महाकुंभ, जिसे सनातन धर्म का सबसे पवित्र और विशाल धार्मिक आयोजन कहा जाता है, 2025 में फिर से श्रद्धालुओं का स्वागत करने जा रहा है। इसे 12 साल में प्रयागराज में आयोजित किया जाता है। इसमें करोड़ों भक्त पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं और मोक्ष-प्राप्ति का मार्ग खोजते हैं। महाकुंभ को केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि संस्कृति, आस्था और परंपरा का अनूठा संगम कहा जाता है। ऐसे में इस शुभ मौके पर हर भक्त का ये उद्देश्य होता है कि, वो इस पवित्र स्नान से पूरा लाभ उठाएं।
महाकुंभ 2025 में पवित्र स्नान से पहले करें ये काम
हालांकि, धार्मिक ग्रंथों और परंपराओं के मुताबिक, अगर कुछ जरूरी कार्यों को नजरअंदाज कर दिया जाए, तो इस पवित्र स्नान का पूरा फल नहीं मिलता। इसलिए, महाकुंभ में डुबकी लगाने से पहले कुछ जरूरी तैयारियों और कार्यों का पालन करना बहुत ही जरूरी होता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद पचौरी के मुताबिक, चलिए जानते हैं महाकुंभ 2025 में पवित्र स्नान से पहले करने वाले 3 सबसे जरूरी कार्यों के बारे में, ताकि आप इस अनुष्ठान का पूरा लाभ उठा सकें...
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डुबकी के नियम
महाकुंभ में पवित्र स्नान का पहला नियम - नदी में 5 बार डुबकी लगाने का नियम। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, माना गया है कि महाकुंभ में गृहस्थ जीवन जीने वाले लोगों को पवित्र स्नान के दौरान 5 बार डुबकी लगाना चाहिए। माना जाता है कि 5 डुबकियां लगाना ही कुंभ स्नान को पूरा करता है। इससे उनके पाप कटते हैं और उन्हें जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्त होती है। साथ ही, 5 बार डुबकी लगाने के पीछे आध्यात्मिक महत्व भी है। माना जाता है कि, 5 डुबकियां पंच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) से शुद्धिकरण का प्रतीक हैं।
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नागा साधुओं के स्नान के बाद डुबकी लगाएं
महाकुंभ में पवित्र स्नान का दूसरा नियम - भक्त नागा साधुओं के स्नान के बाद डुबकी लगाएं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, महाकुंभ में डुबकी लगाने से पहले भक्तों को ये सुनिश्चित करना जरूरी है कि, नागा साधुओं का स्नान पूरा हो चुका हो। नागा साधु सबसे पहले स्नान करते हैं, जो धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। इनसे पहले डुबकी लगाना नियमों का उल्लंघन माना जाता है और इसे शुभ फलों की प्राप्ति में बाधक समझा जाता है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें तो, नागा साधु महाकुंभ के आध्यात्मिक संरक्षक माने जाते हैं और उनके स्नान के बाद ही आम श्रद्धालुओं का स्नान उचित माना जाता है।
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स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें
महाकुंभ में पवित्र स्नान का तीसरा नियम - स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें। महाकुंभ में पवित्र नदी में स्नान के बाद श्रद्धालुओं को अपने दोनों हाथ जोड़कर पवित्र जल में सूर्यदेव की ओर जल अर्पित करना चाहिए। सूर्यदेव को अर्घ्य देना बहुत ही महत्वपूर्ण धार्मिक कार्य माना जाता है। कहा जाता है कि, ऐसा करने से कर्म कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और ये व्यक्ति को शुभ फल प्रदान करता है। अर्घ्य देने का आध्यात्मिक फल ये है कि, ये न केवल आपका मानसिक विकास करता है, बल्कि ये आपके स्वास्थ्य, ऊर्जा और सकारात्मकता को भी बढ़ावा देता है।
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महाकुंभ के इन नियमों का पालन क्यों है जरूरी?
ऐसा माना जाता है कि, महाकुंभ में स्नान के दौरान इन तीन प्रमुख नियमों का पालन करना जरूरी है। क्योंकि, इनसे न केवल धार्मिक आस्था मजबूत होती है, बल्कि स्नान का पूरा फल भी मिलता है। ये अनुभव न केवल आपकी आत्मा को शुद्ध करता है, बल्कि आपको आध्यात्मिक विकास का मार्ग भी दिखाता है। ये व्यक्ति को मानसिक और आध्यात्मिक संतुष्टि भी प्रदान करता है।
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