पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल में रिलीज हुई फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ को सराहते हुए कहा है कि आखिरकार सच सबके सामने आ रहा है जिसे आम लोग देख भी पाएंगे। 2002 में हुए गोधरा ट्रेन कांड पर आधारित विक्रांत मैसी स्टारर फिल्म पर प्रतिक्रिया देते हुए, PM Modi ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि,‘खूब कहा। यह अच्छा है कि सच सामने आ रहा है और वह भी इस तरह से कि आम लोग इसे देख सकें। एक झूठी कहानी केवल सीमित समय तक ही कायम रह सकती है। आखिरकार, तथ्य हमेशा सामने आएंगे!
‘द साबरमती रिपोर्ट’ के ट्रेलर ने लोगों का काफी ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था। विक्रांत मैसी स्टारर इस फिल्म को लेकर दर्शक भी बहुत एक्साइटेड दिखे। 15 नवंबर को ‘द साबरमती रिपोर्ट’ रिलीज हो गई है। बता दें कि यह फिल्म गुजरात में हुए गोधरा कांड पर आधारित है। आगे इस लेख में जानेंगे पहले दिन फिल्म का परफॉर्मेंस कैसा रहा।
गोधरा कांड का सच सामने लाएंगे विक्रांत मैसी, मिल रही धमकियां
सूर्या की फिल्म से सीधे टक्कर
सिनेमा घरों में ‘द साबरमती रिपोर्ट’ का सीधा मुकाबला तमिल एक्टर सूर्या और बॉबी देओल की फिल्म ‘कंगुवा’ से हो रहा है। विक्रांत मैसी के साथ इस मूवी में राशि खन्ना और रिद्धि डोगरा भी दिखाई दे रही हैं। फिल्म के रिलीज होने के बाद तीनों एक्टर की जमकर तारीफ हो रही है।
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सत्य घटना पर आधारित है फिल्म
बता दें की फिल्म की कहानी साबरमती एक्सप्रेस अग्निकांड की सत्य घटना पर आधारित है। इसका निर्देशन धीरज सरना ने किया है और इसकी निर्माता एकता कपूर हैं। ‘The Sabarmati Report’ के जरिए काफी समय के बाद एकता कपूर ने सास बहू की दुनिया से बाहर निकलकर कुछ नया ट्राई किया है।
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बॉक्स ऑफिस पर कैसी रही रिपोर्ट?
कई दर्शकों के मुताबिक 'The Sabarmati Report' का पहला पार्ट उन्हें एंटरटेनिंग लगा, लेकिन दूसरा पार्ट लोगों को थोड़ा स्लो लगा। साथ ही कुछ ने कहा कि 2002 के गोधरा ट्रेन कांड को फिल्म में शानदार ढंग से दर्शाया गया है। फिल्म रिलीज होने से तीन दिन में केवल 10 करोड़ का ही बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कर पाई है।
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क्या है गोधरा कांड
गोधरा कांड 27 फरवरी 2002 को गुजरात में हुआ था, जिसमें साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगा दी गई और उस कोच में बैठे 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी। इस समय पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के पद पर थे। इस घटना के बाद, मार्च 2002 में नानावटी-शाह आयोग का गठन किया गया, जिसमें जस्टिस जीटी नानावटी और जस्टिस केजी शाह शामिल थे। आयोग ने सितंबर 2008 में अपनी पहली रिपोर्ट पेश की, जिसमें इस घटना को साजिश बताया गया और मोदी और दूसरे मंत्री, अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी गई। 2019 में आयोग ने अपनी दूसरी रिपोर्ट भी जारी की, जिसमें पहले की रिपोर्ट की बातें फिर से दोहराई गई थी।