ग्वालियर में सिंधिया समर्थक ने हॉस्पिटल का नाम माधव राव तो सांसद ने की श्यामाप्रसाद मुखर्जी रखने की मांग

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Jitendra Shrivastava
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ग्वालियर में सिंधिया समर्थक ने हॉस्पिटल का नाम माधव राव तो सांसद ने की श्यामाप्रसाद मुखर्जी रखने की मांग

देव श्रीमाली, GWALIOR. ग्वालियर में अंचल के सबसे बड़े एक हजार बिस्तर के अस्पताल की अनौपचारिक शुरुआत के बाद अब उसके नामकरण को लेकर विवाद खड़ा होने लगा है। नामकरण का यह विवाद बीजेपी बऔर सिंधिया गुट के बीच तो छिड़ा ही हुआ था इस बीच कांग्रेस भी कूद पड़ी। बीजेपी इसका नाम अपने पहले अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखने की मांग कर रही है तो सिंधिया समर्थक इसका नामकरण माधव राव सिंधिया के नाम पर करना चाहते हैं। कांग्रेस अंबेडकर के नाम की मांग कर रही है। इस विवाद के बीच नगर निगम ने माधव राव सिन्धिया के नाम पर रखे मार्ग का नाम बदलकर शिवाजी मार्ग करने का प्रस्ताव पास कर दिया।



सिंधिया बनाम बीजेपी टकराव



अस्सी के दशक से लेकर 2020 तक ग्वालियर चम्बल अंचल में सिंधिया परिवार के बिना पत्ता भी नहीं खड़कता था क्योंकि कांग्रेस हो या बीजेपी हर दल की कमान ज्यविलास पैलेस के ही भीतर रहती थी। इस दौरान किसी भी संस्थान, सड़क और चौराहे के नाम रखना हो तो वह सिर्फ सिंधिया परिवार के सदस्य के प्रति आरक्षित रहता था, लेकिन अब सिंधिया बीजेपी में आ गए। उनकी बुआ यशोधरा राजे सिंधिया पहले से ही हैं लेकिन आयोजनों, भवनों और सड़कों के नाम को लेकर बीजेपी नेता अब उन्हें लगातार चुनौती दे रहे हैं। 



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गौरव दिवस पर हो चुका है विवाद



पहला मामला 25 दिसंबर को अटल जी के जन्मदिन को ग्वालियर गौरव दिवस मनाने का रहा। बीजेपी द्वारा तय इस आयोजन को टालने की सिंधिया समर्थकों की कोशिश को नाकाम करने के लिए आखिरकार बीजेपी को दिल्ली से लेकर नागपुर तक की मदद लेनी पड़ी। सिंधिया समर्थक चाहते थे कि ग्वालियर गौरव दिवस या तो माधवराव या फिर राजमाता विजयाराजे के जन्मदिन पर घोषित हो।



अस्पताल के नाम पर टकराव



ग्वालियर में साल 2019 को अंचल के सबसे बड़े अस्पताल के रूप में एक हजार बिस्तर के अस्तपाल का भूमिपूजन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया था। इस दौरान बीजेपी सड़कों पर थी, साथ ही हंगामा कर रही थी। लेकिन उन सबको दरकिनार करते हुए इस अस्पताल का भूमिपूजन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ सरकार की चिकित्सा शिक्षा मंत्री विजय लक्ष्मी साधौ के साथ कर दिया था। उस समय सिंधिया समर्थक विधायकों ओर मंत्रियों ने इस अस्पताल का नाम माधवराव सिंधिया के नाम से रखने की मांग की थी। लेकिन उसके बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए। उसके बाद इस अस्पताल का नामकरण ठंडे बस्ते में चला गया। अस्पताल की अनौपचारिक शुरुआत के साथ ही इस अस्पताल के नामकरण को लेकर बीजेपी और सिंधिया समर्थक आमने-सामने हैं। सिंधिया समर्थक चाहते हैं की अस्पताल का नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया के नाम पर रखा जाए, जबकि बीजेपी चाहती है कि इस अस्पताल का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखें। बीजेपी के प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य अशोक शर्मा कहते हैं स्व. माधव राव सिंधिया विकास के मसीहा थे। यह अस्पताल उनके सपनों का ही साकार रूप है इसलिए इसका नाम उन्हीं के नाम पर होना चाहिए। उधर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर पहले ही सार्वजनिक रूप से मांग कर चुके हैं कि इसका नाम जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखा जाना चाहिए।



कांग्रेस ने अंबेडकर के नाम का राग अलापा



कांग्रेस इन दोनों नामों में सहमत नही है, कांग्रेस चाहती है कि इस अस्पताल का नाम बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नाम पर हो। यानि अब अस्पताल का नाम सियासी मुद्दा भी बन गया है। कांग्रेस पूर्व विधायक डॉ. सतीश सिंह सिकरवार ने इसका नाम संविधान लेखक डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम पर रखने की मांग कर इस विवाद को और भी गहरा दिया है। 



विवाद के चलते नहीं हो पा रहा उद्घाटन



अब जब यह एक हजार बिस्तर का अस्पताल बनकर प्रारंभिक रूप से शुरू हो चुका है, लेकिन अभी तक इसका नामकरण नहीं हो पाया है। इसलिए इसके उद्घाटन का कार्यक्रम भी नही बन पा रहा है।



338 करोड़ की लागत से बना है यह हॉस्पीटल




  • अक्टूबर 2018 में प्रशासकीय स्वीकृति मिली तब आचार संहिता लगने ही वाली थी। 


  • नवंबर 2018 में तकनीकी स्वीकृति हुई, वर्क ऑर्डर दिसंबर 2018 में जारी हुआ। 

  • जनवरी 2019 में जब कांग्रेस की सरकार बन चुकी थी तब जमीन अलॉट हुई है।

  • 3 ब्लॉक में 338 करोड़ से अस्पताल तैयार हुआ है

  • 7.75 हेक्टेयर जमीन पर 3 ब्लॉक में यह अस्पताल बनाया गया है

  • अस्पताल में कुल 1106 बेड की सुविधा है।

  • अस्पताल के साथ ही कैंपस में 300 कमरों की धर्मशाला भी बनेगी, जिसमें रियायती दरों पर मरीजों के अटेंडरों को कमरे दिए जाएंगे।

  • सस्ती दरों पर भोजन व्यवस्था भी शुरू होगी।



  • सिंधिया के नाम वाली सड़क का नाम भी बदला



    इस विवाद के बीच नगर निगम आयुक्त ने दो सड़कों का नाम रखने का प्रस्ताव एमआईसी में भेजा जिनमे से एक एजी ऑफिस पुल से राजमाता चौराहे तक शिवाजी के नाम पर क्योंकि इसी पर छत्रपति शिवाजी पार्क है। इस प्रस्ताव को एमआईसी ने मंजूरी भी दे दी, लेकिन ये मार्ग पहले से ही दिवंगत माधव राव सिंधिया के नाम पर घोषित किया जा चुका है और जगह-जगह बोर्ड भी लगे हैं। अब इसे ही शिवाजी के नाम पर घोषित कर दिया इससे सिंधिया समर्थक अंदर ही अंदर बहुत खफा हैं।


    ग्वालियर में हॉस्पीटल का नामकरण MP News Congress adamant on Ambedkar Scindia supporters-BJP dispute Naming of hospital in Gwalior एमपी न्यूज कांग्रेस अंबेडकर पर अड़ी सिंधिया समर्थक-बीजेपी में विवाद
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