वोटर लिस्ट में नाम न होने पर 'चैलेंज वोट' से भी कर सकते हैं मतदान !

सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट वायरल हो रहे हैं। इसमें यह दावा किया जा रहा है कि आप Challenge vote और भारतीय नागरिकों के मतदान अधिकार ( Voting Rights ) के जरिए वोट कर सकते हैं।

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Amresh Kushwaha
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सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट

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BHOPAL. लोकसभा चुनाव 2024 का आगाज हो चुका है। इस बार लोग बढ़-चढ़कर मतदान करने पोलिंग बूथ पर भी जा रहे हैं। जहां कुछ लोग मतदान करने पोलिंग बूथ पर जा रहे हैं, वहीं मतदाता सूची में नाम न होने से मतदान नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट वायरल हो रहे हैं इसमें यह दावा किया जा रहा है कि आप Challenge vote और भारतीय नागरिकों के मतदान के अधिकार (Voting Rights) के जरिए वोट दे सकते हैं। तो आइए जानते हैं सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इन पोस्ट का सच।

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देखें क्या है दावा

  • जब आप पोलिंग बूथ पर पहुंचते हैं और पाते हैं कि आपका नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो बस अपना आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र दिखाएं और धारा 49पी के तहत "चैलेंज वोट" मांगें और अपना वोट डालें।
  • यदि आपको लगता है कि किसी ने आपका वोट पहले ही डाल दिया है, तो "टेंडर वोट" मांगें और अपना वोट डालें।
  • यदि किसी मतदान केंद्र पर 14% से अधिक टेंडर वोट दर्ज किए जाते हैं, तो ऐसे मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान कराया जाएगा।

जानें क्या है सच दावे का

वायरल पोस्ट का पहला पॉइंट यह दावा कर रहा है कि यदि आपका नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो बस अपना आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र दिखाकर वोट डाल सकते है। आपको बता दें कि अगर किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो वह मतदान नहीं कर सकता है।
इसके अलावा पहले पॉइंट में यह भी दावा किया गया है कि आप धारा 49 पी के तहत "चैलेंज वोट" के जरिए वोट डालने की मांग कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं धारा 49पी क्या है 

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धारा 49पी

कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 की धारा 49P ( चैलेंज वोट ) के तहत वोट देने का नहीं, बल्कि किसी को वोट देने से रोकने के लिए किया जाता है। मतदान केंद्र में पीठासीन अधिकारियों के साथ चुनावी एजेंट भी बैठते हैं। ये एजेंट मतदाता को पहचानने का काम करते हैं। ये चुनावी एजेंट ही इस चैलेंज वोट का इस्तेमाल करते हैं। दरअसल, जब मतदाता वोट देने मतदान केंद्र पर जाता है और किसी चुनावी एजेंट को यह शक होता है कि यह गलत मतदाता है और फर्जी वोट दे रहा है। इस स्थिति में चैलेंज वोट का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें पोलिंग एजेंट पीठासीन अधिकारी के समक्ष चैलेंज वोट करता है और साथ में दो रुपए की फीस देता है। चैलेंज वोट में चुनावी अधिकारी पीठासीन अधिकारी के सामने चुनौती प्रस्तुत करता है कि ये सही वोटर नहीं है। इसके बाद पीठासीन अधिकारी अन्य कागजों के साथ इसकी जांच करता है। फिर जांच करने के बाद अगर चुनावी एजेंट सही होता है तो वोटर को रोक दिया जाता है।
इस आधार पर वायरल पोस्ट का पहला पॉइंट गलत साबित होता है।

वायरल पोस्ट का दूसरा पॉइंट यह दावा कर रहा है कि यदि आपको लगता है कि किसी ने आपका वोट पहले ही डाल दिया है, तो "टेंडर वोट" मांगें और अपना वोट डालें। तो आइए जानते हैं क्या है टेंडर वोट...

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टेंडर वोट

कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 के सेक्शन 42 के अनुसार Tendered Vote की व्यवस्था की गई है। यदि किसी वोटर का वोट किसी अन्य वोटर ने डाल दिया है। ऐसे में सेक्शन 42 के तहत पड़े हुए वोट को निरस्त किया जा सकता है। इसके बाद असल मतदाता को दोबारा वोट करने का मौका दिया जाता है। इसके लिए पीठासीन अधिकारियों को पहले से खास दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। साथ ही उनके वोटिंग के वक्त मिलने वाले किट में टेंडर वोट भी दिए जाता है।
इस आधार पर वायरल पोस्ट का दूसरा पॉइंट सही साबित होता है।

वायरल पोस्ट का दूसरा पॉइंट यह दावा कर रहा है कि यदि किसी मतदान केंद्र पर 14% से अधिक टेंडर वोट दर्ज किए जाते हैं, तो ऐसे मतदान केंद्र पर पुनर्मतदान कराया जाएगा। तो आइए जानते हैं क्या है इसकी सच्चाई...

द क्विंट से बात करते हुए, ECI के पूर्व निदेशक, पद्मा एंगमो ने 2019 में स्पष्ट किया था कि उच्च न्यायालय के निर्देश पर ही टेंडर किए गए वोटों पर विचार किया जाएगा।

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उन्होंने कहा, "अदालतों ने कहा है कि टेंडर किए गए वोटों को केवल तभी ध्यान में रखा जाना चाहिए जब वे चुनाव के नतीजे को प्रभावित करने की संभावना रखते हों, यानी जब जीत का अंतर टेंडर किए गए वोटों की संख्या से कम हो."
इस आधार पर वायरल पोस्ट का अंतिम पॉइंट गलत साबित होता है।

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