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BHOPAL. चुनाव के लिए राजनीतिक दलों में बदलाव की प्रक्रिया तेज हो गई है। सरकार की योजनाओं की मॉनिटरिंग अब प्रशासन नहीं बल्कि, बीजेपी संगठन करेगा। इसके लिए हर दस बूथ पर एक मॉनीटर बनाया जा रहा है। गुजरात फॉर्मूले के तहत अब हर दस बूथ पर एक शक्ति केंद्र बनाया जा रहा है। हर शक्ति केंद्र पर एक मॉनीटर रहेगा। यह शक्ति केंद्र मंडल से छोटी इकाई होगी। इन शक्ति केंद्रों ने गुजरात की चुनावी सफलता में अहम भूमिका निभाई थी। मध्यप्रदेश में भी अब यही फॉर्मूला अपनाया जा रहा है।
दस बूथ का एक गरीब कल्याण योजना प्रभारी
बीजेपी अब हर दस बूथ पर गरीब कल्याण योजना के प्रभारी नियुक्त करने जा रही है। ये प्रभारी केंद्र और राज्य सरकार की हितग्राही मूलक योजनाओं की मानीटरिंग कर रिपोर्ट तैयार करेंगे। इसके साथ ही हर दस बूथ पर एक शक्ति केंद्र भी बनाया जा रहा है। गरीब कल्याण योजना प्रभारी देखेगा कि शक्ति केंद्र में शामिल बूथों के कितने मतदाताओं को गरीब कल्याण योजना का लाभ मिल रहा है और उस हितग्राही का रुझान किस दल की तरफ है। यह पूरी रिपोर्ट संगठन को भेजी जाएगी जिसके आधार पर संगठन अपनी रणनीति तैयार करेगा।
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हर शक्ति केंद्र पर होंगे सम्मेलन
शक्ति केंद्र स्तर पर केंद्र और राज्य सरकार की गरीब कल्याण की योजनाओं के हितग्राहियों के सम्मेलन भी आयोजित किए जाएंगे। इन सम्मेलनों में प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्जवला योजना, आयुष्मान भारत योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना और स्व सहायता समूह पर खास फोकस रहेगा। शक्ति केंद्रों में संयोजक, सह संयोजक, प्रभारी, आईटी प्रभारी, गरीब कल्याण योजना प्रभारी की नियुक्ति की जाएगी। पार्टी ने जिलों के नेताओं से कहा है कि बूथ कार्य विस्तार योजना के माध्यम से बूथों को डिजिटल करने का जो कार्य किया था, उसे अपडेट और एक्टिव करना है। साथ ही जिलों में पार्टी का वार्षिक कैलेंडर बनाया जाएगा जिसमें संगठन के कार्यक्रमों की जानकारी दर्ज होगी।
पार्टी के शक्ति केंद्र
प्रदेश में भाजपा अब तक मंडल स्तर पर संगठन के कामकाज की निगरानी करती रही है। गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी ने बूथ स्तर पर पन्ना समिति बनाने के साथ 8 से 10 बूथों पर एक शक्ति केंद्र बनाया था। संगठन ने चुनावी तैयारियों की जिम्मेदारी इन्हीं शक्ति केंद्रों को दी थी। पहले मंडल स्तर के पास जो अधिकार थे, वह शक्ति केंद्रों को सौंप दिए गए। इन शक्ति केंद्र में एक संयोजक और एक प्रभारी की नियुक्ति की गई थी। इसके जरिये प्रदेश स्तर से लेकर हर स्तर पर सीधे शक्ति केंद्रों की निगरानी की गई और चुनाव परिणाम अपेक्षा से अधिक अच्छे आए। इसलिए अब एमपी में भी इस पर जोर दिया जा रहा है।