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देव श्रीमाली, GWALIOR. मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों में भले ही अभी छह माह का समय शेष हो, लेकिन ग्वालियर में चुनावी माहौल अभी से बना हुआ है। यहां कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों में ही बैठकों और अन्य आयोजनों की भरमार है। बीते एक पखवाड़े में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर असंगठन के अनेक नेता दौरा कर चुके हैं। 16 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती के बहाने सरकार एक बड़ा मेगा शो करने जा रही है। ग्वालियर में आयोजित होने वाले इस दलित महाकुम्भ में बीजेपी नेता भीड़ जुटाने के लिए खूब जोर लगा रहे हैं। इसमें एक लाख की भीड़ जुटाने का टारगेट तय किया गया है जिसके लिए ढाई हजार बसों का अधिग्रहण किया जा रहा है, लेकिन ग्वालियर चम्बल में फिलहाल कांग्रेस कार्यकर्ताओं में बीजेपी की तुलना में ज्यादा उत्साह देखा जा रहा है। इसी का नतीजा है कि जिन सीटों पर बीजेपी के कब्जा है और जहां फिलहाल कांग्रेस की जीत की पूरी संभावना भी नहीं है उन सीटों पर कांग्रेस में दावेदारों की लंबी कतार है क्योंकि उनको लगता है कि इस समय अंचल में जो सत्ता विरोधी लहर बह रही है उसमें वे भी जीत की वैतरणी पार कर सकते हैं।
बीजेपी के दो एमएलए दोनों मंत्री
ग्वालियर जिले में विधानसभा की कुल जमा छह सीटें है। 2018 के विधानसभा चुनावों में यहां बीजेपी का सूफड़ा साफ हो गया था। छह में से सिर्फ एक सीट ग्वालियर ग्रामीण ही बीजेपी जीत सकी थी। महज कुछ सैकड़ा वोटों के अंतर से भारत सिंह कुशवाह अपनी सीट बचा सके थे। भारत सिंह केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नजदीक माने जाते हैं। वर्तमान में जिले से दो विधायक हैं एक प्रद्युम्न सिंह तोमर ऊर्जा मंत्री है और भारत सिंह स्वतंत्र प्रभार वाले उद्यानिकी मंत्री।
सिंधिया को भी कांग्रेसी दे चुके हैं झटका
2018 में कांग्रेस ने छह में से पांच सीटें जीतकर बड़ी ताकत दिखाई और तब इसका श्रेय भी अंचल के सबसे बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को दिया गया था, लेकिन जब 2020 में सिंधिया ने कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिराने का निर्णय लिया तो ग्वालियर में ही उन्हें सबसे तगड़ा झटका लगा। ग्वालियर के जिला अध्यक्ष डॉ. देवेंद्र शर्मा तथा पांच में से दो विधायकों ने उनके साथ बीजेपी में जाने से इंकार कर दिया। ग्वालियर दक्षिण से प्रवीण पाठक और भितरवार से एमएलए लाखन सिंह किरार उनके साथ नहीं गए। इसके बाद वोटर्स ने भी सिंधिया को झटका दे दिया। जिले में तीन उप चुनाव हुए इनमें से दो यानी अपराजेय मानी जाने वाली इमरती देवी डबरा से और मुन्ना लाल गोयल ने ग्वालियर पूर्व में बीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए जीते केवल प्रद्युम्न सिंह तोमर। वर्तमान में जिले में दो बीजेपी और चार कांग्रेस के विधायक हैं।
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सबसे ज्यादा दावेदार मंत्रियों के खिलाफ
जिले में बीजेपी के दोनों विधायक मंत्री हैं और बीजेपी को इनके एक बार फिर से जीतने की उम्मीद है, लेकिन मजेदार और रोचक बात ये है कि कांग्रेस में सबसे लंबी कतार इन दोनों के खिलाफ ही टिकट पाने के लिए है। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ग्वालियर क्षेत्र से विधायक है और संभाग में उन्हें सबसे ज्यादा जीत की संभावना वाला बीजेपी प्रत्याशी माना जा रहा है, लेकिन कांग्रेस में उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वालों की लम्बी कतार है और हर दावेदार काफी श्रम और साधन खर्च करके अपनी ताकत दिखाने में जुटा है। यहां से पहले उम्मीदवार सुनील शर्मा ही है। उप चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें ही अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वे सफल नहीं हो सके थे। हार के बाद से ही जन समस्याओं को लेकर धरना ,आंदोलन, प्रदर्शनों के माध्यम से वे सीधे तोमर को चुनौती देते रहते है। इसके जरिये वे अपनी दावेदारी भी मजबूत कर रहे हैं। इस क्षेत्र से दूसरा नाम इंटक से जुड़े राजेंद्र नाती का है। इनके अलावा योगेंद्र सिंह तोमर भी अपना दावा ठोंक रहे हैं और एक कथा भागवत का आयोजन कर चुके हैं। इनके अलावा एक युवा नेता सौरभ तोमर भी लंबे समय से ग्वालियर में सक्रिय होकर अपनी दावेदारी बता रहे हैं। इसी तरह युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव मितेंद्र सिंह यादव ने भी यहां अपनी दावेदारी ठोंक रखी है। उन्होंने तेरह अप्रैल को राहुल गांधी की से बर्खास्तगी के खिलाफ मशाल जुलूस निकालकर अपनी शक्ति दिखाई। उन्होंने इसमें यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवासन और राज्यसभा सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विवेक तन्खा को बुलाकर अपनी सियासी ताकत का भी अहसास कराया।
ग्वालियर ग्रामीण में भी युवा नेता तगड़ी दावेदारी पेश कर रहे हैं
इसी तरह ग्वालियर ग्रामीण में हाल हैं। यहां से वर्तमान में उद्यानिकी मंत्री भारत सिंह बीजेपी से एमएलए हैं और उनका टिकट पक्का माना जा रहा है। वे लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं इसके बावजूद कांग्रेस में उनके मुकाबले चुनाव लड़ने के लिए दावेदारों की लम्बी कतार है। यहां से कांग्रेस के प्रदेश कोषाध्यक्ष अशोक सिंह की दावेदारी की सबसे ज्यादा चर्चा है। इनके अलावा पिछला चुनाव बीएसपी से लड़कर मामूली अंतर से हारे साहब सिंह गुर्जर इस बार कांग्रेस का टिकट चाहते हैं। उनके अलावा पूर्व सांसद रामसेवक सिंह बाबू जी के बेटे उदयवीर सिंह गुर्जर के अलावा केदार कंसाना और हेवरन कंसाना जैसे युवा नेताओं द्वारा भी तगड़ी दावेदारी पेश की जा रही है। कांग्रेस को इन सबको पटाकर एक साथ चुनाव लड़ाने की बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।