LSD 2 Review
भोपाल. ये कम ही लोगों को समझ आएगी और हम उन्हीं कम लोगों में से हैं ,ये कहना है उन लोगों का जिन्होंने LSD -2 देख ली है । ये सुनकर आप समझ ही गए होंगे कि ये फिल्म ( FILM ) में आखिर क्या है। दरअसल, इस फिल्म में सिर्फ धोखा मिलता है। कुछ समझ नहीं आता कि क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है। हालांकि, फिल्म में कुछ सीन ऐसे भी आते हैं, जो कि आज के जेनरेशन से रिलेटेड ( Related ) होते हैं, लेकिन क्या ये जेनरेशन इस फिल्म को समझ पाएगी। इस फिल्म को तीन कॉन्सेप्ट पर बनाया गया है। दरअसल इस फिल्म को लाइक, शेयर ( SHARE ) और डाउनलोड में बांट दिया गया है।
क्या है कहानी
कहानी के शुरुआत में एक ट्रांसजेंडर ( Transgender ) के रिएलिटी शो ( reality shows ) के जरिए दुनिया पर छा जाने को दिखाया गया है । इसके बाद कहानी के दूसरे हिस्से में एक और ट्रांसजेंडर को लाया गया है, जो मेट्रो ( Metro ) में काम करती है । हालांकि इस कहानी में उसका बॉयफ्रेंड ( Boyfriend ) और बॉस ( Boss ) भी है । वहीं, तीसरी कहानी में वर्चुअल वर्ल्ड ( Virtual World ) की हकीकत दिखाने की कोशिश की गई है, जिससे आज का युवा पहले से ही वाकिफ है।
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क्या संदेश देना चाहती है फिल्म
LSD 2 के डायरेक्टर दिबाकर बनर्जी हैं। दरअसल उनका इस फिल्म से दर्शक तक ये संदेश पहुंचाने का मकसद था कि वर्चुअल दुनिया खतरनाक होती जा रही है। हालांकि वो दर्शक तक ये सदेश कुछ सही ढंग से नहीं पंहुचा पाए है ।