प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के पहले अमृत स्नान ने एक नया इतिहास रच दिया। मकर संक्रांति के दिन संगम में लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई, जिससे ये आयोजन और भी भव्य बन गया। इस दिन करीब 12 घंटे में 3.5 करोड़ लोगों ने संगम की पवित्र नदियों में स्नान किया और एक बार फिर ये साबित हो गया कि, महाकुंभ का महत्व भारतीय धार्मिकता और संस्कृति में अधिक है। इस विशाल धार्मिक आयोजन ने न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित किया।महाकुंभ के इस आयोजन ने न केवल भारतीय संस्कृति और धर्म को वैश्विक स्तर पर दर्शाया, बल्कि यह भी प्रमाणित किया कि भारत की धार्मिक धरोहर और आध्यात्मिकता की कोई तुलना नहीं है।
12 घंटे में 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
मकर संक्रांति के दिन महाकुंभ के पहले अमृत स्नान में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। 12 घंटे के भीतर लगभग 3.5 करोड़ लोग इस दिव्य आयोजन का हिस्सा बने। ये आंकड़ा एक नया इतिहास बनाता है, क्योंकि किसी एक दिन में इतनी बड़ी संख्या में लोग एक स्थान पर एकत्रित नहीं हुए थे।
अखाड़ों के साधु और नागा संन्यासियों ने किया पहले स्नान
महाकुंभ की शुरुआत 13 प्रमुख अखाड़ों के साधु और नागा संन्यासियों द्वारा स्नान करने से हुई। उनके बाद आम श्रद्धालुओं ने भी संगम में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। ये दृश्य अत्यंत श्रद्धा और आस्था से भरा हुआ था।
महाकुंभ नगर बना दुनिया का सबसे बड़ा जिला
इस विशाल आयोजन के साथ प्रयागराज का क्षेत्र 'महाकुंभ नगर' के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा जिला बन गया। यहां लाखों लोग हर दिन आकर पवित्र स्नान करते हैं और ये दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला बन जाता है।
पौष पूर्णिमा पर 1.65 करोड़ श्रद्धालुओं ने लिया था स्नान
बता दें कि, महाकुंभ के पहले स्नान के मौके पर 15 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर 1.65 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई थी, जो अपने आप में एक और बड़ा रिकॉर्ड था।
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