मध्यप्रदेश में भीम आर्मी-जयस-ओबीसी महासभा में महागठबंधन, 12 फरवरी को राजधानी में होगा आंदोलन

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Jitendra Shrivastava
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मध्यप्रदेश में भीम आर्मी-जयस-ओबीसी महासभा में महागठबंधन, 12 फरवरी को राजधानी में होगा आंदोलन

BHOPAL. चुनावी साल में सामाजिक संगठन दम दिखाएंगे। एमपी समाजिक संगठन तीसरी ताकत बनेंगे। दरअसल, भीम आर्मी, जयस और ओबीसी महासभा ने महागठबंधन बनाया है। 25 सूत्रीय मांग को लेकर 12 फरवरी को भोपाल ओबीसी, आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक समाज के संगठन मिलकर यह आंदोलन करेंगे। 



एमपी में 90% के करीब ओबीसी, आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग हैं



भीम आर्मी नेता चंद्रशेखर भी इस आंदोलन में शामिल होंगे। मुख्य रूप से जातिगत जनगणना, 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण, आदिवासी समाज का पेसा एक्ट, अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा की मांग को लेकर यह आंदोलन हो रहा है। बता दें कि एमपी में 90 फीसदी के करीब ओबीसी, आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग हैं।



जरूरी मुद्दों को लेकर आवाज बुलंद करेंगे



ओबीसी महासभा ने समर्थन पत्र जारी करते हुए 12 फरवरी को होने वाले आंदोलन को समर्थन दिया है। ओबीसी महासभा के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष जीतू लोधी ने एक समर्थन पत्र जारी किया है, जिसके जरिए ओबीसी महासभा ने भोपाल में 12 फरवरी को होने वाले भीम आर्मी के सामाजिक न्याय आंदोलन को पूरा समर्थन देने की बात कही है। 



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भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन ने बुलाई थी बैठक



साथ ही यह दावा भी किया गया है कि इस आंदोलन में लाखों की संख्या में आंदोलनकारी इकट्ठे होंगे और ओबीसी, एससी-एसटी वर्ग के सभी जरूरी मुद्दों को लेकर आवाज बुलंद की जाएगी। गौरतलब है कि इस आंदोलन के लिए भीम आर्मी राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन ने एक बैठक बुलाई थी, जिसमें भीम आर्मी प्रमुख के साथ OBC नेता प्रीतम लोधी सहित महासभा के अन्य पदाधिकारी शामिल हुए थे।



अलग-अलग इलाकों में है दखल



जयस, भीम आर्मी और ओबीसी महासभा का मध्यप्रदेश के अलग-अलग इलाकों में अच्छा खासा दखल माना जाता है। मालवा निमाड़ के इलाकों में जहां जयस का संगठन लोगों के बीच अपनी पैठ बनाता जा रहा है, उससे ये कयास लगाए जा रहे हैं कि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में मालवा और निमाड़ की 66 सीटों पर जयस का अच्छा खासा दखल देखने में आएगा। इसके साथ ही प्रदेश की अन्य ST सीटों पर भी जयस निर्णायक भूमिका में रहेगा। जयस को लेकर की गई इस भविष्यवाणी ने सभी राजनीतिक दलों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है। तो वहीं ग्वालियर-चंबल बेल्ट की सीटों पर ओबीसी महासभा का प्रभुत्व नकारा नहीं जा सकता। इस इलाके में ओबीसी महासभा और उससे जुड़े लोगों के बयानों से ये कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले विधानसभा चुनावों में ओबीसी महासभा सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए मुश्किलें पैदा करने का काम करेगा। तो वहीं भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण के मध्यप्रदेश की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने के बयान से भी दलित समुदाय के वोट बंटने और इसका नुकसान मध्यप्रदेश के दो प्रमुख दलों कांग्रेस और बीजेपी को होने की संभावना जताई जा रही है। आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में साल 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव होना है ऐसे में प्रदेश की राजनैतिक हालातों पर कई परिवर्तन होने की संभावना है। इसी कड़ी में ये घोषणा के कई राजनैतिक मायने निकाले जा रहे हैं।


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