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देव श्रीमाली, GWALIOR. अब मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में महज दस महीने का समय बचा है। अक्टूबर 2023 में प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और नवम्बर में मतदान होगा, लेकिन गुजरात चुनावों में मिली अपार सफलता के बावजूद एमपी के बीजेपी नेताओं की नींद उड़ी हुई है।
गुजरात में बीजेपी ने 40 फीसदी मौजूदा विधायकों के टिकट काटे थे
गुजरात में बीजेपी ने 40 फीसदी मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए गए थे। नतीजे आए तो BJP ने कुल सीटों में से 86 फीसदी सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। गुजरात की बंपर जीत के बाद आने वाले 2023 के मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में गुजरात फॉर्मूला अपनाया जाने की संभावना बढ़ गई है। अगर गुजरात फार्मूला अपनाया जाता है तो मध्य प्रदेश में BJP के मौजूदा 122 में से 48 विधायक के टिकट पर तलवार लटक जाएगी। मध्य प्रदेश में बीजेपी लगातार साफ कह रही है कि एमपी का चुनाव भी गुजरात पैटर्न पर लड़ा जाएगा। यही वजह है कि उपचुनाव में हारने वाले सिंधिया समर्थकों के टिकट कटने के आसार नजर आ रहे हैं। इससे पूरे सिंधिया खेमे में बेचैनी है।
2023 चुनाव बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती
मध्य प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने तैयारियां शुरू कर दी है। इस बीच उसे अपनी पिछली हार से भी सबक लेना है। 2018 में एमपी में कांग्रेस ने बीजेपी को झटका देते हुए 15 साल बाद सत्ता में वापसी की थी, लेकिन 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की कांग्रेस से बगावत के बाद बीजेपी फिर से सत्ता पर काबिज़ हो गई। हालांकि, चौथी बार शिवराज सिंह चौहान सत्ता पर काबिज है इसके बावजूद भी 2023 के चुनाव बीजेपी के लिए चुनाव बड़ी चुनौती बने हुए हैं। यही वजह है कि नेतृत्व और प्रत्याशियों को लेकर बीजेपी में अभी से चिंतन शुरू हो गया है। इसी बीच गुजरात में 40 फीसदी पुराने चेहरों के टिकट काटकर बीजेपी के केंद्रीय संगठन ने सभी राज्यों को संदेश दे दिया है। इसके बाद राज्य में बीजेपी के नेताओं में भी यह चर्चा छिड़ गई है कि यहां भी बीजेपी बड़ी संख्या में टिकट काटेगी। माना जा रहा है कि बीजेपी पार्टी की अंदरूनी खींचतान के बीच एमपी में गुजरात फॉर्मूला अपना सकती है। संगठन की बैठकों में नेतृत्व ने मौजूदा मंत्री विधायकों को कनखियों में यही संदेश भी दिया जा रहा है।
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बदल सकते हैं 40 फीसदी प्रत्याशी
मध्य प्रदेश में यदि गुजरात की तर्ज पर चुनाव लड़ा जाता है तो हमारे यहां भी बीजेपी के 40 फीसदी टिकट कट सकती है। ऐसे में मौजूदा 122 विधायक मंत्रियों में से 48 के टिकट पर तलवार लटक जाएगी। वहीं 111 सीट पर हारे हुए चेहरे भी बदले जा सकते हैं। गुजरात फॉमूले के चलते सिंधिया समर्थक मौजदा मंत्री विधायक और उपचुनाव में हारे हुए लोगों के टिकट पर तलवार लटक जाएगी।
ये ग्वालियर चंबल संभाग के खतरनाक जोन वाले विधायक और पूर्व विधायक
इनमें डबरा से इमरती देवी, ग्वालियर से मुन्ना लाल गोयल, करैरा से जसवंत जाटव, मुरैना से एदल सिंह कंसाना, रघुराज कंसाना, गिरिराज दंडौतिया, भिंड गोहद से रणवीर जाटव के टिकट पर तलवार लटकेगी। गुजरात में टिकट कटने के बाद बंपर जीत से सिंधिया समर्थक भी मानसिक रूप से तैयार हैं। सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों का कहना है कि बीजेपी का नेतृत्व जो फैसला करेगा उसके लिए वो तैयार है। तो वहीं कांग्रेस इस पर चुटकी ले रही है। कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार का कहना है कि एमपी में बीजेपी खेमे में बंटी हुई है लिहाज़ा चुनाव के दौरान टिकटों के लिए भी मारामारी होगी। और बीजेपी की टूटफूट से कांग्रेस को फायदा मिलेगा।
ग्वालियर- चंबल अंचल में कुल विधानसभा सीटें 34
2018 विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद की स्थिति
- BJP - 07
2020 के विधानसभा उपचुनाव में BJP ने 16 में से 9 सीटें जीत ली
आंकड़ा बीजेपी 07 से बढ़कर 16 हुई। कांग्रेस 26 से घटकर 17 पर आ गई। इसी साल भिंड के बसपा विधायक संजीव सिंह ने बीजेपी का दामन थामा- अब यहां बीजेपी और कांग्रेस बराबर हो गई हैं। वैसे मध्यप्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की चुनावी कमान केंद्रीय नेतृत्व के हाथों में रहेगी। 2018 में मिली हार से सबक लेते हुए बीजेपी अब एमपी में गुजरात फॉर्मूले पर चुनाव में उतरेगी। इसके लिए MP BJP ने सभी विधायक मंत्रियों और टिकट के दावेदारों को संगठन का सबक पढ़ाया रहा है।