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Photograph: (The Sootr)
कुछ तस्वीरें राजनीति में नया इतिहास रच देती हैं या फिर गड़े मुर्दे उखाड़ लाती हैं। हम उन तस्वीरों की बात कर रहे हैं जो किसी न किसी सियासी घटनाक्रम की गवाह होती हैं। मध्यप्रदेश में भी सियासत की एक नई तस्वीर कुछ दिन पहले नजर आई। दो धुर विरोधी ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह नेता एक साथ मुस्कुराते हुए चहलकदमी करते दिखाई दिए। ये तस्वीर क्या थी साहब बवंडर था।
इसने सियासत के प्याले में ऐसा तूफान ला दिया है कि अब पुरानी बातें बाहर निकलने लगी हैं। शिकवे हैं शिकायतें हैं या फिर कुछ पुराने राज खुलकर सामने आ रहे हैं। क्या इस मुलाकात के बाद दिग्विजय सिंह ने फिर पलटी मारी है। क्यों सरेआम कमलनाथ का दर्द छलक रहा है। क्या सिंधिया वाकई शिष्टता के नाते दिग्विजय सिंह से मिले थे या मकसद कुछ और था। चलिए समझने की कोशिश करते हैं।
आगे बात करने से पहले बशीर बद्र साहब का एक शेर पढ़िए। कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से, ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो। कितना सोच समझ कर बशीरजी ने ये शेर लिखा होगा। उनके इसी शेर की तर्ज पर हाथ मिलने के बाद सियासी शहर में रहने वाले लोगों का मिजाज जरा बदला-बदला सा हो गया है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद से शांत चल रहे कांग्रेस नेता कमलनाथ ने अचानक साल 2020 में गिरी सरकार पर एक पोस्ट किया है।
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सोच-समझकर किया गया पोस्ट
अगर आप ये सोच रहे हैं कि क्यों कमलनाथ को करीब पांच साल बाद अपनी सरकार गिरने पर सफाई देने की या कोई बात कहने की जरूरत पड़ गई। तो यकीन मानिए कि ये ढलती उम्र का कोई फ्रस्टेशन नहीं है। बल्कि सियासत के इस आला खिलाड़ी ने सोच समझ कर ये पोस्ट किया है जिसके तार एक इंटरव्यू से जुड़े हैं। और, शायद उस तस्वीर से भी जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।
कुछ ही दिन पहले एक कार्यक्रम में ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह का आमना-सामना हुआ। दोनों की सियासी रंजिश किसी से छुपी नहीं है। अपने भाषणों में भी दोनों एक-दूसरे पर हमले बोलने से बाज नहीं आते। कार्यक्रम में भी उम्मीद थी कि ये तल्खी वहां भी नुमाया होगी, लेकिन हुआ उल्टा। सारी राजनीतिक और शाही ठसक भुलाकर महाराज खुद राजा के पास आए। हाथ पकड़ा और मंच तक ले गए। किसी को भी शायद ही इस बात की उम्मीद होगी कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ऐसा कर सकते हैं। खुद दिग्विजय सिंह को भी पहले पहल इस बात पर यकीन नहीं हो रहा होगा। पर ऐसा हुआ। यही वो मुलाकात थी जिसके बाद से सियासी मिजाज कुछ बदला बदला सा है।
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दिग्विजय ने खोले थे बड़े राज
इस मुलाकात के बाद दिग्विजय सिंह का एक इंटरव्यू वायरल हुआ जिसमें उन्होंने कमलनाथ सरकार गिरने से जुड़े बड़े राज खोले। अब तक अगर आप सरकार गिरने का जिम्मेदार ज्योतिरादित्य सिंधिया को मानते रहे हों तो आप गलत हो सकते हैं। कई बार ये भी कहा और सुना गया कि कमलनाथ नाम के सीएम थे असल सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे थे। अब खुद दिग्विजय सिंह ने इस बारे में खुलकर बात की है और कुछ कसक भी जाहिर की। उन्होंने कहा कि उन पर अक्सर ये इल्जाम लगे कि उनकी वजह से कमलनाथ सरकार गिर गई क्योंकि उनके रिश्ते ज्योतिरादित्य सिंधिया से खराब थे जबकि असल बात कुछ और थी।
समझौतों पर नहीं हुआ अमल
दिग्विजय सिंह ने उस दौर की डिनर पॉलिटिक्स का भी खुलासा किया जिसके बारे में अब तक कोई नहीं जानता था। ये डिनर एक बिजनेसमैन के घर में हुआ जिसके बाद से असल पॉलिटिक्स शुरू हुई। बकौल दिग्विजय सिंह इस डिनर में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया तीनों मौजूद थे। इस डिनर में ग्वालियर चंबल से जुड़े कुछ मुद्दों पर ध्यान देने का फैसला हुआ। जो भी समझौता हुआ था उससे जुड़े दस्तावेजों पर दिग्विजय सिंह ने भी साइन किए थे लेकिन बैठक के बाद उस पर अमल नहीं हुआ और फिर सरकार गिर गई। दिग्विजय सिंह ने ये भी साफ कर दिया कि सिंधिया और उनके बीच कोई व्यक्तिगत लड़ाई नहीं थी। ये सिर्फ सियासी मनमुटाव था।
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जवाब देने को मजबूर हुए कमलनाथ
इस इंटरव्यू को कई लोगों ने सुनकर छोड़ दिया होगा, लेकिन सियासी गलियारों के गड़े मुर्दे जब उखड़े तो गुबार इस कदर उड़ा कि कमलनाथ को जवाब देने पर मजबूर होना पड़ा। कमलनाथ ने इस पर ट्वीट किया कि प्रदेश में उनके नेतृत्व वाली सरकार को लेकर कुछ बयानबाजियां तेजी से हो रही हैं। उन्होंने भी ये सुझाव दिया कि पुरानी बातें उखाड़ने से कोई फायदा नहीं है। लेकिन ये सच है कि व्यक्तिगत महत्वकांक्षा के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया को लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। इसी नाराजगी में उन्होंने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ा और सरकार गिराई।
सियासी बवाल में सिंधिया पर लांछन नहीं
इस ट्वीट के बाद ये सवाल उठना भी लाजमी हैं कि क्या कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की दोस्ती में वाकई दरार आ गई है। सरकार गिरने के ऐतिहासिक घटनाक्रम पर दिग्विजय सिंह ने खुद को क्लीनचिट देने की कोशिश की है। लेकिन कमलनाथ से एक ट्वीट से वापस ठीकरा दिग्विजय सिंह पर ही फोड़ दिया है। खास बात ये है कि इस पूरे सियासी बवाल में सिंधिया पर कोई लांछन ही नहीं है। पुरानी आग को हवा देकर वो बहुत आसानी से गायब हो गए हैं। और, आमने-सामने आ गए हैं दिग्विजय सिंह और कमलनाथ। क्या दो दिग्गजों के बीच पनपी इस कड़वाहट से क्या कांग्रेस को फर्क पड़ेगा या फिर अब बुजुर्ग नेताओं के बीच की इस कलह से कांग्रेस अछूती ही रहेगी।
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इस नियमित कॉलम न्यूज स्ट्राइक (News Strike) के लेखक हरीश दिवेकर (Harish Divekar) मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं