ्तार से यह ट्रेन दौड़ती है। इस ट्रेन के ड्राइवर को लोको पायलट कहते हैं।

लोको पायलट बनने के लिए सिर्फ हिम्मत ही जरूरी नहीं है। इसके लिए सही योग्यता और ट्रेनिंग भी बहुत जरूरी होती है। अगर आप भी यह सपना देख रहे हैं तो यहां पूरी जानकारी पढ़ें।

क्या है लोको पायलट बनने की योग्यता?

वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चलाने के लिए पहले आपको भारतीय रेलवे में आना होगा। सबसे पहले आपको लोको पायलट (Loco Pilot) बनना होता है। इसके लिए कम से कम 10वीं कक्षा पास होना जरूरी है। इसके साथ ही किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से आईटीआई (ITI) कोर्स होना चाहिए।

ITI में कुछ खास ट्रेड वालों को प्राथमिकता मिलती है। ये ट्रेड हैं इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, फिटर या मोटर मैकेनिक। इन कोर्स को करने वाले उम्मीदवार अप्लाई कर सकते हैं।

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करियर की शुरुआत और प्रमोशन

लोको पायलट बनने की शुरुआत असिस्टेंट लोको पायलट (Assistant Loco Pilot) के रूप में होती है। यह आपका पहला पद होता है। उसके बाद अनुभव और अच्छा प्रदर्शन जरूरी होता है। इसी के आधार पर आपको प्रमोशन मिलती है। यही असिस्टेंट लोको पायलट आगे चलकर सीनियर लोको पायलट बनते हैं।

फिर जिनका रिकॉर्ड बेहतरीन होता है वे वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेनें चलाते हैं। यह सरकारी नौकरी का एक जिम्मेदारी भरा और बहुत ही सम्मानजनक काम है।

सिलेक्शन प्रोसेस क्या होती है?

लोको पायलट बनने के लिए रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) परीक्षा कराता है। इस परीक्षा को असिस्टेंट लोको पायलट (ALP) परीक्षा कहते हैं। इसमें मुख्य तौर पर तीन चरण होते हैं।

लिखित परीक्षा (CBT):

  • इसमें रीजनिंग, गणित और विज्ञान से सवाल आते हैं।

  • सामान्य ज्ञान से जुड़े सवाल भी पूछे जाते हैं।

एप्टीट्यूड और फिजिकल टेस्ट:

  • सफल उम्मीदवारों की आंखों की रोशनी की जांच होती है।

  • उनके रिफ्लेक्स और फिटनेस की जांच भी की जाती है।

ट्रेनिंग:

  • चयनित अभ्यर्थियों को गहन ट्रेनिंग दी जाती है।

  • यह ट्रेनिंग रेलवे के ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में होती है।

ट्रेनिंग के बाद का सफर

ट्रेनिंग पूरी होने के बाद नए पायलट को तुरंत वंदे भारत नहीं मिलती। उन्हें पहले मालगाड़ी चलाने की जिम्मेदारी दी जाती है। इससे लोको पायलट को इंजन की कार्यप्रणाली समझ आती है। उन्हें ट्रैक की स्थिति की पूरी जानकारी हो जाती है।

कुछ सालों के अनुभव और अच्छे प्रदर्शन के बाद ही सवारी गाड़ी मिलती है। इसके बाद जिन पायलट्स का रिकॉर्ड बेहतरीन होता है। उन्हें ही वंदे भारत, तेजस और राजधानी एक्सप्रेस चलाने का मौका मिलता है।

लोको पायलट को कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। जैसे ट्रेन की सुरक्षा, स्पीड और कंट्रोल पर पूरा ध्यान रखते हैं। यात्रियों की सुविधा भी उनकी जिम्मेदारी होती है। इंजन स्टार्ट करने से लेकर प्लेटफॉर्म पर सटीक रुकने तक। हर जिम्मेदारी लोको पायलट के हाथों में होती है।

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