Prayagraj MahaKumbh : प्रयागराज महाकुंभ में 13 साल की बच्ची के संन्यास लेने और संन्यास लेने की प्रक्रिया के बाद यह मामला विवाद का विषय बन गया। संन्यास लेने के छह दिन बाद बच्ची को वापस घर भेजने का फैसला किया गया और दीक्षा देने वाले महंत कौशल गिरि को जूना अखाड़े ने सात साल के लिए निष्कासित कर दिया है। यह विवाद इसलिए पैदा हुआ क्योंकि जूना अखाड़े का मानना है कि नाबालिगों को संन्यासी बनाना उसकी परंपरा के खिलाफ है। इस पूरी घटना ने न सिर्फ अखाड़े के अंदर बल्कि सोशल मीडिया पर भी बहस को जन्म दिया।
लड़की को घर भेजा गया
प्रयागराज महाकुंभ में दीक्षा लेने वाली 13 साल की लड़की का संन्यास छह दिन बाद वापस ले लिया गया। जूना अखाड़े ने कहा कि नाबालिगों को संन्यासी बनाना उसकी परंपरा के खिलाफ है और लड़की को उसके माता-पिता को सौंप दिया।
ये खबर भी पढ़ें...
52 साल पुरानी कार के साथ महाकुंभ पहुंचे बाबा, कार को मां मानते हैं
महाकुंभ में Apple के मालिक स्टीव जॉब्स की पत्नी को मिला नया नाम
महंत कौशल गिरि को किया निष्कासित
जूना अखाड़े ने महंत कौशल गिरि को सात साल के लिए निलंबित कर दिया है। महंत ने इस नाबालिग लड़की को संन्यास दिलाया था, जिसे अखाड़े ने गलत माना और यह फैसला लिया। इस कार्रवाई से अखाड़े ने यह संदेश दिया कि वह इस तरह की परंपरा का पालन नहीं करेगा।
महिला संन्यास की उम्र में बदलाव
जूना अखाड़े ने महिलाओं के संन्यास लेने की उम्र में बदलाव किया है। अब महिलाएं 22 साल की उम्र में संन्यास ले सकेंगी। जबकि पहले यह उम्र 17 साल थी। नाबालिगों को संन्यासी बनाने को लेकर उठे विवाद को लेकर यह कदम उठाया गया है। लड़की के माता-पिता ने स्वेच्छा से अपनी बेटी राखी का कन्या दान किया था। वे जूना अखाड़े से जुड़े हुए थे और महंत कौशल गिरि के भक्त थे। हालांकि, राखी के दादा-दादी ने इस निर्णय को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की और लड़की की घर वापसी को खुशी के रूप में देखा।
ये खबर भी पढ़ें...
महाकुंभ : जानिए सबसे जरुरी तारीखें, और उन तारीखों में क्या होगा खास ?
महाकुंभ में रबड़ी बाबा की अनोखी सेवा, सुबह से रात तक गर्म करते हैं दूध
राखी का धार्मिक जीवन
राखी धार्मिक प्रवृत्ति की लड़की थी और नवरात्रि के दौरान वह नंगे पैर स्कूल आती थी। उसकी धार्मिक आस्था और सच्ची आस्था ने स्कूल प्रबंधक को भी प्रभावित किया। इस पूरे मामले में लड़की की पहचान के कई पहलू सामने आए, जिसमें उसकी धार्मिक जीवनशैली और उसकी आध्यात्मिक साधना भी शामिल है।
साध्वी बनने की प्रक्रिया
आपको बता दें कि सनातन धर्म परंपरा के अनुसार साध्वी का पद ग्रहण करने के लिए पांच गुरु उन्हें चोटी, भगवा वस्त्र, रुद्राक्ष, भभूत और जनेऊ देते हैं। ज्ञान और मंत्रों के साथ ही गुरु उन्हें संन्यासी जीवनशैली, रीति-रिवाज, खान-पान, रहन-सहन आदि की जानकारी देते हैं। इन रीति-रिवाजों का पालन करते हुए महिला संन्यासियों को अपनी पांच इंद्रियों काम, क्रोध, अहंकार, मधु और लोभ पर नियंत्रण रखना होता है। कुंभ के चौथे स्नान पर्व पर दीक्षा समारोह में पूर्ण दीक्षा दी जाती है। इस दिन उन्हें व्रत रखना होता है। इसके साथ ही उन्हें ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए गंगा में 108 डुबकियां लगानी होती हैं और हवन किया जाता है।