BHOPAL. लोकसभा चुनाव को लेकर कुछ ही दिन बचे है। आज 16 मार्च को चुनाव आयोग, चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। थोड़ी देर में साफ हो जाएगा की देश में कितने चरणों में चुनाव होंगे। चुनाव तारीखों के ऐलान के साथ ही देशभर में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो जाएगी।
मुखर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर बनाया था भारतीय जनसंघ
बीजेपी का जो गौरवशाली वर्तमान है, इसके पीछे अतीत का लंबा संघर्ष है। संघर्ष की ये परंपरा आजादी के कुछ ही दिनों बाद 1951 में शुरू होती है। जब स्वतंत्रता सेनानी श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण अडवाणी से होते हुए आज पार्टी नरेंद्र मोदी की अगुवाई तक पहुंच गई है। संघर्ष के दौर से निकल कर पार्टी आज सत्ता के शिखर पर है।
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आइए जानते हैं भारतीय जनता पार्टी का अब तक का सफर और कैसे बनी पार्टी....
BJP पार्टी 1980 में बनी
भारतीय जनता पार्टी तो 1980 में बनी, लेकिन इससे पहले ही 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर भारतीय जनसंघ बनाया था। हालांकि 1952 के लोकसभा चुनाव में जनसंघ को सिर्फ 3 सीटें मिली थी।
पहली बार अटल वाजपेयी बने पीएम
1996 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 161 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। जब भारतीय जनता पार्टी बनी तो उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी अध्यक्ष बने।
1984 के चुनाव में दो सीट
1989 में 85 सीट
1991 में 120 सीटें
1996 में 161 सीट
1998 में 182 सीटें
2014 में 282 सीटें
वहीं 2019 में 303 लोकसभा सीटें मिली
अब विस्तार में समझिए....
1984 मे सिर्फ 2 सांसद
1984 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कुल 224 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, लेकिन सिर्फ 2 लोगों को ही जीत मिल सकी। आंध्र प्रदेश की हनमकोंडा लोकसभा सीट से चंदूपतला जंगा रेड्डी और गुजरात की मेहसाणा लोकसभा सीट से एके पटेल भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा में पहले सांसद थे। 1984 में सिर्फ 7.74 प्रतिशत की ही वोटिंग हुई थी।
1989 में 85 सांसद
1989 में पार्टी ने 225 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इसमें पार्टी के 85 सांसदों की जीत मिली थी। 1989 में पार्टी का वोट प्रतिशत 11.36 प्रतिशत रहा था। 1989 में भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें मध्य प्रदेश (उस समय छत्तीसगढ़ अलग नहीं था) से मिली, मध्य प्रदेश में पार्टी 27 सीटों पर जीत प्राप्त करने में कामयाब हुई।
1991 में 120 सांसद
1991 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने 468 प्रत्याशी मैदार में उतारे थे। इस साल कुल 120 सीटों पर पार्टी को जीत मिली थी। 1991 के लोकसभा चुनावों में 20.11 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। अकेले उत्तर प्रदेश से पार्टी को 51 सीटें मिली थीं।
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1996 में 161 सांसद
1996 के लोकसभा चुनाव में ऐसा पहली बार हुआ जब भारतीय जनता पार्टी को केंद्र में भी सरकार बनाने का मौका मिला। 1996 के चुनाव में भाजपा 161 सीटों के साथ सबसे बड़ा दल बनकर उभरी और देशभर में पार्टी का वोट शेयर 20.29 प्रतिशत तक पहुंच गया था।
1998 में 182 सांसद
1998 में बीजेपी ने कुल 182 सीटों पर जीत दर्ज की थी। पार्टी का वोट शेयर 25.59 प्रतिशत तक पहुंचा। 1998 में पार्टी ने यूपी से 57, मध्य प्रदेश से 30, बिहार से 20, गुजरात से 19, कर्नाटक से 13 और ओडिशा से 7 सीटों पर कब्जा किया था।
1999 में भी 182 सांसद
1999 में बीजेपी ने क्षेत्रीय दलों को ज्यादा सीटें दी और खुद 339 सीटों पर चुनाव लड़ा। 1999 के लोकसभा चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी को 182 सीटें मिलीं और पार्टी का वोट शेयर 23.75 प्रतिशत रहा।
2004 में सिर्फ 138 सीटें, बुरी तरह गिरा ग्राफ
1984 से लेकर 1999 तक लोकसभा चुनाव में बीजेपी का ग्राफ लगातार उठ रहा था, लेकिन 2004 में पार्टी का ग्राफ बुरी तरह गिरा। 1999 में जहां बीजेपी को कुल 182 सीटें मिली थी, तो 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा 138 सीटें ही मिल पाई थीं।
2009 में ग्राफ और गिरा
2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 443 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। लेकिन इसमें 116 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी थी। पार्टी का वोट प्रतिशत भी घटकर 18.80 प्रतिशत रह गया था।
2014 में मोदी आए लेहर लाए
2014 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी ने अपना प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित कर देती है। 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को 428 सीटों में से 282 सीटों पर जीत मिलती है। इसकी के साथ पार्टी का वोट शेयर भी बढ़कर 31.34 प्रतिशत तक पहुंच जाता है।
2019 में 303 सासंद
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 303 सीटों पर जीत हासिल की थी। पार्टी ने 436 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। 2019 में पार्टी का वोट शेयर भी रिकॉर्ड 37.76 प्रतिशत तक पहुंच चुका था।