News Strike: नव संकल्प शिविर में कांग्रेस को मिलेगा जीत का मंत्र, 2028 विजय करने की तैयारी तेज !

कांग्रेस ने मांडू में अपने विधायकों के लिए विशेष क्लास का आयोजन किया है, जिसमें वे जीत के मंत्र सीखेंगे। बीजेपी ने इसे लेकर कांग्रेस पर तंज कसते हुए उसे नकलची कहा है।

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Harish Divekar
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Photograph: (The Sootr)

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देश की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी पार्टी के विधायकों को अब जीत के मंत्र जानने की जरूरत पड़ रही है। सिर्फ मंत्र ही नहीं चाहिए जीत के लिए उन्हें मोटिवेट भी करना पड़ रहा है। हम बात कर रहे हैं कांग्रेस की। कांग्रेस ने पहली बार अपने विधायकों के लिए खास क्लास लगाई है। जिसमें बड़े-बड़े टीचर्स, हमारा मतलब है लीडर्स विधायकों को ये बताएंगे कि जीत हासिल कैसे करनी है। और, ऐसे नेता जो लगातार पार्टी को हारता देख निराश हो चुके हैं उन्हें मोटिवेट भी किया जा रहा है। शिविर शुरू होने से पहले ही बीजेपी इस पर तंज कस चुकी है और कांग्रेस को नकलची भी बता चुकी है।

कांग्रेस का नव संकल्प शिविर

कांग्रेस की क्लास का कल (22 जुलाई) दूसरा दिन था। एतिहासिक दृष्टि से मशहूर प्रदेश के मांडू शहर में कांग्रेस की क्लास लगी। इस क्लास को नाम दिया गया है नव संकल्प शिविर। 21 जुलाई को कांग्रेस का नवसंकल्प शिविर शुरू हुआ और 22 जुलाई यानी आज इसका दूसरा दिन था। इसका टाइम तय हुआ था सुबह साढ़े दस बजे। इसी समय के आसपास शिविर की शुरुआत हो गई। शिविर में बहुत से नेता खुद आकर या वर्चुअली जुड़ कर विधायकों की क्लास लेने वाले थे। कुल 12 सत्र वाले इस शिविर में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़ेगे वर्चुअली जुड़ कर अपने नेताओं को जीत का नया पाठ पढ़ा चुके है।

पहले दिन प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी, राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा की क्लास हुई। विधानसभा में प्रमुख सचिव रहे भगवान दास इसराणी भी इस शिविर में मौजूद रह कर विधायकों को बारीकियां सिखा कर गए। जबकि दूसरे दिन यानी आज अजय माकन की क्लास हुई। सुप्रिया श्रीनेत के नाम से आप सभी वाकिफ होंगे। कांग्रेस की फायर ब्रांड नेता हैं। टीवी चैनल्स और सोशल मीडिया पर काफी धमक रखती हैं। इस क्लास में वो सोशल मीडिया और डिजिटल इमेज बिल्डिंग के गुर अपने ही नेताओं को सिखाने आईं। 15 महीनों के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ ने भी प्रदेश की आर्थिक नीति के बारे में विधायकों को पाठ पढ़ाया। इसके अलावा शिविर में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह भी मौजूद रहे।

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2028 विधानसभा चुनाव पर है नजर

कांग्रेस के अंदर खानों में खबर है कि कांग्रेस की ये कवायद साल 2028 में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए हो रही है। कांग्रेस अभी से अगले विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति तैयार कर रही है। कांग्रेस के इस शिविर को विधानसभा के मानसून सत्र के लिए भी अहम माना जा रहा है। कांग्रेस ही ये दावा कर रही है कि पार्टी की सियासी धार पहले से कहीं ज्यादा तेज और पैनी हो जाएगी।

विधानसभा का मानसून सत्र 28 जुलाई से शुरू होना है। इस सत्र में कांग्रेस विधायक कितना एग्रेसिवली जनता से जुड़े मुद्दे उठा सकते हैं और सरकार को घेर सकते हैं। ये सारी टिप्स विधायकों को दी जा चुकी है यानी कांग्रेस अपने नेताओं को रणनीतिक रूप से तैयार करना चाहती है साथ ही रणनीतिक तौर पर भी उन्हें आक्रमक देखना चाहती है। इसके लिए कुछ प्रोफेशन्लस भी इस शिविर में आए और विधायकों को एग्रेसिव होने का तरीका सिखा कर चले गए। ये कांग्रेस के लिए बेहद जरूरी है भी क्योंकि पिछले कुछ सालों से कांग्रेस लगातार डल होती जा रही है। नई लीडरशिप भी तमाम कोशिशों के बावजूद वो एग्रेशन नहीं दिखा सकी है जिसकी उससे उम्मीद थी।

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पैना हो रहा कांग्रेस का एग्रेशन

दूसरी तरफ नेशनल लेवल की बात करें तो कांग्रेस का एग्रेशन दिन पर दिन पैना होता जा रहा है। खुद नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी नए कॉन्फिडेंस से लबरेज नजर आते हैं और किसी भी मौके पर केंद्र सरकार को घेरने का मौका नहीं छोड़ते। पिछले लोकसभा के नतीजे देखें तो लगता है कि राहुल गांधी का एग्रेशन कांग्रेस के लिए फायदेमंद ही साबित हुआ है। शायद इसलिए कांग्रेस अब उसी तर्ज पर प्रदेश लेवल पर भी काम करना चाहती है। इससे पहले बीजेपी भी इस तरह का शिविर आयोजित कर चुकी है इसलिए बीजेपी नेता कांग्रेस के शिविर पर उसे नकलची कहने में पीछे नहीं रहे हैं।

क्या क्लास खत्म कर सकेगी कांग्रेस की गुटबाजी?

पिछला चुनाव भी देखें तो कांग्रेस का हाल बहुत बुरा था। 2018 का चुनाव जीतने वाली कांग्रेस 2023 के चुनाव में 66 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। जबकि चुनाव से कुछ महीने पहले तक कांग्रेस की जीत साफ नजर आ रही थी। चुनाव आते-आते प्रत्याशियों के नाम बदले गए। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के मनमुटाव से जुड़ी खबरें भी सामने आईं। हालांकि दोनों ने किसी भी खबर की पुष्टि नहीं की, लेकिन इसका असर यकीनन कार्यकर्ताओं और प्रत्याशियों पर पड़ा ही होगा।

शायद इसलिए कांग्रेस को इस क्लास की सख्त जरूरत महसूस हो रही होगी। लेकिन क्या ये क्लास कांग्रेस की गुटबाजी को खत्म कर सकेगी। क्या अगले चुनाव में जब टिकट बटेंगे तब नेताओं की आपसी कलह उन पर असर नहीं डालेगी। कांग्रेस को जीत का मंत्र देना है, ये अलग बात है। लेकिन गुटबाजी और कलह से कैसे बचना है इस के लिए भी अलग से क्लास की जरूरत है।

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क्या टूटेगा कांग्रेस में पसरा सन्नाटा

एक क्लास मौजूदा लीडरशिप के लिए भी जरूरी है जो खुद अलसाई सी या शांत सी नजर आती है। जब तक वो एग्रेसिव नहीं होगी। तब तक प्रदेश क दूसरे नेता कैसे आक्रमक राजनीति कर पाएंगे ये देखने वाली बात होगी। इस क्लास से क्या वाकई कांग्रेस में पसरा सन्नाटा टूट सकता है। इसका अंदाजा मानसून सत्र के दौरान हो ही जाएगा।

इस नियमित कॉलम न्यूज स्ट्राइक (News Strike) के लेखक हरीश दिवेकर (Harish Divekar) मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं

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