आश्चर्यजनक : कई दलों की ‘आत्मा’ में घुसी हुई है कांग्रेस

इतिहास कहता है कि देश में आजादी का आंदोलन लड़ने में कांग्रेस और उनके नेता हमेशा प्रथम पंक्ति में थे। उसका परिणाम यह हुआ कि आजादी के बाद भी इस पार्टी का जलवा रहा, जो आज भी जारी है।

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Dr Rameshwar Dayal
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Congress big opposition party political parties graph द सूत्र
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NEW DELHI: देश में पिछले कुछ सालों से राजनीतिक पार्टी कांग्रेस ( congress ) का ग्राफ तेजी से नीचे आया है। लोकसभा ( loksabha ) समेत वह कई राज्यों में अपनी सत्ता खो चुकी है तो कई राज्यों में वह बड़ी विपक्षी पार्टी भी नहीं रह गई है। लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इतना कुछ ‘झेलने’ के बावजूद कांग्रेस देश की अब भी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी (big opposition party ) है और हर राज्य में उसके नेता और कार्यकर्ता मौजूद हैं। अब आपको एक हैरान करने वाली कहानी बताते हैं कि आजादी के बाद से लेकर आज तक देश की कई अधिक राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस से ही निकली हैं। इसमें से कुछ तो बेहद मजबूत हैं तो कुछ मृतप्राय: हैं। कुछ ऐसी भी पार्टियां हैं, जिन्होंने बाद में कांग्रेस या दूसरी पार्टियों में परकाया प्रवेश कर गई हैं। 

50 से अधिक पार्टियां कांग्रेस से निकली हैं

इतिहास कहता है कि देश में आजादी का आंदोलन लड़ने में कांग्रेस और उनके नेता हमेशा प्रथम पंक्ति में थे। उसका परिणाम यह हुआ कि आजादी के बाद भी इस पार्टी का जलवा रहा, जो आज भी जारी है। एक अनुमान बतात है देश में 50 से अधिक पार्टी कांग्रेस से निकलकर या अन्य कारणों से टूटकर आज भी वजूद में है या दूसरी पार्टियों में या वापस कांग्रेस में लौट आई हैं। इनमें से कुछ आज भी सक्रिय है। सबसे पहले छत्तीसगढ़ की बात करें। यहां के दमदार नेता अजीत जोगी ने कांग्रेस से अलग होकर छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस नाम की पार्टी बनाई थी। यह पार्टी आज भी जीवित है। वर्ष 1971 में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस नेता सुकुमार राय ने बिप्लोबी बांग्ला कांग्रेस बनाई थी, यह पार्टी आज भी वहां की वामपंथी पार्टी का एक हिस्सा है। 

इस राज्य में कांग्रेस से टूटकर सात पार्टियां बनीं

इसी तरह दक्षिण भारत में भी कई पार्टी ऐसी हैं जिनकी गर्भनाल कभी कांग्रेस से जुड़ी हुई थी। केरल की बात करें तो वहां कांग्रेस से कई पार्टियां निकली हैं। इनमें वर्ष 1964 में कांग्रेस से टूटकर केरल कांग्रेस का गठन हुआ। खास बात यह कि केरल कांग्रेस से टूटकर सात कांग्रेस पार्टियों का जन्म हुआ। इनमें केरल कांग्रेस (नेशनिलिस्ट), केरल कांग्रेस (थॉमस), केरल कांग्रेस (जैकब), केरल कांग्रेस (मणि) आदि शामिल हैं। दूसरी ओर तमिलनाडु में जीके वासन ने कांग्रेस से अलग होकर मनीला कांग्रेस का गठन किया। महाराष्ट्र की बात करें तो वहां साल 2002 में जंबूतंतराव धोते ने कांग्रेस छोड़कर विदर्भ जनता कांग्रेस नाम की पार्टी बनाई थी।  

ममता बनर्जी ने तो कमाल ही कर दिया

कांग्रेस की फायरब्रांड नेता रही राज्य की नेता ममता बनर्जी ने साल 1998 में पार्टी नेताओं से नाराज होकर तृणमूल कांग्रेस (TMC ) बनाई। तीन साल बाद ही उन्होंने राज्य में अपनी सरकार बना ली और सालों से काबिज वामदलों के कब्जे को ध्वस्त कर दिया। इनकी सरकार आज भी चल रही है। ममता का वहां की 42 लोकसभा सीटों पर भी भारी असर है। पिछले लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 22 सीटें जीती थीं। अब आंध्रप्रदेश की बात करें तोसाल 2011 में वहां वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने कांग्रेस से अलग होकर वाईएसआर कांग्रेस बनाई थी। वह आज भी वहां के मुख्यमंत्री हैं। राज्य में लोकसभा की 25 सीटें है और पिछले चुनाव में उनकी पार्टी ने 22 सीटों पर जीत हासिल की थीं। मतलब यह है कि चाहे सत्ता हो या विपक्ष कांग्रेस का वजूद पहले भी था, आज भी है और शायद कल भी जारी रहेगा। 

महाराष्ट्र में कांग्रेस की NCP आज भी कायम

महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है, जहां देश में दूसरे नंबर पर सबसे अधिक 48 लोकसभा सीटें हैं। पहले नंबर पर उत्तर प्रदेश (80) है। कांग्रेस का यह मामला रोचक है। साल 1991 में यहां के धाकड़ कांग्रेसी नेता शरद पवार ने पीए संगमा के साथ मिलकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) बनाई, जिसका हाल तक राज्य में मजबूत वजूद रहा। अब यह पार्टी दो-फाड़ हो चुकी है। एक एनसीपी शरद पवार है, जो इंडिया एलाइंस में कांग्रेस के साथ है। दूसरी का नाम एनसीपी है जो राज्य सरकार में बीजेपी के साथ है। दूसरी ओर नागालैंड की बात करें तो यहां पर भी साल 2003 में एनपीपी बनी थी, इसे कांग्रेस नेता नेफ्यू रियो ने बनाया था। राज्य में अब एनपीपी और बीजेपी की गठबंधन सरकार है। 

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