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Photograph: (The Sootr)
सीएम मोहन यादव बार-बार दिल्ली का दौरा कर रहे हैं। दौरा सीएम का होता है और चिंता कांग्रेस और दूसरे विरोधियों को हो जाती हैं। पंद्रह दिन में तीसरी बार दिल्ली गए मोहन यादव के दौरों का असल राज क्या है। वैसे तो दौरे के बाद खुद मोहन यादव ने इस बार में जानकारी दी है। लेकिन अंदर की बात कुछ और है। दिल्ली दौरे के पीछे तीन अहम कारण हैं। जो सत्ता से जुड़े हैं। प्रशासन से जुड़े हैं और धर्म से भी उनका गहरा नाता है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव चंद घंटे पहले ही दिल्ली की एक और यात्रा कर चुके हैं। बीते पंद्रह दिन में मुख्यमंत्री करीब 3 बार दिल्ली जा चुके हैं। इससे पहले 18 अगस्त को जब वो दिल्ली गए थे तब पीएम नरेंद्र मोदी से मिले थे और इस बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर वापस लौटे हैं। उनकी दोनों ही मुलाकात काफी चर्चाओं में हैं। पीएम के साथ बैठक में गए थे तब उनके साथ अफसरों की पूरी फौज भी साथ थी। इसमें मौजूदा सीएस अनुराग जैन भी शामिल थे।
दिल्ली दौरे से बीजेपी-कांग्रेस दोनों में हलचल
खबर थी कि पिछले दौरे के दौरान ही वो पीएम के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री से भी मिलकर लौटेंगे। लेकिन कुछ दूसरी व्यस्तताओं के चलते शाह से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी इसलिए वो फिर दिल्ली गए। इन दौरों को देखकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों में ही हलचल मची हुई है। बीजेपी के अंदरूनी हलकों में भी बैठकों को लेकर ये चर्चा है कि जब सब कुछ ठीक चल रहा है तो बार-बार सीएम दिल्ली क्यों जा रहे हैं। यही सवाल कांग्रेस में भी है। कांग्रेस के कुछ हलकों में ये चर्चा भी है कि क्या बीजेपी फिर कुछ बड़ा कदम उठाने जा रही है। जो प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकता है। या इन दौरों का बिहार इलेक्शन की तैयारियों से कुछ लेना देना है।
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इन तीन मुद्दों से जुड़ा है मोहन यादव का दिल्ली दौरा
अटकलें कई हैं और सुगबुगाहटों से सियासी गलियारे गूंजने लगे हैं। लेकिन सीएम के दौरों का असल मकसद सब की समझ से परे है। अमित शाह से मुलाकात के बाद सीएम ने खुद बयान दिया कि दूध उत्पादन में वृद्धि, नए कानूनों के क्रियान्वयन, सहकारिता जैसे मुद्दों पर उन्होंने केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की है। इस दौरान उन्होंने प्रदेश को डेयरी राजधानी बनाने पर भी चर्चा की है। लेकिन बैठकों का सबब इससे कहीं ज्यादा है। सूत्रों की मानें तो सीएम की दिल्ली बैठक काफी अहम मुद्दों पर भी हो रही है। सीएम मोहन यादव की ये कोशिश है कि वो कोई भी कदम उठाने से पहले दिल्ली को कॉन्फिडेंस में लेकर चलें। आने वाले दिनों में वो सिंहस्थ, सीएस और सियासी संतुलन से जुड़े कई अहम फैसले लेने जा रहे हैं। मौजूदा दौरे भी इन्हीं तीन मुद्दों से जुड़े हैं।
सियासी संतुलन के लिए मंथन
सबसे पहले बात करते हैं सियासी संतुलन की। ये तो आप सभी जानते हैं कि मध्यप्रदेश में निगम मंडलों के पद खाली पड़े हैं। सबसे बड़ी चुनौती है पुराने और बड़े नेताओं को सत्ता में कहीं न कहीं एडजस्ट करने की। सीएम मोहन यादव भी इसी जमावट में लगे हुए हैं। उन्हें नरोत्तम मिश्रा, प्रभुराम चौधरी, सुरेश पचौरी, माखिन सिंह भदौरिया और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा तक को प्रदेश की राजनीति में अहम जगहों पर पदस्थ करना है। इस बात की चर्चा दिल्ली दौरों में बहुत जोर-शोर से हो रही है। कोशिश है कि नए और पुराने नेताओं के बीच सियासी संतुलन बना रहे। चुनाव नजीदक आते-आते नए ऊर्जावन चेहरों के साथ ही तजुर्बेकार नेताओं की जरूरत पड़ती है। इसलिए इन नेताओं के सही प्लेसमेंट के लिए ये मंथन जारी है। इस सेंसिटिव और सीरियस फैसले में सीएम आलाकमान की भरपूर राय ले रहे हैं।
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मंत्रिमंडल का विस्तार या फेरबदल!
इसके अलावा प्रदेश में नई कार्यकारिणी भी बनी है। जिला स्तर पर भी और प्रदेश संगठन स्तर पर भी मजबूत टीम बनाने की तैयारी है। मंत्रिमंडल का विस्तार या फेरबदल भी बड़ी चुनौती है। सारे अंचलों के संतुलन के साथ दिग्गज नेताओं की पसंद का भी ख्याल रखना है। इस बीच सागर जिले में जमा हो चुके नए पुराने विधायकों को भी एडजस्ट करना बड़ी चुनौती है। इन सब मुद्दों पर भी दिल्ली लेवल पर चर्चा होना बताया जा रहा है। अगर सारी चर्चाएं समय रहते पूरी हो गईं तो बहुत जल्द मंत्रिमंडल का चेहरा भी बदला हुआ दिखाई देगा। दो से ढाई साल के भीतर प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव भी हैं। सीएम सहित दिल्ली दरबार की भी ये मंशा है कि ये सारे सियासी काम और जमावट उससे पहले हो जानी चाहिए। ताकि पार्टी इन चुनावों पर ध्यान दे सके। और कम से कम इंटरनल लेवल पर किसी तरह की कोई मुश्किल का सामना न करना पड़े।
सीएस पर भी आला नेताओं से चर्चा
दूसरा बड़ा मुद्दा है प्रदेश के नए CS अनुराग जैन का। अनुराग जैन बने रहेंगे, एक्सटेंशन हासिल कर पाएंगे या उनकी विदाई तय है। इस पर सस्पेंस अब भी बरकरार है। उनका लास्ट वर्किंग डे आने वाली 29 तारीख होगी। इसके बाद सटरडे और संडे है। इसलिए ये माना जा रहा है कि 29 तक फैसला हो ही जाएगा। वैसे कई अहम मुद्दों पर दिल्ली में सटरडे-संडे भी काम जारी रहता है। इसलिए कोई फैसला 29 के बाद होगा तो भी आश्चर्य नहीं होगा। फिलहाल अनुराग जैन को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। ये भी माना जा रहा है कि नए सीएस को लेकर और अनुराग जैन के एक्सटेंशन को लेकर भी सीएम मोहन यादव पार्टी के दोनों आला नेताओं से चर्चा कर रहे हैं।
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सिंहस्थ को बेहतर तरीके से कराने की बड़ी चुनौती
यानी सियासी और प्रशासनिक दोनों जमावट को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। इस के साथ ही एक और अहम धार्मिक कार्य प्रदेश में जल्द होना है। ये धार्मिक आयोजन है सिंहस्थ का आयोजन। जो प्रदेश में धर्म और राजनीति दोनों की दृष्टि से काफी अहमियत रखता है। वैसे भी बीजेपी सरकार में उत्तरप्रदेश में महाकुंभ हो चुका है जिसकी कामयाबी का दम भरा जाता है। सीएम मोहन यादव के सामने भी सिंहस्थ को ठीक ही नहीं बेहतर तरीके से कराने की बड़ी चुनौती है। शायद इसलिए शाह के साथ हुई एक बैठक में दूसरे अफसरों के साथ उज्जैन के अफसर भी शामिल थे। जैसे आशीष सिंह और रोशन सिंह। असल में मध्यप्रदेश की सरकार सिंहस्थ में लैंड पुलिंग के जरिए 24 हजार हेक्टेयर जमीन को विकसित करना चाहती है। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री से खास चर्चा ही है।
आनेवाला समय ही बताएगा बैठकों का हासिल
बताया जा रहा है कि अमित शाह ने भी इस संबंध में कई सवाल उठाए हैं। इस मुद्दे पर संभवतः आगे और भी चर्चा हो सकती है। अफसरों के साथ साझा मीटिंग के बाद शाह और यादव के बीच क्लोज डोर मीटिंग भी हुई। इस बैठक में खासतौर से सियासी और प्रशासनिक जमावट पर गहराई से चर्चा हुई है। इन बैठकों से क्या हासिल हुआ है। ये बहुत जल्द ही सबके सामने होगा। पर, इतना तय है कि सीएम मोहन यादव दिल्ली के साथ तालमेल बिठा कर चलने की पूरी कोशिश में जुट चुके हैं। जिसका प्रभाव आने वाले स्थानीय निकायों के चुनाव पर भी नजर आना तय माना जा रहा है।
इस नियमित कॉलम न्यूज स्ट्राइक (News Strike) के लेखक हरीश दिवेकर (Harish Divekar) मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं
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