बीजेपी दफ्तर के भूमिपूजन में इंदौर के बड़े नेता नदारद; ताई, मोघे और वर्मा को कर्मचारी ने फोन कर दिया आमंत्रण तो नागवार गुजरा

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Jitendra Shrivastava
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बीजेपी दफ्तर के भूमिपूजन में इंदौर के बड़े नेता नदारद; ताई, मोघे और वर्मा को कर्मचारी ने फोन कर दिया आमंत्रण तो नागवार गुजरा

संजय गुप्ता, INDORE. बीजेपी के हाईटेक दफ्तर का रविवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा द्वारा भूमिपूजन किया गया, लेकिन इस दौरान पार्टी को मप्र में अपने खून-पसीने से सींचने वाले वरिष्ठ नेताओं की कम ही मौजूदगी रही। इंदौर से भी सुमित्रा महाजन (ताई), कृष्णमुरारी मोघे जैसे नेता नहीं गए। हिम्मत कोठारी, विक्रम वर्मा जैसे कई वरिष्ठ नेता वहां पर नजर नहीं आए। दरअसल वरिष्ठ नेता शुरू से ही पुराने दफ्तर को तोड़े जाने के खिलाफ थे। पूर्व सांसद व वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने तो सितंबर 2022 में इसके विरोध में खुलकर नड्‌डा को पत्र भी लिख दिया था। वहीं वरिष्ठ नेताओं के नहीं जाने के पीछे एक बड़ा कारण था कि इन्हें न्यौता बीजेपी पार्टी कार्यालय के एक सामान्य कर्मचारी द्वारा फोन करके दिया गया। किसी भी बड़े नेता का फोन वरिष्ठ नेताओं के पास नहीं गया, जिसके बाद अधिकांश नेताओं ने इस कार्यक्रम से दूरी बना ली। 





मोघे बोले अब तो न्यौते का तरीका यही हो गया है





मोघे से जब द सूत्र ने पूछा कि वह क्यों नहीं गए? तो उन्होंने कहा कि सोमवार को भी भोपाल में पार्टी के एक कार्यक्रम में जाना है, इसलिए रविवार को नहीं गया, सोमवार को जाऊंगा। जब उनसे पूछा गया कि भूमिपूजन कार्यक्रम के लिए किसी नेता का फोन नहीं आया, केवल कर्मचारी ने फोन कर न्यौता दिया, तो इस पर उन्होंने कहा कि अब तो व्यवस्था ही यह हो गई है पार्टी ऑफिस से फोन करके सूचना दी जाती है। उधर ताई शनिवार को ही इंदौर से बाहर चली गई है और तीन दिन बाद इंदौर लौटेंगी, बताया जाता है कि वह मुंबई चली गई हैं। हालांकि, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय इंदौर से गए थे। 





छह माह पहले ताई को विशेष विमान से बुलाया था भोपाल





सितंबर 2022 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विजयवर्गीय और ज्योतिरादित्य सिंधिया की बढ़ती नजदीकियों के बीच में भोपाल मिलने के लिए बुलाय था। उनका स्वास्थ्य सही नहीं होने के चलते चौहान ने विशेष हैलीकॉप्टर भी इंदौर भेजा था और फिर विशेष विमान से वापस छुड़वाया था। पीएम नरेंद्र मोदी जब इंदौर आए थे, तब उन्होंने ताई से उनके स्वास्थ्य का भी पूछा था, लेकिन पार्टी दफ्तर के भूमिपूजन को लेकर कोई खास तवज्जो नहीं दी गई। 





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रघुनंदन शर्मा ने लिखा था कठोर पत्र





इस मामले में सितंबर 2022 में शर्मा ने पत्र लिखा था- इसमें कहा गया था कि जिस तरह युद्ध में कुशल महारथी के प्रशिक्षित हाथी पगला जाने के बाद अपनी ही सेना का विध्वंस करता है। उसी तरह बीजेपी कार्यालय तोड़ना अपनी ही सेना को कुचलने जैसा है। इतना ही नहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से करी सवाल करते हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने कहा कि इस मामले में किसी भी वरिष्ठ की राय नहीं ली गई है। रघुनंदन शर्मा ने अपने पत्र में लिखा है कि सुमित्रा महाजन, विक्रम वर्मा, हेमंत कोठारी, मेघराज जैन, भंवर सिंह, माखन सिंह चौहान जैसे वरिष्ठ नेताओं से भी कार्यालय तोड़ने पर कोई राय और विचार-विमर्श नहीं किया गया है। क्या अब पार्टी के वरिष्ठ लोग पदाधिकारी नहीं है? यह क्या इन सब को मिलाकर अब संगठन नहीं कहलाएगा। पुराने दफ्तर को तोड़ने का यह काम निष्ठावान कार्यकर्ता के हृदय पर पत्थर मारने जैसा है और यह काम कोई कठोर हृदय वाला व्यक्ति ही कर सकता है। इतना ही नहीं शर्मा ने कार्यालय तोड़ने को प्रक्रिया को सीधे उस निर्णय से जोड़ दिया है, जब दिल्ली शासक द्वारा देश की राजधानी दिल्ली से दौलताबाद बनाने का निर्णय लिया गया था।वहीं वरिष्ठ बीजेपी नेता रघुनंदन शर्मा ने अपने लिखे पत्र में पूछा है कि आतंकवाद और अपराधी के भवनों पर बुलडोजर चल रहे हैं। 





दो-दो, पांच-पांच रुपए के चंदे से बना था पुराना भवन





बीजेपी की जब संसद में दो सीट हुआ करती थी, तब उस समय 1990 के दशक में पार्टी के पुराने नेताओं ने लोगों से दो, पांच, दस रुपए जैसे चंदे जमा करके यह पुराना दफ्तर बनवाया था। इस दफ्तर से पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं की यादें जुड़ी हुई है। इन नेताओं की शिकायत भी यही है कि इस भवन को तोड़ने से लेकर नया बनाने तक को लेकर किसी भी वरिष्ठ नेताओं से कोई चर्चा नहीं की गई है। नेताओं की समस्या यह है कि दिल्ली से ही यह फैसला हुआ है तो ऐसे में वह भी मन मसोस कर रह रहे हैं।



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